भारत आज एक ऐसे निर्णायक मोड़ पर खड़ा है, जहां तेज़ी से बदलती जीवनशैली हमारे स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाल रही है। तकनीक की तीव्र प्रगति, शहरीकरण की बढ़ती रफ्तार, और आधुनिक जीवन की भाग-दौड़ ने मनुष्य को सुविधा तो दी है, परंतु उसकी दिनचर्या से शारीरिक सक्रियता और मानसिक संतुलन भी छीन लिया है।
डरावने आंकड़े: जब स्वास्थ्य एक राष्ट्रव्यापी संकट बन जाए
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, भारत में आज लगभग 7.7 करोड़ लोग मधुमेह (डायबिटीज) से पीड़ित हैं। इससे भी गंभीर स्थिति यह है कि हर चौथा भारतीय वयस्क उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) की समस्या से जूझ रहा है। इन आंकड़ों के पीछे छिपी वास्तविकता है — हमारी बदलती जीवनशैली, जो अब बीमारी का प्रमुख कारण बन चुकी है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि जीवनशैली जनित बीमारियां अचानक नहीं आतीं, बल्कि ये वर्षों की उपेक्षा और असंतुलित जीवनशैली का परिणाम होती हैं।
भारत में आज जिन बीमारियों ने महामारी का रूप ले लिया है, उनके मूल में ये चार प्रमुख कारण सामने आते हैं:
अनियंत्रित और असंतुलित खानपान:
जंक फूड, अत्यधिक चीनी और वसा से भरपूर आहार ने हमारे भोजन से पोषण को हटा दिया है।
शारीरिक गतिविधियों की घोर कमी:
दैनिक जीवन में व्यायाम, चलना या खेलना लगभग गायब हो गया है, खासकर शहरी युवाओं में।
तकनीक पर अत्यधिक निर्भरता:
मोबाइल, लैपटॉप और टीवी जैसे उपकरणों ने हमारी सक्रियता को सीमित कर दिया है।
लगातार बढ़ता मानसिक तनाव:
प्रतिस्पर्धा, कार्यभार और सामाजिक दबावों के कारण मानसिक स्वास्थ्य भी गहरे संकट में है।
इन गहराते संकटों के बीच, ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ एक जन-आंदोलन बनकर उभरा है, जिसने न केवल स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाई है, बल्कि फिटनेस को जीवन का अभिन्न अंग बनाने की दिशा में क्रांति का आरंभ किया है।
राष्ट्रीय खेल दिवस पर ऐतिहासिक पहल
29 अगस्त 2019 को, राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ का शुभारंभ किया। यह सिर्फ एक अभियान नहीं, बल्कि एक ऐसा आंदोलन है, जिसका उद्देश्य है— “फिटनेस को लोगों की आदत बनाना, न कि विशेष अवसर पर किया गया प्रयास।”
एक विचार जो जन-जन को छू गया
‘फिट इंडिया मूवमेंट’ की सबसे बड़ी विशेषता इसकी सर्वसमावेशी सोच में निहित है। यह पहल केवल व्यायाम या कसरत तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके केंद्र में संपूर्ण जीवनशैली को संतुलित और स्वस्थ बनाना है। यह आंदोलन संतुलित आहार, मानसिक स्वास्थ्य, पर्याप्त नींद और नियमित दिनचर्या को जीवन के अभिन्न अंग के रूप में स्थापित करने की दिशा में कार्य करता है। ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ ने समाज के हर वर्ग तक पहुंचने के लिए स्कूलों, कार्यालयों, परिवारों और विभिन्न संस्थानों के माध्यम से एक प्रभावी और जनमानस से जुड़ा तंत्र विकसित किया है, जिससे यह आंदोलन एक व्यापक सामाजिक परिवर्तन का माध्यम बन गया है।
फिटनेस: अब जीवन की अनिवार्यता
प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों में—
“फिटनेस कोई विकल्प नहीं, यह जीवन की आवश्यकता है।”
यह कथन अब करोड़ों भारतीयों के जीवन का मंत्र बनता जा रहा है। ‘फिट इंडिया’ का उद्देश्य न केवल शरीर को स्वस्थ बनाना है, बल्कि मानसिक और सामाजिक रूप से भी व्यक्ति को सक्षम बनाना है।
अब ज़िम्मेदारी हमारी है
आज जब भारत विश्व शक्ति बनने की ओर अग्रसर है, तब यह आवश्यक है कि उसके नागरिक भी शारीरिक और मानसिक रूप से पूर्णत: स्वस्थ हों। ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ ने हमें दिशा दिखाई है — अब आवश्यकता है कि हम इसे अपने जीवन में उतारें। हर कदम, “पसीने की हर बूंद”, और हर बदलाव, भारत को स्वस्थ, जागरूक और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने की दिशा में अग्रसर करेगा।
आइए, हम सब मिलकर संकल्प लें — ‘स्वस्थ भारत, समर्थ भारत’ के निर्माण का।
क्योंकि जब नागरिक फिट होंगे, तभी राष्ट्र हिट होगा।
घर-घर से शुरुआत: सोच और जीवनशैली में बदलाव की ओर
आज का भारत न केवल आर्थिक और तकनीकी क्षेत्र में प्रगति कर रहा है, बल्कि स्वास्थ्य और फिटनेस की दिशा में भी एक क्रांतिकारी परिवर्तन देख रहा है। इस परिवर्तन की धुरी बन चुका है—’फिट इंडिया मूवमेंट’, जिसकी सबसे बड़ी विशेषता इसकी समग्र और समावेशी दृष्टिकोण में निहित है। यह केवल जिम में पसीना बहाने या सुबह की कसरत तक सीमित नहीं है; बल्कि यह संतुलित पोषण, मानसिक स्वास्थ्य, पर्याप्त नींद, तनाव प्रबंधन और अनुशासित जीवनशैली जैसे पहलुओं को जीवन के केंद्र में लाने का सतत प्रयास है।
इस जनांदोलन ने जब “घर-घर से शुरुआत” का नारा दिया, तो इसका उद्देश्य था—हर नागरिक को अपने जीवन में छोटे लेकिन प्रभावशाली बदलाव लाने के लिए प्रेरित करना। फिट इंडिया स्कूल सर्टिफिकेशन के माध्यम से बच्चों में बचपन से ही फिटनेस की समझ विकसित की जा रही है। फिटनेस चैलेंज और योग उत्सव जैसी पहलों ने न केवल लोगों को जागरूक किया, बल्कि उन्हें सामूहिक रूप से सक्रिय जीवनशैली अपनाने की प्रेरणा भी दी। वॉकथॉन और रन फॉर फिटनेस जैसे आयोजनों ने शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में जबरदस्त जनभागीदारी को जन्म दिया, जिससे यह आंदोलन हर घर, हर गली और हर कार्यालय तक पहुँच सका।
यह अभियान ‘आत्मनिर्भर भारत’ की नींव को और भी मजबूती प्रदान करता है, क्योंकि एक स्वस्थ और जागरूक नागरिक ही किसी सशक्त राष्ट्र की असली संपत्ति होता है। शरीर, मन और आचरण में संतुलन होना न केवल व्यक्तिगत समृद्धि का मार्ग है, बल्कि यह सामूहिक रूप से राष्ट्र की उत्पादकता और प्रगति को भी नई दिशा देता है।
प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण: फिटनेस को जन-संस्कृति बनाना
फिट इंडिया मूवमेंट के पीछे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दृष्टिकोण केवल स्वास्थ्य जागरूकता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत में फिटनेस को एक जन-संस्कृति के रूप में स्थापित करने की दिशा में ठोस प्रयास है। प्रधानमंत्री बार-बार इस बात पर बल देते आए हैं कि “फिटनेस कोई विकल्प नहीं, बल्कि जीवन की अनिवार्यता है।” यह आंदोलन न केवल युवाओं और खिलाड़ियों तक सीमित है, बल्कि समाज के हर वर्ग और हर उम्र के व्यक्ति को अपनी दैनिक दिनचर्या में सक्रियता जोड़ने के लिए प्रेरित करता है।
प्रधानमंत्री ने कहा है कि देश की शक्ति उसके नागरिकों की ऊर्जा में निहित है। पैदल चलना, साइकिल चलाना, लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का उपयोग करना, पार्कों में समय बिताना, और पोषणयुक्त आहार को प्राथमिकता देना—ये सभी छोटे लेकिन महत्वपूर्ण बदलाव हैं जो देश को नई ऊर्जा, नया आत्मविश्वास और नई दिशा दे सकते हैं।
युवा एवं खेल मंत्री मनसुख मांडविया का अभिनव प्रयास: ‘संडे ऑन साइकिल’
प्रधानमंत्री के इस विजन को धरातल पर उतारने में अग्रणी भूमिका निभाई है युवा मामलों एवं खेल मंत्री मनसुख मांडविया जी ने। दिसंबर 2024 में उन्होंने ‘संडे ऑन साइकिल’ पहल की शुरुआत की, जो आज एक जनांदोलन का रूप ले चुकी है। यह केवल साइकिल चलाने का एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि लोगों को एक साथ लाने, उन्हें प्रकृति के करीब ले जाने, और फिटनेस को सामूहिक उत्सव के रूप में मनाने का अभिनव प्रयास है।
देशभर के शहरों, कस्बों और गाँवों में हर रविवार को सड़कों पर साइकिल चलाते नागरिकों का दृश्य अब आम होता जा रहा है। यह पहल न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और समुदाय निर्माण जैसे अन्य सकारात्मक पहलुओं को भी जोड़ती है।
फिट इंडिया मूवमेंट अब एक राष्ट्रीय चेतना का रूप ले चुका है, जो हर घर, हर स्कूल, हर कार्यालय और हर गली में फिटनेस की अलख जगा रहा है। आने वाले वर्षों में यह आंदोलन भारत को एक स्वस्थ, सशक्त और सामर्थ्यवान राष्ट्र में परिवर्तित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
ऐतिहासिक पड़ाव: ‘संडे ऑन साइकिल’ का 25वां संस्करण नई दिल्ली में धूमधाम से मनाया गया
1 जून 2025 को नई दिल्ली के प्रतिष्ठित मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में ‘संडे ऑन साइकिल’ आंदोलन का 25वां संस्करण बड़े उत्साह और गर्व के साथ आयोजित किया गया। यह आयोजन सिर्फ एक फिटनेस कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह एक सामाजिक और राष्ट्रीय एकजुटता का प्रतीक बन गया। हज़ारों की संख्या में नागरिक—स्कूली छात्र, वरिष्ठजन, खिलाड़ी, जनप्रतिनिधि और आम जनता—सभी ने एक साथ साइकिल पर सवार होकर एक स्वस्थ और समृद्ध भारत की परिकल्पना को साकार करने का संकल्प लिया।
इस आयोजन की खास बात यह रही कि यह विश्व साइकिल दिवस (3 जून) से कुछ दिन पहले आयोजित हुआ, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ गया। कार्यक्रम का एक विशेष आकर्षण था भारतीय सेना को समर्पित ‘तिरंगा रैली’, जिसने देशभक्ति के रंगों से पूरे आयोजन को रंग दिया। इस रैली में हर साइकिल सवार के दिल में देश के प्रति सम्मान और सेवा भाव की झलक साफ नजर आई, जिसने फिटनेस और देशभक्ति को एक साथ जोड़ दिया।
जब फिटनेस बनी प्रेरणा और देशभक्ति का स्वरूप
इस विशेष अवसर पर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने के लिए स्वयं युवा मामलों एवं खेल मंत्री मनसुख मांडविया मौजूद थे। 1 जून उनके जन्मदिन भी था, जिससे यह दिन उनके लिए व्यक्तिगत और राष्ट्रीय दोनों ही रूपों में अत्यंत स्मरणीय बन गया। डॉ. मांडविया ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए फिटनेस को जीवनशैली का अभिन्न अंग बनाने के महत्व पर जोर दिया और कहा कि स्वस्थ व्यक्ति ही स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण कर सकता है।
आंकड़े जो ‘संडे ऑन साइकिल’ आंदोलन की गहराई और व्यापकता को दर्शाते हैं
‘संडे ऑन साइकिल’ अब केवल एक कार्यक्रम नहीं रह गया, बल्कि यह देश में फिटनेस और सामूहिक सक्रियता की एक विशाल लहर बन चुका है। इस आंदोलन की लोकप्रियता और प्रभाव को दर्शाने वाले कुछ महत्वपूर्ण आंकड़े इस प्रकार हैं:
- 5500+ शहरों और गांवों में आयोजन
- 3 लाख से अधिक प्रतिभागी अब तक जुड़ चुके हैं
- 3.44 अरब से अधिक डिजिटल इंप्रेशन, जो इस आंदोलन की व्यापक पहुंच और लोकप्रियता का परिचायक हैं
यह स्पष्ट है कि ‘संडे ऑन साइकिल’ न केवल फिटनेस को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि युवाओं, बुजुर्गों और समाज के हर वर्ग को एक साथ लाकर देश की सामूहिक ताकत को भी मजबूत कर रहा है। यह आंदोलन भारतीय जनता के स्वस्थ और सक्रिय जीवन के प्रति जागरूकता को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस प्रकार के आयोजन न केवल स्वस्थ जीवनशैली को प्रोत्साहित करते हैं, बल्कि एकजुटता, जिम्मेदारी और राष्ट्रभक्ति की भावना को भी सुदृढ़ करते हैं। आने वाले समय में यह अभियान और भी बड़े पैमाने पर भारत को एक स्वस्थ, सक्रिय और सशक्त राष्ट्र बनाने में योगदान देगा।
नवजवानों में जागरूकता की नई लहर: ‘संडे ऑन साइकिल’ से स्वस्थ पीढ़ी की ओर कदम
आज की युवा पीढ़ी में ‘संडे ऑन साइकिल’ जैसे आयोजनों के प्रति बढ़ता उत्साह एक सकारात्मक संकेत है। स्कूल, कॉलेज और स्थानीय क्लब इस पहल को एक रचनात्मक, साप्ताहिक गतिविधि के रूप में अपना रहे हैं। यह न केवल युवाओं को मोबाइल और टीवी के स्क्रीन से दूर ले जा रहा है, बल्कि उन्हें प्राकृतिक हरियाली के बीच ‘ग्रीन टाइम’ बिताने की ओर भी प्रेरित कर रहा है। इस तरह, स्वस्थ जीवनशैली के प्रति युवाओं में जागरूकता और सक्रियता दोनों बढ़ रही है, जो आने वाले भारत के लिए बेहद जरूरी है।
पर्यावरण संरक्षण में ‘संडे ऑन साइकिल’ की भूमिका
‘संडे ऑन साइकिल’ केवल स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए भी एक क्रांतिकारी कदम साबित हो रहा है। साइकिल चलाने से पेट्रोल और डीजल की खपत में कमी आती है, जिससे शहरी प्रदूषण और हानिकारक कार्बन उत्सर्जन में भी महत्वपूर्ण गिरावट आती है। यदि इस पहल को व्यापक स्तर पर अपनाया जाए, तो यह भारत के पर्यावरणीय लक्ष्यों को पूरा करने में एक मजबूत स्तंभ बन सकता है। स्वच्छ हवा और हरित वातावरण की दिशा में यह अभियान साइकिल के दो पहियों पर एक बड़ी क्रांति लेकर आया है।
मानसिक सुकून और सामाजिक मेलजोल: साइकिल चलाने के अनमोल लाभ
साइकिल चलाना सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। यह तनाव कम करने, मन को एकाग्र करने और भावनात्मक स्थिरता प्रदान करने में मदद करता है। साथ ही, ‘संडे ऑन साइकिल’ जैसे समूहगत आयोजन सामाजिक जुड़ाव को बढ़ावा देते हैं, जिससे शहरी जीवन की एकरसता टूटती है और समुदाय के बीच संवाद एवं एकता की भावना पनपती है। यह पहल न केवल शरीर को फिट रखती है, बल्कि सामाजिक रिश्तों को भी मजबूत बनाती है।
आर्थिक उन्नति की नई राह: ‘संडे ऑन साइकिल’ से रोजगार के अवसर
इस आंदोलन के विस्तार के साथ ही इससे जुड़े आर्थिक अवसर भी तेजी से विकसित हो रहे हैं। साइकिल निर्माण, बिक्री, रखरखाव के लिए कार्यशालाएं, आयोजन प्रबंधन, लोकल ब्रांडिंग और मर्चेंडाइजिंग जैसे क्षेत्र नए रोजगार का सृजन कर रहे हैं। यह पहल न केवल फिटनेस को बढ़ावा दे रही है, बल्कि स्थानीय स्तर पर आर्थिक गतिविधियों को भी प्रोत्साहित कर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोजगार के नए द्वार खोल रही है।
गांव-गांव तक पहुंचाने का संकल्प: PEFI की सशक्त पहल
फिजिकल एजुकेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PEFI) इस आंदोलन को देश के कोने-कोने तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। PEFI सभी नागरिकों से आग्रह करता है कि वे स्थानीय ‘संडे ऑन साइकिल’ आयोजनों में सक्रिय रूप से भाग लें, स्कूलों और समुदायों में इसे आयोजित करें, स्थानीय प्रशासन से सुरक्षित साइकिल मार्गों की मांग करें और छोटी दूरी के लिए गाड़ियों की बजाय साइकिल को प्राथमिकता दें। इस सामूहिक प्रयास से देश में फिटनेस और पर्यावरण दोनों के क्षेत्र में अभूतपूर्व सुधार संभव होगा।
नया भारत, नई सोच: हर पैडल से बदलाव की शुरुआत
‘संडे ऑन साइकिल’ अब केवल एक अभियान नहीं रहा, बल्कि यह एक राष्ट्रीय जागरूकता और चेतना का प्रतीक बन चुका है। यह सेहत, पर्यावरण संरक्षण, आत्मनिर्भरता और सामाजिक एकता का जीवंत संगम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और युवा एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया के मार्गदर्शन में यह आंदोलन तेजी से बढ़ रहा है। अब समय है कि हर नागरिक इसमें सक्रिय भागीदारी निभाए। आइए, हर रविवार साइकिल चलाएं और अपने देश को स्वस्थ, हरा-भरा और सशक्त राष्ट्र बनाएं। हर पैडल, भारत की प्रगति की दिशा में एक मजबूती का कदम है।
(लेखक, फिजिकल एजुकेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PEFI) के राष्ट्रीय सचिव हैं।)