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राष्ट्र प्रथम हो ध्येय हमारा

अर्जुन तिवाड़ी

भारत को सोने की चिड़िया वाला देश कहा जाता था। यह वही देश है जिस पर पूरी दुनिया की नजर टिकी रहती है, जिसने  वर्षों से  सभी का नेतृत्व किया है और हमने हमेशा भारत को राष्ट्र की उपाधि दी है क्योंकि देश एक निश्चित भौगोलिक सीमाओं में लिपटकर रह जाता है परंतु राष्ट्र की कोई निश्चित भौगोलिक सीमाएं नहीं होती। उसका संस्कृति से संबध होता है और हमारी संस्कृति सबको साथ लेकर चलने वाली है।

आज पूरा राष्ट्र कोरोना रूपी वैश्विक महामारी से लड़ रहा है। मन में भय है कि कहीं हमारे देश के लोग इस कोरोना से लड़ते – लड़ते कमजोर ना पड़ जाए। क्योंकि हमारे यहां एक राजनीतिक दृष्टिकोण भी हैं  जो सबको प्रभावित करता है। बहुत सारे राजनेता इस महामारी में भी एक दूसरे की टांग खिंचाई में लगे हुए हैं साथ ही एक दूसरे पर आरोप – प्रत्यारोप से भी बाज नहीं आ रहे हैं। देश के सामान्य जीवन जीने वाले लोग, श्रमिक, किसान, उद्योगपति समेत गरीबी में गुजर – बसर करने वाले यानी झुग्गी – झोपड़ी या कच्ची बस्ती में रहने वाले लोग, देश की राजनीतिक परिदृश्य से इतने प्रभावित हो जाते हैं कि अफवाह मात्र से अपने जीवन के साथ समझौता करने के लिए तैयार हो जाते हैं। मैं ध्यान आकर्षित कर रहा हूं श्रमिकों पे  जो इतनी बड़ी चिंता में है कि अब हमारा  क्या होगा ? वे सैकड़ों किलोमीटर पैदल यात्रा करके अपने घरों को जाने के लिए तरस रहे हैं उनकी चिंता स्वाभाविक है परंतु इन विषयों पर राजनीति करना बहुत गलत है। आज हम सभी को  देश के बारे में सोचना पड़ेगा। आज हमें हमारे देश में कोई गरीब ना हो कोई बेरोजगार ना  हो यह भारत वह भारत बने जिसने पूरे विश्व का नेतृत्व किया है पूरी दुनिया को ज्ञान दिया है।

आज हमें सिर्फ “राष्ट्र प्रथम” का ही नारा लगाना है। परिस्थितियां चाहे जैसी हो देश के बारे में कुछ न गलत सुनेंगे और ना ही  किसी को गलत बोलने देंगे। हमारा कर्तव्य है कि देश के लोगों के बीच महामारी के प्रति नकारात्मक सोच पैदा न होने दे। हमारे देश के प्रधानमंत्री ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ का नारा दिया है। यह एक नारा नहीं है अपितु देश को अपने पैरों पर खड़े करने का मुहिम है और यह तभी सफल होगा जब हम आत्मनिर्भर होंगे। हम किसी भी बाहरी वस्तु का बहिष्कार  करेंगे और देश में हमारे मजदूरों द्वारा बनी हुई वस्तुओं का उपयोग करेंगे तो हमारे देश के लोग आत्मनिर्भर होंगे। हमारे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। प्रत्येक नौजवान के पास काम होगा तो एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप की जगह हमारे देश के राजनेता देश की स्थिति एवं देश के बारे में सोचने लगेंगे। अच्छी स्वस्थ  चर्चाएं देश में करना चालू करेंगे तो हमारा वातावरण बहुत जल्दी परिवर्तन होगा फिर हम किसी भी  देश से पीछे नहीं होंगे।

कोरोना महामारी में कोरोना योद्धा डॉक्टर, सफाई कर्मचारी, पुलिस एवं समाजसेवी संस्थाओं ने राष्ट्र प्रथम का नारा प्रदर्शित किया है। हम अपनी जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हटे सभी अपनी जिम्मेदारियों में लगे हुए हैं डॉक्टर और पुलिस कर्मचारियों को तो अपने घरवालों से मिले ही काफी समय हो रहा है वे लोग खुद की चिंता को छोड़कर सिर्फ और सिर्फ देश हित की चिंता में लगे हुए हैं। यह महामारी युद्ध की तरह है इससे लड़ाई लड़ते – लड़ते कुछ लोग खुद इस महामारी की चपेट में आ रहे हैं, हमें उसकी चिंता करनी होगी। वास्तव में अगर आज हम सभी लोग खुद के बारे में सोचने से ज्यादा देश के बारे में सोचें तो हम जल्दी ही विश्व गुरु बनेंगे और हमारा राष्ट्र प्रथम का  ध्येय पूरा होगा।

(लेखक अभाविप जयपुर प्रांत के प्रांत संगठन मंत्री हैं।)

 

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