e-Magazine

श्रीलंका की घटना क्या भारत के लिए चेतावनी है ?

21 अप्रैल को श्रीलंका में ईस्टर के मौके पर हुए 8 सिलसिलेवार आतंकी बम धमाकों में 253 लोगों की मौत हुई जबकि 500 सौ से ज्यादा लोग घायल हुए है।

21 अप्रैल को श्रीलंका में ईस्टर के मौके पर हुए 8 सिलसिलेवार आतंकी बम धमाकों में 253 लोगों की मौत हुई जबकि 500 सौ से ज्यादा लोग घायल हुए है। आतंकियों ने कोलंबो के सेंट एंथनी चर्च और पश्चिम तटीय शहर नेगोंबे के सेंट सेबेस्टियन चर्च को अपना पहला निशाना बनाया। इसके बाद कोलंबो के तीन होटलों और बट्टीकलोआ के एक चर्च में धमाका हुआ। दोपहर बाद दो बम धमाके कोलंबो के चिड़ियाघर के पास हुए। कुछ दिनों तक  श्रीलंका की इस आतंकी घटना ने एक बार फिर पूरे विश्व को झकझोर दिया है । घटना को श्रीलंका के मसाला कारोबारी के दो बेटों समेत नौ कुख्यात आत्मघाती हमलावरों ने अंजाम दिया था, जिसमें एक महिला आतंकी भी शामिल थी। बम धमाकों के करीब 56 घंटे बाद इसकी जिम्मेदारी आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ने ली थी। आईएस ने सिलसिलेवार बम धमाकों का वीडियो जारी किया था।  इस आतंकी हमले से दशकों से आतंकी गतिविधियों से त्रस्त दक्षिण एशिया में शांति की पहल की उम्मीद को भी बड़ा झटका लगा है। ऐसे समय में जब भारत खुद पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियां का दंश झेल रहा है तब पड़ोसी देश श्रीलंका में आइएस और नेशनल तौहीद जमात की उपस्थिति क्या भारत के लिए चेतावनी है इस विषय को केन्द्र में रखकर ‘राष्ट्रीय छात्रशक्ति’ के द्वारा देशभर के लोगों से बात की और उसके विचार जाने । प्रस्तुत है कुछ चुनी हुई प्रतिक्रियाएं –

श्रीलंका में हुए सिलसिलेवार आत्मघाती हमलों में करीब 300 से अधिक लोगों के मारे जाने से भारत सरकार के गुस्से व चिंता की वजह बेहद साफ है । श्रीलंका 80 के दशक से लेकर 2009 तक अलगाववादी संगठनों के आतंक से ग्रसित रहा और इसका बहुत ज्यादा असर भारत सरकार पर पड़ा है। इस हिंसा की वजह से सैकड़ो भारतीय सैनिकों की और प्रवासी भारतीयों की जाने गई। एक समय भारत के चार अहम पड़ोसी देश बांग्लादेश, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका में लंबे समय तक अस्थिरता का वातावरण रहा है । इससे भारत की आंतरिक सुरक्षा पर खतरा रहा है । पिछले कुछ समय नेपाल ,बांग्लादेश और श्रीलंका में शांति व स्थिरता के वातावरण बनने से एक नया रणनीतिक नजरिया बना था । पड़ोसी देश मे आतंक की दस्तक से भारत की चिंता की एक अन्य वजह यह भी है इस बार आतंक का चेहरा दूसरा है । श्रीलंका में हुए इस बड़े हमले के पीछे इस्लामिक चरमपंथी संगठन तौहीद-जमात का नाम सामने आ रहा है । चुकी तौहीद जमात का लिंक भारत के तमिलनाडु से रहा है इसलिए भारत के लिए यह स्थिति और अधिक चिंताजनक हो जाती है। तमिलनाडु में यह संगठन सामाजिक कार्यो के माध्यम से खुद को जोड़ते हुए सक्रिय रहता है। ऐसे में यह आतंकी हमला भारत को फैसले लेने में मुश्किले बढ़ा सकता है।

See also  छात्र आंदोलनों में हिंसा की स्वीकृति उचित है क्या ?

– राजीव रंजन, जमशेदपुर

श्रीलंका में हुवे सीलसिलेवर बम धमाके से न सिर्फ  श्रीलंका को ही  सतर्क होने कि जरूरत है  जबकि पुरे विश्व को सतर्क होना होगा आये दिन कोई न कोई देश आतंकियों के प्रकोप से पीड़ित होता जा रहा है कुछ कहा नही जा सकता कब किस देश पर हमला हो जाए । जब बात भारत की आती है, तो कुछ देश ऐसे है,जो दोस्ती का नकाब पहन कर पीठ पीछे खंझर भोपने वाले है , श्रीलंका में हुवे इस धमाके से हम देख सकते है *अधिक सख्या में इस धमाके से शिकार होने वाले व्यक्तिया भारतीय थे ! यह भारत के लिए बड़ी ही दुःख और चिंता का विषय है भारतीय नागरिक कही पर भी सुरक्षित नही है। भारत सरकार और भारतीय नागरिक को सतर्क होना होगा । आए दिन कोई न कोई देश आतंकियों  से पीड़ित होता जा रहा है .जिसे जन धन की हानि हो रही है वः आर्थिक रूप से कमजोर हो रहे जिसे गरीबी बेरोजगारी  भुखमरी भष्टाचार जैसे समस्या देश में उत्तपन हो रह है विश्व संगठन समिति को आतंकियो के खिलाप ठोस फैसले लेने होंगे तभी सुख शांति  पुरे विश्व में अमल हो पायेगा

–  बोबी गिलहरे, (छात्रा, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ )

एक तरफ जहाँ पूरा विश्व मानव कल्याण विश्व कल्याण व सर्व धर्म सद्भाव की संकल्पना को सत्य करने हेतु प्रयासरत है। वहीं दूसरी ओर कट्टर मानसिकता से ओतप्रोत भय व हिंसा का माहौल बनाकर विश्वकुख्यात ISIS जैसे आतंकी संगठन मानव व मानवता की लगातार निर्मम हत्या कर रहे हैं। विभिन्न रक्षा विशेषज्ञों ने श्रीलंका में हुए आतंकी हमले का मुख्य कारण ख़ुफ़िया तंत्रो में भारी चूक को माना है। श्रीलंका भारत का पड़ोसी देश है ISIS जैसे खतरनाक आतंकी संगठनों का पड़ोस में उपस्थिति निश्चित रूप से भारत सहित सभी SAARC देशों के लिए ख़तरे की घंटी है जिससे सभी को साथ मिलकर बहुत मज़बूती के साथ निपटना होगा तभी आतंक रूपी दानवों वध सम्भव हो पायेगा।आतंकवाद को किसी एक सीमा में बांधकर नही रखा जा सकता जो भी देश इसके पोषक हैं या बनने की कोशिश करेंगे उन्हें भी यह भष्मासुर की भांति एक दिन भष्म कर देगा,पाकिस्तान के स्कूल व इस्लामाबाद में हुए आतंकी हमले से ये समझा जा सकता है। अटल जी ने सत्य कहा था..

See also  नई सरकार से उम्मीदें और शिक्षा क्षेत्र की प्राथमिकता

“चिंगारी का खेल बुरा होता है,

औरों के घर आग लगाने का जो सपना,

अपने ही घर खरा होता है”…

इस आतंक रूपी चिंगारी से जितना दूर रहा उतना ही मानव,धर्म तथा सम्पूर्ण विश्व हेतु उचित होगा।

– अरुण श्रीवास्तव/काशी

श्रीलंका में ईस्टर के मौके पर आत्मघाती आतंकी हमला ना केवल सिर्फ श्रीलंका जिसे देश के लिए सबक है बल्कि अन्य देशों के लिए भी एक सबक और चिंता का विषय है यदि इस हमले को भारत के साथ जोड़कर देखा जाए तो श्रीलंका के सेना प्रमुख महेश सेनानायके ने दावा किया है कि श्रीलंका के आत्मघाती हमले के पीछे जितने भी आतंकवादी संलग्न है उनका ट्रेनिंग भारत के कश्मीर और केरल में हुआ है हालांकि भारत ने इस दावे को गलत बताया है लेकिन फिर भी हमें इन हमलों के पीछे गंभीर चिंतन करने की आवश्यकता है । इस प्रकार के हमले जो विश्व के विभिन्न कोणों में इस्लामिक स्टेट के द्वारा कराया जा रहा है जिसमें भारत कोई अछूता देश नहीं है भारत जैसे देश में आतंकी संगठन सिर्फ कश्मीर तक ही सीमित नहीं है यह दिन-ब-दिन भारत के अन्य कौनो में भी फेलते जा रहा है जिसमें इन हमलों के पीछे का पूरा मकसद देश मैं अमन चैन की व्यवस्था को खोखला करना तथा देश की विकास को बाधा पहुंचाना और धार्मिक स्थलो को क्षतिग्रस्त करना है । जिस प्रकार से भारत में ही हाल ही के दिनों में जो आतंकवादी हमले हुए हैं चाहे वह पुलवामा का हमला हो या फिर मुंबई का 26 -11 का हमला जिसे आज भी लोग भुला नहीं सके हैं । इसलिए इस प्रकार के आतंकवादी हमले चाहे वह न्यूजीलैंड , पेशावर या फिर श्रीलंका का ही हो इन सबों को दिमाग में रखते हुए भारत को एक कड़ी सुरक्षा व्यवस्था बनाने की आवश्यकता है जिससे भारत अपने आप को पूर्ण रूप से सुरक्षित महसूस कर सकें।

See also  भारतीय संविधान : अनकही कहानी' पुस्तक पर परिचर्चा का आयोजन

शुभम कुमार राय (छात्र, सिदो – कान्हू मुर्मु विश्वविद्यालय, दुमका )

×
shares