अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सात दशकों की यात्रा को दर्शाती पुस्तक ‘ध्येय यात्रा’ का विमोचन गुरुवार को दिल्ली के अम्बेडकर इंटरनेशनल भवन में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसाबले द्वारा किया गया। विमोचन कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथियों में पूर्व चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा, संघ के प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर, अभाविप के राष्ट्रीय अध्यक्ष छगन भाई पटेल व अभाविप की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी भी उपस्थित रहीं।
पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में अन्य अतिथियों के रूप में समाज के बहुत से प्रबुद्ध जन उपस्थित रहे। सामाजिक क्षेत्र के बड़े नाम, विभिन्न विश्वविद्यालय के कुलपति, वरिष्ठ पत्रकार, बहुत से देशों के राजदूत, अभाविप के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, माहमंत्री के साथ विभिन्न सामाजिक क्षेत्रों में अपने कार्य से ऊंचाई हासिल किए सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।
छात्र संगठन के 75 साल के इतिहास को बयां करने वाली दो पुस्तकों के एक संग्रह के विमोचन पर बोलते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह एवं अभाविप के पूर्व राष्ट्रीय संगठन मंत्री दत्तात्रेय होसबाले ने विद्यार्थी परिषद को राष्ट्रवाद की मशाल बताया। होसबाले ने किसी संगठन का नाम लिए बिना कहा कि हर छात्र संगठन स्वभाव से ही सत्ता विरोधी होता है। इसमें कोई संदेह नहीं है। कई बार युवा पीढ़ी को लोगों के कल्याण के लिए सरकार के खिलाफ आवाज उठानी पड़ती है, लेकिन इसे (छात्र संगठन) देश के टुकड़े-टुकड़े करने का आह्वान नहीं करना चाहिए। अपने भाषण की शुरूआत में उन्होंने कहा कि मैं आपलोगों के समक्ष क्या कहूं, सुनील अरोड़ा जी की तरह चुनाव आयोग का आयुक्त तो नहीं रहा, मुझे भाषण करना भी नहीं आता। श्री होसबाले ने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त को संबोधित करते हुए कहा कि आपने भारतीय लोकतंत्र की रक्षा की। वहीं यहां पर बैठे लोगों ने हर समय, हर संभव, हर स्थिति में जमीन पर बैठकर लोकतंत्र की रक्षा करने का काम किया। चुनाव लोकतंत्र का एक रास्ता है लेकिन एक मात्र रास्ता नहीं है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ऐतिहासिक सात दशक की जीवन गाथा पर केन्द्रित ‘ध्येय यात्रा’ का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ‘ध्येय यात्रा’ का प्रकाशन कोई आत्मस्तुति के लिए नहीं किया गया है बल्कि इसके पीछे का उद्देश्य है कि आगामी कार्यकर्ताओं को कार्य की प्रेरणा और आधार मिल सके तथा एक छात्र संगठन का जो विशिष्ट दर्शन अभाविप ने विकसित किया है, उससे लोग परिचित हो सकें और उसे समझ सकें। उन्होंने कहा कि छात्र आंदोलन का इतिहास लिखने वालों ने अभाविप के साथ न्याय नहीं किया है। हम इतिहास लिखने वालों में नहीं बनाने वाले हैं। स्थापित सत्ता के विरूद्ध आवाज युवा उठाता है परंतु ये देश के टुकड़े – टुकडे करने के लिए नहीं है। समाज के प्रति विद्यार्थी का क्या कर्तव्य है, ऐसे आंदोलन को खड़ा करने का काम विद्यार्थी परिषद ने किया है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी परिषद प्रवाहमान छात्र संगठन का स्थायी संगठन है। केरल के पूर्व मुख्यमंत्री नंबूदिरीपाद का के बारे में उल्लेख करते हुए कहा कि नंबूदिरीपाद जी ने अपने जीवन के सांध्य बेला में स्वीकार किया है कि छात्र संगठनों को राजनीतिक दल का अंग बनना भूल थी। छात्रों को सिर्फ मांग नहीं बल्कि योगदान भी करना चाहिए। श्री होसबाले ने कहा कि नंबूदिरीपाद जी ने जो बाते अपने जीवन के सांध्यबेला में कही उसका पालन विद्यार्थी परिषद दशकों पहले से करती आ रही है। मन को, भावनाओं को, राज्य को, परिवारों को, भाषा को आपस में जोड़ने के लिए अभाविप ने अंतर राज्य छात्र जीवन दर्शन प्रकल्प की शुरूआत की।
सरकार्यवाह होसबाले ने कहा कि विद्यार्थियों को देश के साथ, यहां की मिट्टियों के साथ जोड़ना चाहिए इस हेतु विद्यार्थी परिषद ने विचार किया और केवल आंदोलन और घेराव ही नहीं किया बल्कि अपने रचनात्मक कार्यों के माध्यम से संवेदन जगाने का काम किया। श्री होसबाले बिना किसी संगठन का नाम लिए निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें समाज के प्रति द्वेष नहीं रखना चाहिए और सभ्यता के प्रति नफरत नहीं फैलानी चाहिए। उन्हें समाज में अराजकता पैदा करने का काम नहीं करना चाहिए। क्रांति के नाम पर उन्हें देश में रक्तपात की बात नहीं करनी चाहिए। क्या वे अपने ही लोगों को मारकर क्रांति ला सकते हैं? देश भर के विश्वविद्यालयों में ऐसी ताकतों को रोकने के लिए जो बंदूक के इशारे पर क्रांति लाना चाहते हैं, अभाविप कार्यकर्ताओं ने अपने जीवन का बलिदान दिया है। उन्होंने कहा कि हर छात्र संगठन बदलाव लाना चाहता है लेकिन इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए वह जिस रास्ते को चुनता है वह महत्वपूर्ण है। छात्र संगठनों को समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना के साथ रचनात्मक तरीके से काम करना चाहिए और राष्ट्र निर्माण के लिए काम करना चाहिए। आज विश्वविद्यालयों के अंदर देश को तोड़ने की इच्छा रखने वाली ताकतों द्वारा नारे लगाए जाते हैं। ऐसी ताकतें देश का आत्मविश्वास तोड़कर उसका मनोबल गिराना चाहती हैं। इन सबके बीच यह महत्वपूर्ण है कि एक संगठन (अभाविप) राष्ट्रवाद की मशाल लेकर उत्साह के साथ आगे बढ़ता है और राष्ट्र निर्माण व समाज के समग्र कल्याण की दिशा में काम करता है।
अभाविप के सात दशक यात्रा पर केन्द्रित ‘ध्येय यात्रा’ पुस्तक का लोकापर्ण 15 अप्रैल को दिल्ली के अबंडेकर इंटरनेशनल सेंटर किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा एवं रा.स्व. संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर, अभाविप के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रा. छगन भाई पटेल, महामंत्री निधि त्रिपाठी, दिल्ली प्रांत अध्यक्ष अभिषेक टंडन, प्रांत मंत्री अक्षित दहिया और प्रभात प्रकाशन के निदेशक प्रभात कुमार थे। बता दें कि ‘ध्येय यात्रा’ पुस्तक का प्रकाशन प्रभात प्रकाशन ने किया है एवं इस पुस्तक को मनोजकांत, प्रदीप राव एवं उमेन्द्र दत्त ने संपादित किया है। पुस्तक को दो खंडो में प्रकाशित किया है। लगभग 800 पृष्ठों में छपे इस पुस्तक में विद्यार्थी परिषद के स्थापना काल से लेकर वर्तमान तक के यात्रा को समाहित किया गया है। पुस्तक में बारे में बताते हुए मनोजकांत बताते हैं कि पुस्तक को लिखने के पहले कई उतार – चढ़ाव आये। विश्व के सबसे बड़े छात्र संगठन के इतिहास को दो खंडो में समाहित कर पाना मुश्किल भरा कार्य था। पुस्तक में परिषद के द्वारा अलग – अलग कांल खंडों में किये विभिन्न आंदोलनात्मक, रचनात्मक, प्रतिनिधित्वात्मक कार्यों का उल्लेख किया गया है। पुस्तक को संपादित करते समय परिषद के सभी कार्यकर्ताओं का अभूतपूर्व सहयोग और मार्गदर्शन मिला। सबके प्रति मैं कृतज्ञ हूं, जिन्होंने मुझे अवसर दिया। मंच का संचालन अभाविप, दिल्ली के प्रांत अभिषेक टंडन ने किया, वहीं स्वागत भाषण प्रभात प्रकाशन के निदेशक प्रभात कुमार ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन अभाविप दिल्ली प्रांत मंत्री अक्षित दहिया ने किया। कार्यक्रम के दौरान समाज जीवन में उल्लेखनीय कार्य करने वारे परिषद के पुरातन कार्यकर्ता मिलिंद कोंबले, आशा लकड़ा, रश्मि दास, ताना निम्हें, इम्तियाज अली, मणीराम एवं मल्लिका नड्डा को मंच पर बुलाकर सम्मानित किया गया एवं उनके कार्यों से सभी को परिचित करवाया।
ठहरा हुआ इतिहास नहीं है विद्यार्थी परिषद : सुनील आंबेकर
ध्येय यात्रा पुस्तक के बारे में बताते हुए अभाविप के पूर्व राष्ट्रीय संगठन मंत्री व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि यहां पर जितने लोग बैठे हैं सभी ध्येय यात्री हैं। इस पुस्तक के बारे में कार्य योजना की शुरूआत 1998 में हुई, उसके बाद रोज नये – नये अध्याय जुड़ते गये। विद्यार्थी परिषद के कार्यों को दो खंडों और 800 पन्नों में समेट पाना असंभव है। आने वाले दिनों में इसके खंड तीन, चार आते रहेंगे। इसके विद्यार्थी परिषद ठहरा हुआ इतिहास नहीं है लगातार परिषद के आयाम बढ़ रहे हैं। नए – नए समाज जीवन के विषयों पर आंदोलन जारी है, जो यह विद्यार्थी परिषद की यात्रा के साथ एक ध्येय जुड़ा है, हम सब उसके यात्री हैं। इस सतत प्रवाह का रूपांतरण करने का प्रयास पुस्तक में किया गया है। आने वाली पीढ़ियों को विद्यार्थी परिषद ने दिशा दी है। आगे भी यह पुस्तक युवाओं का मार्गदर्शन करेगी। सतत प्रवाह का रूपांतरण करने का प्रयास इस पुस्तक किया गया है।
विमोचन कार्यक्रम के दौरान उपस्थित सुनील आम्बेकर, अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कहा कि, “विद्यार्थी परिषद ठहरा हुआ इतिहास नहीं है, लगातार परिषद के आयाम बढ़ रहे हैं। नए नए समाज जीवन के विषयों पर आंदोलन जारी है. जो यह विद्यार्थी परिषद की यात्रा के साथ एक ‘ध्येय’ जुड़ा है, हम सब उसके यात्री बन गए हैं। इस सतत प्रवाह का रूपांतरण करने का प्रयास पुस्तक में किया गया है।
सीखने का मंच है विद्यार्थी परिषद : सुनील अरोड़ा
विशिष्ट अतिथि पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कि 30-40 साल सरकारी कार्य में रहा। साढ़े तीन साल निर्वाचन आयुक्त रहा। बहुत दिनों के बाद मैं किसी मंच पर बोलने के लिए आया हूं। यहां आकर मुझे लग रहा है कि यह सीखने का मंच है। इस दौरान उन्होंने कोरोना के दौरान कराये गये चुनाव का उल्लेख किया। अपने भाषण के अंतिम में परिषद कार्यकर्ताओं के उत्साह को बढ़ाते हुए महान क्रांतिकारी महावीर सिंह के जीवनी पर लिखे कुछ पंक्तियों का उल्लेख करते हुए कहा कि जब देश सेवा के लिए आगे बढ़ चुके हो तो किसी कीमत तक अपने कदम पीछे मत खींचना। काकोरी घटना को याद करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय समाज के स्वभाव में समसरता है, काकोरी घटना बिना किसी मंडल के भारतवर्ष के सभी समुदायों ने भाग लिया था।
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कि, “विद्यार्थी परिषद बोलने का नहीं अपितू सीखने का मंच है। हम भारतीय छात्र आज विश्व के श्रेष्ठ स्थानों पर हैं परंतु हमारी कमजोरी यह है कि हम भावुक हो जाते हैं। जब आत्मनिर्भरता की भावना सभी जगह पहुंच जाएगी तब सारी समस्याएँ समाप्त होंगी।
अभाविप ने प्रत्येक कालखंड में समाज को नई दिशा दी : पटेल
ध्येय यात्रा पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के प्रस्तावना पर बोलते हुए अभाविप के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. छगन भाई पटेल ने कहा कि ध्येय यात्रा के रूप में प्रकाशित यह पुस्तक कार्यकर्ताओं के लिए ग्रंथ से कम नही है। यही कारण है कि पुस्तक के प्रकाशन के पूर्व ही लोगों ने बढ़ चढ़कर अपना अग्रिम पंजीकरण करवाया। मेरे विचार से इस पुस्तक को प्रत्येक परिसर में रहना चाहिए। शोधार्थियों के लिए यह उपयुक्त पुस्तक है। यह पुस्तक कार्यकर्ताओं के भीतर प्रेरणा जगाने का कार्य करेगी। अभाविप की यात्रा को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि परिषद ने प्रत्येक कालखडं में समाज को नई दिशा दी है। उन्होंने कहा कि जो संकल्प, जो पद्धति हमने आरम्भ में लिया गया था, आज विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के संकल्प को आगे बढ़ा रहे हैं।
हिंदी प्रकाशन के इतिहास में ध्येय यात्रा ने रचा कीर्तिमान : प्रभात कुमार
प्रभात प्रकाशन के निदेशक प्रभात कुमार ने कहा कि मैं सौभाग्यशाली कि परिषद ने ध्येय यात्रा के लिए प्रभात प्रकाशन को चुना है। उन्होंने कहा कि हिंदी प्रकाशन के इतिहास में पहली बार हुआ जब किसी पुस्तक के प्रकाशन के पूर्व ही सवा लाख से अधिक प्रतियां बिक जाय। इससे पूर्व समारोह में अतिथियों का अभिवादन किया। बता दें कि ध्येय यात्रा को प्रभात प्रकाशन ने प्रकाशित किया है।
वटवृक्ष बनकर 35 लाख सदस्यों के साथ विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन बन चुका है परिषद : निधि
अभाविप की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी ने कहा कि ध्येय यात्रा एक ऐसी पुस्तक है जो 75 वर्षों के इतिहास को संकलित करने वाली पुस्तक है। 11 सितंबर की कश्मीर रैली, 1980 में शिक्षा के भारतीयकरण के लिए आंदोलन का ही नतीजा है कि आज 370 जैसी समस्याएं समाप्त हो चुकी है और राष्ट्रीय शिक्षा नीति का कार्यान्वयन हो चुका है।
गुजरात मे बाढ़, ओडिशा एवं महाराष्ट्र में सूखे के दौरान किये गए सेवा कार्य से प्रेरणा लेकर अभाविप के कार्यकर्ताओं ने अद्वितीय सेवा कार्य किया। विभिन्न आयामों के विकास एवं एक करोड़ सदस्यता के लक्ष्य के साथ, यह यात्रा अनवरत आगे बढ़ती रहेगी।
वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जिस अभाविप बीज को आपने सींचा था वह बीज आज वटवृक्ष बनकर 35 लाख सदस्यों के साथ विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन बन चुका है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी परिषद केवल समस्याओं को नहीं उठाती बल्कि उसके समाधान तक संघर्षरत रहती है। मिशन साहसी के माध्यम से परिषद ने लाखों – लाख छात्राओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाये वहीं ऋतुमति अभियान के माध्यम महिलाओं को उसके स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया और जरूरतमंदो के बीच मुफ्त सैनटरी पैड का वितरण किया।
अभाविप के वरिष्ठम अध्यक्ष वेद प्रकाश नंदा को किया गया सम्मानित
ध्येय यात्रा पुस्तक लोकार्पण के दौरान रा.स्व. संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के वरिष्ठतम अध्यक्ष वेद प्रकाश नंदा को ‘ध्येय यात्रा’ पुस्तक देकर सम्मानित किया गया। बता दें कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. वेद प्रकाश नंदा को शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए वर्ष 2018 में भारत का तीसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार “पद्म भूषण” से सम्मानित किया जा चुका है। डॉ. नंदा 1951 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के राष्ट्रीय महामंत्री एवं 1956 से 1959 तक लगातार चार बार राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं।
प्रो. वेद प्रकाश नंदा वर्तमान में संयुक्त राज्य अमेरिका में रहते हैं, वे 1965 से अमेरिका के प्रसिद्ध डेनेवर विश्वविद्यालय में पढ़ा रहे हैं बाद में वे डेनवर हॉल्ड विश्वविद्यालय के कुलपति भी बने। अमेरिका के डेन्वेर विश्वविद्यालय में विधि विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक एवं वर्ल्ड ज्यूरिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष रह चुके डॉ. वेद प्रकाश नंदा को 2011 में छठा भारतवंशी गौरव सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।