कोविड-19 संक्रमण के कारण विगत दो साल से महाविद्यालय-विश्वविद्यालय बंद हैं, जिसका सीधा असर छात्रों की पढ़ाई-लिखाई पर पड़ा है। कोरोना का रफ्तार कम हुआ है और धीरे-धीरे जनजीवन समान्य होने लगा है। सार्वजनिक स्थानों को पुनः खोला जा रहा है ऐसे में महाविद्यालय-विश्वविद्यालय को बंद रखना अनुचित ही है। हालांकि कई शैक्षणिक संस्थान खोले जा चुके हैं। इसी कड़ी में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने दिल्ली विश्वविद्यालय(डीयू) को खुलवाने के लिए आंदोलन शुरू कर दिया और भूख हड़ताल पर बैठ गये।अभाविप के बढ़ते विरोध को देखते हुए विश्व विद्यालय प्रशासन ने छात्रों के लिए शैक्षिक परिसर खोलने का निर्णय लिया। 8 फरवरी से अभाविप तथा डूसू के कार्यकर्ता उत्तरी परिसर में अनिश्चित कालीन अनशन पर बैठे थे। एक हज़ार छात्रों से अधिक ने अकादमिक कौंसिल की मीटिंग के बाहर प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन के उपरांत दिल्ली विश्विद्यालय की प्रॉक्टर प्रो रजनी अब्बी, डीन स्टूडेंट्स वेल्फ़ेर पंकज अरोरा तथा रजिस्ट्रार विकास गुप्ता ने प्रदर्शन कर रहे अभाविप तथा डूसू के पदाधिकारियों से बात की तथा अनशन तुड़वाया तथा परिसर को 17 फरवरी से खोलने की घोषणा भी की। डूसू अध्यक्ष के नाम पर विश्वविद्यालय ने लिखित रूप से परिसर खोलने का पत्र सौंपा एवं शाम तक सभी दिशानिर्देश जारी करने की बात कही। इसके उपरांत अनशन पर बैठे 10 छात्रों को जूस पिला कर उनका अनिश्चित क़ालीन अनशन पूर्ण कराया गया।
प्रदर्शन के दौरान उपस्थित अभाविप के राष्ट्रीय मीडिया संयोजक तथा दिल्ली के प्रांत मंत्री सिद्धार्थ यादव ने कहा कि हम दिल्ली विश्वविद्यालय को खुलवाने को लेकर विगत तीन दिनों से लगातार प्रदर्शन कर रहे थे जिसमें हमारे कार्यकर्ता कल से अनशन पर भी बैठे हुए थे। अभाविप पिछले दो सालों से कैम्पस को खुलवाने की लड़ाई लड़ रहा है और हमें ख़ुशी है की यह लड़ाई पूरी हुई। यह विश्वविद्यालय के प्रत्येक छात्र की जीत है। विश्वविद्यालय खुलने की सभी छात्रों को हम बधाई देते हैं।