दीन दयाल उपाध्याय (डीडीयू) गोरखपुर के कुलपति प्रो.राजेश कुमार सिंह के ऊपर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप हैं। बिहार के पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति रहते हुए उन पर लगे आरोप, एफआईआर, लोकायुक्त के यहां वाद दाखिल करने के दस्तावेजी साक्ष्यों के साथ आज अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने लखनऊ स्थित अभाविप कार्यालय पर प्रेस वार्ता की।
वर्तमान में प्रोफेसर राजेश सिंह गोरखपुर में जिन आरोपों का सामना कर रहे हैं यह उनके लिए नए नहीं है अपितु बिहार के नवनिर्मित पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति रहने के दौरान भी उनके द्वारा किए गए भ्रष्टाचार के मामले में उन पर एफआईआर होने के साथ लोकायुक्त की जांच चल रही है। लोकायुक्त की जांच के बावजूद उन्हें उत्तर प्रदेश में कुलपति कैसे नियुक्त किया गया? जिस सर्च कमेटी ने उनकी नियुक्ति की सिफारिश की है वह भी जाँच योग्य है।
बिहार में कुलपति रहने के दौरान उन्होंने महाविद्यालयों से अवैध वसूली की, सेमिनार के नाम पर धन उगाही, अपने एक रिसर्च स्कॉलर के नाम से खाते में सेमीनार का पैसा जमा कराने के साथ ही कूटरचित तरीके से फर्जी बिल बनाकर विश्वविद्यालय के फंड का दुरुपयोग किया। इसके साथ ही उन्होंने 18 हजार छात्रों के भविष्य को भी दांव पर लगाया जिनका बिना अनुमति के विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया गया। भागलपुर के रहने वाले बिमल कुमार राय ने लोकायुक्त के यहाँ भेजे पत्र में आरोप लगाया है कि कुलपति रहते हुए राजेश सिंह ने सरकारी धन से विदेशों की निजी यात्राएं की हैं। कुलपति राजेश कुमार सिंह ने 12 जून 2018 को प्राचार्यो की मीटिंग में विश्वविद्यालय के खाता संख्या-37702892035 आईएफसी कोड एसबीआईईन0000151 में 10 लाख रुपये बगैर सिंडीकेट के अनुमोदन के स्थानांतरित करने का आदेश देकर बड़ी वित्तीय अनियमितता की है। उन्होंने 3 करोड़ रुपये के कॉपी प्रिंटिंग घोटाले के साथ ही 25 लाख रुपये का सोवेनियर घोटाला किया है जो विश्वविद्यालय को कभी प्राप्त ही नहीं हुआ।
गोरखपुर में भी कुलपति रहने के दौरान उन पर कॉलेजों से अवैध वसूली, डिग्री का पैसा लेने के बावजूद डिग्री नहीं देना, मेस घोटाला, पीएच.डी. प्रवेश घोटाला, बिना अनुमति पेड़ कटान, शिक्षकों को निलंबित करना, छात्रों पर झूठे केस लादना आदि उनके इसी कदाचार की पुनरावृत्ति है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्री याज्ञवल्क्य शुक्ला ने कहा, “कुलपति जैसे आदर्श पद पर रहते हुए, प्रो राजेश सिंह द्वारा वित्तीय अनियमितताओं के कारण पूर्णिया विश्वविद्यालय एवं गोरखपुर विश्वविद्यालय की साख गिरी है। लोकायुक्त की रिपोर्ट में उन्हें उनके कार्यकाल के दौरान हुई अनियमितताओं के लिए दोषी माना गया है। इसी संदर्भ में अभाविप महामहिम से इस भ्रष्टाचार में शामिल सभी मेम्बर पर कार्रवाई के साथ साथ कुलपति पर तत्काल कार्रवाई की मांग करती है। कुलपतियों के मनमानी रवैये के कारण कैंपस में संवादहीनता विद्यमान हो गयी है। गोरखपुर की घटना इसी संवादहीनता का परिणाम है।
अभाविप का मानना है कि कैंपस में शिक्षक तथा छात्र समान रूप से स्टेकहोल्डर्स होते हैं। अतः अभाविप प्रदेश के सभी शैक्षणिक संस्थानों में अविलंब छात्रसंघ चुनाव की मांग करती है।
आगरा विश्वविद्यालय, राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय तथा अब्दुल कलाम टेक्निकल विश्वविद्यालय के क्रमश: कुलपति प्रो. अशोक मित्तल, प्रो. रविशंकर सिंह तथा प्रो. प्रदीप कुमार मिश्रा को भ्रष्टाचार के आरोपों में जबरन इस्तीफा लिया गया है तो उन पर लगे आरोप क्या हैं? उन पर क्या कार्रवाई की गयी है? इसको सार्वजनिक किया जाए। ताकि प्रदेश में भ्रष्टाचार के विरुद्ध जो जीरो टॉलरेंस की नीति है उसका पालन हो सके। यदि अभी तक इन कुलपतियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज नहीं हुई है तो किसको बचाने के लिए इनसे जबरन इस्तीफा लिया गया है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद अवध प्रांत मंत्री आकाश पटेल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में छात्रों का शोषण चरम पर है। विश्वविद्यालयों में अनियमित फीस वृद्धि की जा रही है। महाविद्यालयों से विभिन्न मदों में धनादोहन किया जा रहा है। छात्रों का यह शोषण जल्द बंद नहीं हुआ तो अभाविप युवा तरुणाई को साथ लेकर पूरे प्रदेश में आंदोलन करेगी