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विकासार्थ विद्यार्थी (SFD) : परिषद् का ऐसा प्रकल्प जो आर्थिक, भौतिक विकास के साथ – साथ प्रकृति की ओर ध्यान आकृष्ट कराता है

विकासार्थ विद्यार्थी अर्थात स्टूडेंट्स फॉर डेवलपमेंट, जिसे प्रायः SFD से नाम से लोग जानते हैं, यह परिषद् का एक ऐसा प्रकल्प हो जो आर्थिक, भौतिक, मानवीय विकास से साथ – साथ प्रकृति से जुड़े उन मुद्दों की तरफ ध्यान आकृष्ट कराता है, जिनसे समान्य जनमानस प्रभावित होता है । पर्यावरण की बात करें या सतत आर्थिक विकास के नाम पर पश्चिम का अंधानुकरण की, विकासार्थ विद्यार्थी के इस मंच ने विकास के सही मायने क्या हो, प्रकृति और मानव का सह – अस्तित्व सुरक्षित कैसे रहे, इस दिशा में लोगों को सोचने के लिए प्रेरित करती है । ऊंची – ऊंची इमारतें, चमचमाती गाड़ियां, चौड़ी सड़कें, शेयर बाजार में बढ़ोतरी ही विकास है अथवा इसके परे भी विकास का मॉडल है, जो स्वदेशी और आत्मनिर्भरता के सिद्धांतों को समाहित करता है, इसके बारे में भी छात्र समुदाय को सोचने के लिए प्रेरित करना विकासार्थ विद्यार्थी का उद्देश्य है ।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के आयाम प्रमुख नागराज रेड्डी बताते हैं कि देश की प्रगति का मॉडल क्या हो ? देशे कैसे और किस तरह तरक्की करें कि वह सतत विकास के साथ – साथ पर्यावरण संरक्षण पर भी बल दे सके, इस उद्देश्य के साथ 1990 में विकासार्थ विद्यार्थी यानी SFD रूपी मंच की स्थापना हुई । आज देश के लगभग सभी इकाईयों में SFD का काम है, जो ‘जन चेतना से शाश्वत विकास’ के मूलमंत्र को लेकर जल, जमीन, जन, जानवर और जंगल पर केन्द्रित कार्य कर रही है । पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता, वैकेल्पिक ऊर्जा के स्रोत, वृक्षारोपण, जल संचयन, अनुभूति आदि विषयों पर जागरूकता के साथ – साथ सामाजिक मुद्दों पर भी SFD मुखर रहती है । SFD के कार्यों का उल्लेख करते उन्होंने कहा कि 1990 में विभिन्न कथित स्वयंसेवी संस्था, बुद्धिजीवियों के द्वारा नर्मदा बचाओ अभियान चलाया, उस समय SFD ने इस आंदोलन को रचनात्मक रूप से लिया और सकारात्मक और नकारात्मक दोनो पहलुओं पर सर्वे करना शुरू किया । इस बांध के बनने से क्या – क्या लाभ हो सकता है, बांध की तकनीकी खामियों का अध्ययन कर सरकार और समाज को बताने का काम किया । हम सिर्फ विरोध के लिए विरोध नहीं करते हैं । पांच साल पहले SFD के द्वारा नर्मदा अध्ययन यात्रा की शुरूआत की गई । अमकटंक ( उद्गम स्थल ) से लेकर भरूच तक हमने नर्मदा की यात्रा की और प्रदूषण स्तर, भू – स्खलन, मिट्टी का कटाव, वृक्षों की स्थिति, सिवेज इत्यादि पर अध्ययन कर एक रिपोर्ट तैयार की और न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल किया । SFD की याचिका पर न्यायालय ने मध्य प्रदेश सरकार को तलब किया और प्रत्येक महीने नर्मदा के प्रदूषण इत्यादि पर अदालत को रिपोर्ट सौंपने को कहा है । हांलाकि अभी कोई अंतिम फैसला नहीं आया है लेकिन SFD के प्रयास के कारण यह मुद्दा जन-आंदोलन का रूप ले चुका है । इसी तरह बैंगलुरू में हम कैंपस टू कम्यूनिटी प्रोग्राम चलाते हैं जो पूर्णतया कैंपस से छात्रों को प्रकृति और समाज से जोड़ने का काम करती है । सॉलिड वेस्ट मैंनेजमेंट, जल संचयन, शिक्षा इत्यादि को लेकर साल में दो बार इंटर्नशिप प्रोग्राम चलाते हैं जिसमें भारी संख्या में छात्र भाग लेते हैं, ठीक इसी प्रकार SFD के द्वारा बैंगलुरू में ही आईडिया कॉन्कलेव की शुरूआत की गई, जिसके तहत बैंगलुरू को और बेहतर व सुंदर बनाने के लिए लोगों के विचार लिये जाते हैं । स्थान और परिस्थिति के अनुसार देश भर में हमारा काम चलते रहता है  जैसे अभी गर्मी का मौसम है तो SFD के द्वारा पक्षी बचाओं अभियान के तहत मिट्टी के बर्तन में जगह – जगह पानी डालना, पौध रोपण अभियान चलाया जा रहा है । सामाजिक संवेदना को जागरूक करने के उद्देश्य से अनुभूति चलाया जाता है । हम पाश्चात्य की तरह विकास करने पर विश्वास नहीं करते बल्कि भारतीय संस्कृति और प्रकृति पूजन परंपरा के साथ विकास चाहते हैं ताकि आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ बचे न कि वर्तमान पीढ़ी ही सब खत्म कर दे । आगामी योजना के बारे में पूछे जाने पर श्री रेड्डी ने कहा कि दिल्ली में यमुना को बचाने एवं जल संरक्षण को लेकर वार्षिक अभियान चलाने वाले हैं, ऐसे ही ठोस अपशिष्ट पदार्थों के पुनर्उपयोग के लिए इंदौर में  सॉलिड वेस्ट मैंनेजमेंट कार्यशाला करने वाले हैं । मुंबई और पुणें में SFD के द्वारा वैकेल्पिक ऊर्जा पर काम होना है और बैंगलुरू में ग्रीन एनर्जी पर अभियान चलाने वाले हैं । देश भर विभिन्न  गतिविधियों के द्वारा हम समाज को प्रकृति के प्रति जागरूक करने का प्रयास  करते हैं ।

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