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रुपये या साग-सब्जी के माध्यम से संक्रमण की संभावना नहीं : डॉ कन्नान

छात्रशक्ति डेस्क

गुवाहाटी। रविवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के असम विश्वविद्यालय ईकाई के फेसबुक लाइव में वरिष्ठ कैंसर विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ रवि कन्नान ने कहा कि कोरोना विषाणु से भयभीत होकर घर पर रहने से नहीं होगा, इसे लेकर हमें जीवित रहना होगा। जितने दिन तक हम सामाजिक दायित्व लेकर कार्य करते रहेंगे उतने दिन तक हम इस विषाणु को नियंत्रण में रख सकते हैं। “सोसियल हेविट्स एंड ह्युमेनिटि” के ऊपर बोलते हुए डॉ कन्नान ने कहा परिवार एवं स्वयं को सुरक्षित रखना मात्र सरकार – प्रशासन का दायित्व नहीं हैं, हमारा स्वयं का भी हैं। उन्होंने कहा सम्पूर्ण विश्व अभी कठिन समय से संघर्ष कर रहा हैं। इस समय की कोई धारणा या वास्तविक अनुभव हमारे पास नहीं हैं। इस परिस्थिति से विश्व को कब मुक्ति मिलेगा यह बोलना भी कठिन हैं। कोरोना विषाणु लेकर हमें जीना हैं एवं दैनिक जीवन में परिवर्तन लाना होगा। जिम्मेदार नागरिक के रूप में हमें कार्य करना होगा तब जाकर इस विषाणु को नियंत्रण में रखना संभव हैं। डॉ कन्नान ने कहा समाज को सुरक्षित रखना हम सभी का दायित्व है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सामाजिक दूरी मानकर हम सभी मुखच्छद व्यवहार करें। कोरोना संक्रमण के विषय में डॉ कन्नान ने कहा कि  खांसी के साथ श्वासनली द्वारा फेंफड़े में जाकर यह विभिन्न प्रकार के संक्रमण करता हैं। तीन फीट दूरी पर भी इस संक्रमण की संभावना हैं। फलस्वरूप सामाजिक दूरी पालन करना अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि बहुत लोग यह मानते हैं कि कोरोना कोई नया विषाणु हैं। उनके अनुसार इस विषाणु की उत्पत्ति 1930 में हुआ था। किसी प्रयोगशाला में इस विषाणु की उत्पत्ति नहीं हुई हैं। उनका मानना है पशु से इस विषाणु की उत्पत्ति हुई है।

बहुत लोग यह मानते हैं कि तुलसी, हल्दी एवं अदरक खाने से इस विषाणु से बचना संभव हैं। डॉ कन्नान ने ऐसा कोई उदाहरण नहीं है जिससे कोरोना विषाणु से पीड़ित व्यक्ति स्वस्थ्य हुआ है। हालांकि उन्होंने यह सब खाने से मना नहीं किया हैं। उन्होंने बताया केवल भारत में ही नहीं सम्पूर्ण विश्व में 100 से अधिक स्थानों पर कोरोना प्रतिषेधक का कार्य चल रहा है। उनका मानना है कि दो से ढाई वर्ष पूर्व इसकी प्रतिषेधक तैयार होने की कोई संभावना नहीं है।

कन्नान ने कहा रुपये, पत्रिका या साग-सब्जी में कोरोना विषाणु के संक्रमण की कोई संभावना नहीं है,  उन्होंने कहा कि प्लास्टिक या कांच द्वारा निर्मित वस्तुओं में यह विषाणु दो से तीन दिन तक रह सकता हैं। डॉ कन्नान ने सभी को सतर्क किया कि वयस्क लोगों में इस विषाणु संक्रमण की संभावना अधिक हैं। उन्होंने कहा नियमित रूप से व्यायाम, स्वस्थ्य भोजन, मुखच्छद परिधान करना एवं सामाजिक दूरी पालन करने से इस विषाणु से रक्षा संभव हैं। उन्होंने महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों से आह्वान किया कि इस महामारी के समय सामाजिक दायित्व लेकर समाज एवं देश के लिए कार्य करने के लिए। इस क्षेत्र में उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की प्रशंसा की। डॉ कन्नान कोरोना से लड़ने के लिए भारत सरकार की समयोचित कदम की भी सराहना की।

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