नई दिल्ली: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) कांग्रेस नेता राहुल गांधी के दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ कार्यालय में आगमन के दौरान एन.एस.यू.आई. के कार्यकर्ताओं द्वारा छात्रसंघ की निर्वाचित सचिव मित्रविंदा कर्णवाल को उनके कार्यालय में प्रवेश से जबरन रोकने की घटना को शर्मनाक एवं निंदनीय मानती है। अभाविप का मानना है कि यह कृत्य छात्रसंघ की गरिमा एवं लोकतांत्रिक परंपराओं पर सीधा प्रहार करती है एवं एन.एस.यू.आई. के निरंतर चले आ रहे छात्रविरोधी, अलोकतांत्रिक और हिंसक चरित्र को सबके सामने उजागर करती है। अभाविप दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग करती है कि इस आपत्तिजनक प्रकरण को अंजाम देने वाले जितने भी अराजक तत्व छात्रसंघ कार्यालय में थे, उनकी पहचान की जाए और उनके विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई की जाए।
ध्यातव्य हो कि राहुल गांधी एन.एस.यू.आई. के आमंत्रण पर बिना किसी पूर्व सूचना अथवा अनुमति के छात्रसंघ कार्यालय पहुंचे थे। विश्वविद्यालय में परीक्षा सत्र चलने के कारण छात्रसंघ सचिव के कार्यालय पर अनेक छात्र अपनी समस्याओं के समाधान हेतु उपस्थित थे। जब मित्रविंदा कर्णवाल समस्याओं के निराकरण हेतु कार्यालय पहुँचीं, तो एन.एस.यू.आई. के कार्यकर्ताओं एवं सुरक्षा कर्मियों द्वारा तथाकथित “वी.वी.आई.पी. प्रोटोकॉल” का हवाला देते हुए उन्हें उनके ही कार्यालय में प्रवेश से बलपूर्वक रोक दिया गया। यही नहीं, उनके कार्यालय में बैठे छात्र छात्राओं को जबरन बाहर निकाल भी दिया गया। अभाविप स्पष्ट मानती है कि राहुल गांधी तथा उनके समर्थकों की गुंडागर्दी तथाकथित “मोहब्बत की दुकान” नहीं, बल्कि “अराजकता की फैक्ट्री” साबित हो रही है,जो व्यक्ति एक छात्रसंघ की निर्वाचित प्रतिनिधि के सम्मान की रक्षा नहीं कर सकता, वह छात्रों के हित की बात करने का नैतिक अधिकार नहीं रखता। राहुल गांधी एवं एन.एस.यू.आई. के यह कार्यकर्ता “भारत जोड़ो” नहीं, बल्कि “भारत तोड़ो” यात्रा के सहभागी प्रतीत होते हैं।
छात्रसंघ सचिव मित्रविंदा कर्णवाल ने कहा, “राहुल गांधी के आगमन पर एन.एस.यू.आई. के गुंडों द्वारा मुझे मेरे ही कार्यालय में जाने से रोकना अत्यंत पीड़ादायक, अपमानजनक एवं असहनीय है। यह न केवल मेरी गरिमा पर चोट है, बल्कि पूरे छात्र समुदाय के आत्मसम्मान को ठेस पहुँचाने का प्रयास है। यदि विश्वविद्यालय प्रशासन ऐसी घटनाओं पर मौन रहेगा, तो आम छात्रों की सुरक्षा की कल्पना भी नहीं की जा सकती। मैं प्रशासन से मांग करती हूं कि इस षड्यंत्र में शामिल हर व्यक्ति की पहचान कर उसके विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए।”
अभाविप दिल्ली प्रांत के मंत्री सार्थक शर्मा ने कहा, “एक निर्वाचित छात्र प्रतिनिधि को उसके कार्यालय में प्रवेश से रोकना न केवल अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि यह दर्शाता है कि राहुल गांधी और एन.एस.यू.आई. की राजनीति लोकतंत्र का मुखौटा पहनकर दमन और तानाशाही को बढ़ावा दे रही है। यह घटना विश्वविद्यालय प्रशासन की निष्क्रियता का भी प्रतीक है, जो ऐसे तत्वों को संरक्षण प्रदान कर रहा है। अभाविप ने इस विषय को गंभीरता से उठाते हुए प्रशासन के समक्ष प्रदर्शन किया है और मांग की है कि दोषियों को तत्काल दंडित किया जाए, ताकि भविष्य में कोई भी छात्र इस प्रकार की हिंसा और दमन का शिकार न हो।