नवी मुंबई (मराराष्ट्र) के समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता सागर रेड्डी का चयन ‘प्रा. यशवंत राव केलकर युवा पुरस्कार 2019’ हेतु चयन किया गया है । सागर रेड्डी को यह पुरस्कार 18 वर्ष से अधिक के अनाथों की देखभाल, आत्मसम्मान एवं उनके विकास के कार्यों की प्रशंसा और सम्मान हेतु दिया जा रहा है । यह पुरस्कार प्रा. यशवंत राव केलकर, जिन्होंने दुनिया के सबसे बड़े छात्र संगठन अभाविप के शिल्पकार के रूप में उसका विस्तार करने में महत्वपूर्व योगदान रहा रहा है, उनकी स्मृति में दिया जाता है । यह पुरस्कार 1991 से प्रतिवर्ष दिया जा रहा है । यह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद तथा विद्यार्थी निधि न्यास का संयुक्त उपक्रम है, जो शिक्षा और छात्रों के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है ।
श्री सागर को वर्ष 2019 का युवा पुरस्कार दिनांक 22 से 25 नवंबर 2019 को आगरा (ब्रज) में होने वाली अभाविप की राष्ट्रीय परिषद् ( 65 वें राष्ट्रीय अधिवेशन ) में दिनांक 25 नवंबर को प्रातः 11:30 बजे आयोजित प्रा. यशवंतराव केलकर युवा पुरस्कार वितरण समारोह में प्रदान किया जायेगा । विभिन्न समाज उपयोगी काम करने वाले युवा सामाजिक कार्यकर्ताओं के कार्य को प्रोत्साहन देने हेतु समाज के सम्मुख लाना, ऐसे युवाओं के प्रति समूचे युवा वर्ग की कृतज्ञता प्रकट करना और देश के सभी युवाओं में ऐसे काम करने की प्रेरणा उत्पन्न करना यह इस युवा पुरस्कार का प्रयोजन है । इस पुरस्कार में एक लाख रूपये की राशि प्रमाणपत्र एवं स्मृतिचिह्न समाविष्ट है ।
सरकार द्वारा चलाए जा रहे अनाथालयों के नियम के अनुसार उनमें रहने वाले बच्चों की देखभाल 18 वर्ष की उम्र तक ही किया जा सकता है । 18 वर्ष पूर्ण होने के उपरांत उन्हें उस संस्था से निकाल दिया जाता है और यह मान लिया जाता है कि वे बच्चे अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर सकते हैं, किंतु विडंबना यह है कि उन अनाथ बच्चों को जीवन के उस मोड़ पर लाकर पटक दिया जाता है जब उन्हें संस्था और समाज की सबसे ज्यादा जरूरत होती है । क्योंकि यही वह समय है जब उन्हें ना तो दुनिया की पहचान होती है और ना ही समाज की समझ । कब वह अपराध की दुनिया में पहुंच जाते हैं पता ही नहीं चलता । अपराध और वेश्यावृत्ति इनकी नियति बन जाती है ।
हमारी संस्कृति में ऐसी मान्यता है कि भगवान हर रूप में आते हैं । भारतीय चिंतन परंपरा का मूल आधार ही आशावादी होना है । ऐसे ही हजारों अनाथों के लिए आशा की किरण बनकर सागर रेड्डी उभरे हैं जो समाज के लिए प्रकाश स्तंभ है । एक वर्ष की आयु में अपने माता – पिता को खो देने वाले सागर रेड्डी का बचपन अनाथालय में बीता । अनाथालय में पले बढ़े सागर रेड्डी पढ़ाई में होशियार थे, किंतु समय का चक्र पूरा होते ही उन्हें अन्य बच्चों की भांति आश्रम से निकाल दिया गया । आश्रम से निकाले जाने के बाद उनके मन में अनेंकों विचार आए इसमें से आत्महत्या करना भी शामिल है । किंतु जीवन जीने की अपार जिजीविषा लिए किसी तरह स्वप्नों के शहर मुंबई पहुंचे।
मुंबई में दो – चार साल तक जीवन जीने के लिए अच्छे – बुरे काम करते रहे, कि अचानक उनकी भेंट एक सज्जन पुरुष से हो जाती है, जो इनके जीवन के हर प्रकार की जिम्मेदारियों को उठाता है । कहते हैं ‘डूबते को तिनके का सहारा काफी होता है ।’ सागर रेड्डी के जीवन में वह व्यक्ति तिनके का सहारा बनकर आता है और यहीं से सागर रेड्डी के जीवन में बदलाव आता है । जब वह मुंबई के चेंबूर में स्वामी विवेकानंद इंजिनियरिंग कॉलेज से शिक्षा पूर्ण करने के बाद एल.टी. में अभियंता की नौकरी करते हैं । यहां होनी को तो कुछ और ही मंजूर था । नौकरी के बाद पहली बार आश्रम आने पर उन्हें अहसास हुआ कि हर सागर के किस्मत में दयावान व्यक्ति नहीं आता । कल आश्रम से निकलने वाले बच्चों का क्या ? यह प्रश्न उनकी आत्मा को अंदर तक झकझोर दिया और यहीं से सागर रेड्डी अनाथ बच्चों के माता – पिता बनने का प्रण किया ।
भायखला के पठान चाल के किराये के कमरों में 72 अनाथ बच्चों से शुरू हुआ सागर रेड्डी का यह कार्य आज औरंगाबाद, बैंगलुरु, हुबली, रायचूर, हैदराबाद आदि स्थानों पर कार्यरत है । अभी तक इस संस्था के माध्यम से 1125 अनाथ बच्चों को आत्मनिर्भर, 700 बच्चों को नौकरी के योग्य, यही नहीं 60 से अधिक युवतियों का कन्यादान कर पिता का धर्म भी निभाया है । आज निराधार संघ में 600 से अधिक अनाथ बच्चे अपना जीवन संवार रहे हैं । सागर के अनवरत, अकथ प्रयास का ही फल है कि 17 जनवरी 2018 को महाराष्ट्र सरकार ने अनाथ बच्चों के लिए सरकारी नौकरी में 1% का आरक्षण पारित किया । यह आरक्षण निराधारों के लिए प्रकाशपूंज है ।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. एस. सुबैय्या एवं राष्ट्रीय महामंत्री आशीष चौहान ने प्रा. यशवंत राव केलकर युवा पुरस्कार प्राप्तकर्ता सागर रेड्डी को बधाई दी और उनके उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी ।