आतंक की खेती करने वाले, पुलवामा हमला के गुनहगार मसूद अजहर संयुक्त राष्ट्र से वैश्विक आतंकी घोषित हो चुका है । पाकिस्तान से संचालित आतंकी संगठन जैश – ए – मोहम्मद के सरगना मसूद को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने के पिछले दस वर्षों में यह चौथी कोशिश थी । दरअसल, चीन संयुक्त राष्ट्र के 15 सदस्यों वाली सुरक्षा परिषद् का अकेला ऐसा देश है जो मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव का विरोध करता रहा है लेकिन इस बार भारत की बेहतरीन कूटनीति और अतंर राष्ट्रीय दबाव के चलते चीन को झूकना पड़ा और 01 मई 2019 को मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने में दुनियाभर के देशों का साथ दिया । दुनिया भर के सभी देशों ने जिस तरह से भारत का साथ दिया इससे साफ होता है कि विगत कुछ वर्षों में वैश्विक स्तर पर भारत की धाक बढ़ी है । पूरा विश्व यह जान चुका है कि भारत अब सहने के मुड में नहीं है । अगर पाकिस्तान के वजीर अब भी भारत में आतंकी हमला करने वाले संगठनों को पनाह देना जारी रखेंगे तो उनके खिलाफ जल्द ही एफएटीएफ (फाइनेंसिएल एक्शन टास्क फोर्स ) का फंदा भी तैयार हो सकता है । संभव है कि भारत एफएटीएफ में पाकिस्तान को घेरने के लिए संयुक्त राष्ट्र के इस फैसले को भी उठायेगा । भारत की लगातार कोशिशों को आतंकवाद के लिए मजबूत इच्छा शक्ति के तौर पर देखा जाना चाहिए । भारत ने पहले पाकिस्तान में घुसकर वहां के आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया और उन्हें सबक दिया कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली उसकी नीति अब नहीं चलेगी । जब भी पाकिस्तान परस्त आतंकवादी भारत में हमला करेंगे तो उसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा । भारत की कूटनीतिक कोशिशों से पाक को समझ आना जाना चाहिए कि उनका सबसे बड़ा मित्र देश भी उसके आतंकी चेहरे पर पर्दा नहीं डाल सकते ।
यूं भारत की कूटनीति में फंसा चीन
अजहर को 1994 में कश्मीर में जाली पहचान और दस्तावेजों के आरोप में गिरफ्तार किया था लेकिन 31 दिसंबर 1999 को कंधार विमान अपहरण के दौरान बंधकों की रिहाई के बदले में मसूद को मजबूरन रिहा करना पड़ा था। जैश – ए- मोहम्मद ने भारत में कई बड़े आतंकी हमले करवाए हैं, जिसमें संसद पर हमला, मुंबई पर हमला, उरी में सेना के कैंप पर हमला, जम्मू कश्मीर विधानसभा पर हमला, मजार ए शरीफ में स्थित भारतीय दूतावास पर हमला, पठानकोट हमला शामिल है। भारत लगातार इस संगठन और इसके आका मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकी घोषित करने की कोशिश करता रहा । पहले 2009, फिर अक्टूबर 2016, फरवरी 2017 और फिर मार्च 2019 में इस बाबत कोशिश की गई थी, लेकिन चीन के वीटो की वजह से यह संभव नहीं हो सका था।
इस वर्ष भी मार्च में मसूद अजहर के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में लाए गए अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के प्रस्ताव संख्या 1267 को चीन ने तकनीकी खामियों बताकर वीटो के जरिए रोक दिया था। इसके बाद अमेरिका ने चीन को इस संबंध में कड़ी आपत्ती दर्ज की थी। अमेरिका की तरफ से यह साफ कर दिया गया था कि वह इस संबंध में छह माह का इंतजार नहीं करेगा। पुलवामा हमले के बाद अमेरिका ने का कहना था कि मसूद पर प्रतिबंध लगाने का यह सबसे सही समय है, लिहाजा यह मौका किसी भी सूरत से हाथों से नहीं निकलना चाहिए। अमेरिका ने बेहद स्पष्ट शब्दों में चीन को अपनी मंशा जता दी थी। वहीं दूसरी तरफ भारत के द्वारा भी इस संबंध में लगातार चीन से संपर्क कर वहां के अधिकारियों से वार्ता की जा रही थी। इस संदर्भ में भारतीय विदेश सचिव ने अमेरिका, चीन और रूस की यात्रा की। यह भारत की कूटनीतिक चाल ही थी जिसके बाद चीन को इस बात का डर सताने लगा था कि यदि इस बार उसने पाकिस्तान का साथ दिया तो निश्चित रूप से वह अंतर – राष्ट्रीय बिरादरी में अलग-थलग पड़ जाएगा। तीन देशों के प्रस्ताव को अफ्रीकी देशों समेत यूरोपीय संघ, जापान, रूस और कनाडा का भी समर्थन हासिल था। इसके बाद भी चीन के कदम से पूरी दुनिया हैरान थी। चीन इस बात को भी समझ चुका था कि लगातार इस तरह के अडि़यल रवैये से वैश्विक मंच पर उसके खिलाफ माहौल बन रहा है, जिसको वह इस बार खत्म करना चाहता था। परिणामस्वरूप चीन ने एक मई 2019 को संयुक्त राष्ट्र के सभी देशों के साथ सुर में सुर मिलाते हुए भारत का साथ दिया । विदित हो कि सिर्फ एक मसूद के मसले पर ही चीन ने भारत की राह में रोड़ा नहीं अटकाया है, बल्कि न्यूक्लियर सप्लाई ग्रुप में शामिल होने के मुद्दे पर भी चीन ने भारत के मंसूबों पर पानी फेर दिया था ।
पुलवामा हमले के बाद से शुरू हो गई थी प्रकिया
जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर को अंतर राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने में 14 फरवरी को हुए पुलवामा आतंकी हमले ने ‘ताबूत में कील का काम’ किया। बताया जाता है कि पुलवामा हमले के बाद ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मसूद को सूचीबद्ध करने की पूरी प्रक्रिया शुरू की गई थी। इस बारे में सुरक्षा परिषद् ने कड़ा बयान जारी किया था कि इस मामले में पुलवामा लिंक बहुत साफ है। पुलवामा हमले की स्थिति मसूद अजहर के खिलाफ पर्याप्त सबूत उपलब्ध कराने वाली रही। भारत में फ्रांस के राजदूत अलेक्जेंड्रे जिग्लर ने कहा कि हमने साल 2011, 2016 और 2017 में मसूद अजहर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने के प्रस्ताव का समर्थन किया था। पुलवामा हमले के बाद हमने पहल की। यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष ने बयान जारी किया था कि हमले के गुनहगार को वैश्विक आतंकी घोषित करने पर मंजूरी दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पहली बार ऐसा हुआ है जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सभी सदस्य देश सर्वसम्मति पर पहुंचे हैं।
भारत वो कूटनीतिक कोशिशें, जिससे मसूद अजहर घोषित हुआ अंतर – राष्ट्रीय आतंकी
- पुलवामा हमले के बाद भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन व फ्रांस से की बात।
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के हर सदस्यों से किया गया संपर्क।
- हर देश को भारतीय विदेश मंत्रालय ने जैश व अजहर के आतंकी करतूतों के दिए सबूत।
- विदेश सचिव विजय गोखले की हाल की चीन यात्रा में जैश की भूमिका को लेकर फिर सौंपे गये सबूत।
- अमेरिका ने चीन को दी चेतावनी, उसके बगैर भी किसी दूसरे तरीके से प्रतिबंध लागू करने की तैयारी।
- संयुक्त राष्ट्र की तरफ से घोषित 22 आतंकी संगठन पाकिस्तान में है जबकि जितने लोगों को यूएन की विशेष समिति ने आतंकी घोषित किया है उनमें से आधे पाकिस्तानी है।
- दुनिया कर्ज में डूबे पाकिस्तान को आतंकवादियों के खिलाफ कदम उठाने के लिए मजबूर कर सकता है। अब पाकिस्तान को दिखाना होगा कि वह इन आतंकियों के खिलाफ निर्णायक व ठोस कदम उठाएगा।
- भारत पाकिस्तान के भीतर घुस कर वहां के आतंकी ठिकानों पर हमला किया और उन्हें यह सबक दिया कि आतंकवाद को बेहद कम लागत पर बढ़ावा देने की उनकी नीति अब नहीं चलेगी।
- भारत की कूटनीतिक कोशिशों से पाकिस्तान को यह बताया गया है कि उनका सबसे बड़ा मित्र देश चीन भी उनकी आतंकी चेहरे पर पर्दा नहीं डाल सकता।
- पाकिस्तान के उपर अब सबसे बड़ा खतरा एफएटीएफ की काली सूची में जाने का है जिसे पर अगले महीने फैसला हो सकता है। एफएटीए उन देशों को काली सूची में डालता है तो आतंकियों को फंड आदि मुहैया कराने के लिए सख्त कदम नहीं उठाते।
मसूद को अंतर – राष्ट्रीय आतंकी घोषित होने के बाद ये पड़ेगा प्रभाव
संयुक्त राष्ट्र फैसले के बाद अब आतंकी मसूद अजहर पर शिकंजा कसना शुरू हो जाएगा। अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित होने वाले शख्स पर कई वित्तीय पाबंदियां लगाई जाती हैं।
मसूद अजहर पर लगेंगी वित्तीय पाबंदियां
हर संपत्ति को किया जाएगा सीज
दूसरे देश की यात्रा करने पर रोक
हथियार खरिदने पर प्रतिबंध
विश्व बिरादरी ने किया फैसले का स्वागत
अमेरिका समेत दुनियाभर के देशों ने मसूद पर पाबंदी लगाने का स्वागत किया है। अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि जैश के आतंकी मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र में ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करवाने में अमेरिका के मिशन को बधाई देता हूं। यह लंबे समय से प्रतीक्षित कार्रवाई अमेरिकी कूटनीति और आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय की जीत है। दक्षिण एशिया में शांति के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र में पेश संशोधित प्रस्तावों का नए सिरे से अध्ययन करने के बाद तकनीकी रोक हटाई गई है। चीन ने यह भी कहा है कि उसे प्रस्ताव में कोई आपत्ति नहीं दिखी। चीन ने यह भी दिखाने की कोशिश की कि वह अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर सभी देशों के साथ सहयोग करने को तैयार रहता है। चीन ने अपने बयान में पाकिस्तान का भी जिक्र करते हुए कहा कि वह आतंकवाद के खिलाफ लगातार काम कर रहा है और उसके योगदान को स्वीकार किया जाना चाहिए। प्रस्ताव लाने वाले देश फ्रांस ने भी इसका स्वागत किया है।
सुरक्षा परिषद के सभी 15 देशों का मिला समर्थन
भारत की यह कूटनीतिक जीत सिर्फ चीन के मिजाज में बदलाव लाने के हिसाब से ही अहम नहीं है, बल्कि इस मुद्दे पर भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सभी 15 देशों का सहयोग हासिल किया है। यह सरकार की कूटनीतिक क्षमता को दर्शाता है। वर्ष 2009 में पहली बार भारत ने अजहर के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया था। उसके बाद चार बार ऐसा प्रस्ताव पेश हो चुका है और हर बार चीन उस पर वीटो लगाकर खारिज करवाता रहा है।
कौन है मसूद अजहर , जिस पर संयुक्त राष्ट्र ने लगाया प्रतिबंध
खूंखार आतंकी मसूद अजहर जैश-ए-मोहम्मद का मुखिया है जो पाकिस्तान के बहावलपुर का रहने वाला है। मसूद अजहर ने मार्च 2000 में हरकत-उल-मुजाहिदीन में विभाजन करावाकर यह संगठन बनाया था। मसूद अजहर को साल 1994 में श्रीनगर पर हमले की योजना बनाते हुए गिरफ्तार किया गया था। लेकिन, 1999 में कंधार विमान अपहरण कांड के बाद भारत सरकार को उसे रिहा करना पड़ा था। इसके अगले ही साल उसने जैश-ए-मोहम्मद नाम से आतंकवादी संगठन बना लिया। लेकिन, साल 2002 में पाकिस्तान सरकार ने जैश पर बैन लगा दिया। मसूद अजहर भारत में अब तक कई आतंकी वारदातों को अंजाम दे चुका है। 13 दिसंबर 2001 को मसूद अजहर ने ही भारतीय संसद पर हमला कराया था। इससे पहले अक्टूबर 2001 में ही उसने जम्मू-कश्मीर विधानसभा पर भी आतंकी हमला कराया था। 2 जनवरी 2016 को पंजाब के पठानकोट में वायुसेना की छावनी पर हुए आतंकी हमले का मास्टरमाइंड भी मसूद अजहर ही था। इसके अलावा, इसी साल 14 फरवरी को पुलवामा में सेना के काफिले पर हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी जैश ने ली थी।
पठानकोट एयरबेस पर हमले की साजिश लाहौर के पास रची गई थी। आतंकियों को ट्रेनिंग पाकिस्तान के चकलाला और लायलपुर एयरबेस पर दी गई थी। हमले के वक्त आतंकियों के चारों हैंडलर्स पाकिस्तान के बहावलपुर, सियालकोट और शकरगढ़ में मौजूद थे। जैश का सरगना मसूद अजहर, उसका भाई रउफ असगर, उनके दो साथी अशफाक और कासिम हमलावरों को आदेश दे रहे थे। 2002 में अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या का आरोप भी मसूद अजहर पर लगा था।
इसी साल 14 फरवरी को कश्मीर के पुलवामा में सेना के काफिले पर हुए आतंकी हमले की जैश-ए मुहम्मद ने जिम्मेदारी ली थी। इस हमले में सेना के 40 जवान शहीद हो गए थे। यह हमला उस वक्त हुआ, जब सीआरपीएफ के ज्यादातर जवान अपनी छुट्टिया खत्म कर वापस श्रीनगर ड्यूटी पर लौट रहे थे। आदिल अहमद डार नाम के आत्मघाती हमलावर ने इस हमले को अंजाम दिया था, जिसने विस्फोटक से भरी कार ले जाकर सीआरपीएफ के काफिले से भिड़ा दी थी।