हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में कई भारतीय नागरिकों की जान चली गई I पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी घटना के बाद भारत ने आपरेशन सिंदूर के नाम से कठोर जवाबी कार्रवाई की I लेकिन यह पहली घटना नहीं थी I पिछले कई दशकों से पाकिस्तान से सक्रिय आतंकवादी संगठन भारत के विरुद्ध आतंकी घटनाओं को अंजाम देते आ रहे हैं I 1999 में भी आतंकियों ने कारगिल क्षेत्र को निशाना बनाने की कोशिश की थी I तत्कालीन समय में आतंकियों के विरुद्ध भारत की सशस्त्र सेनाओं ने कारगिल में आपरेशन विजय नाम से सैन्य कार्रवाई की थी, जो 26 जुलाई को समाप्त हुई थी I उसके बाद से प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। कारगिल संघर्ष में भारतीय सेना के 527 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे, जबकि तेरह सौ से अधिक जवान घायल हुए थे I
कारगिल में हुए संघर्ष की भूमिका मई 1999 में उस समय बनी थी, जब पाकिस्तान की सेना के संरक्षण में आतंकियों ने कारगिल सेक्टर स्थित नियंत्रण रेखा के पास घुसपैठ की थी I घुसपैठ करने वाले आतंकियों के साथ पाकिस्तानी सेना के जवान भी शामिल थे I एक सुनियोजित साजिश के तहत हुई घुसपैठ का पता जब भारतीय सेना को चला तो देर हो चुकी थी I उसके बाद आपरेशन विजय आरम्भ हुआ I आतंकियों के साथ पाकिस्तानी सेना द्वारा की जाने वाली कार्रवाई का भारतीय सेना ने शौर्य एवं पराक्रम के साथ जवाब दिया I लगभग दो माह तक चली भारतीय सेना की कार्रवाई में सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह भी था कि यह संघर्ष ऊंचाई वाले दुर्गम पर्वतीय क्षेत्र में हुआ I अंततः भारतीय सेना ने आतंकियों और उनके साथ देने वाले पाकिस्तान सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया और जीत हासिल करके कारगिल की चोटियों पर भारतीय ध्वज को फहराया I
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली तत्कालीन केंद्र सरकार ने कारगिल संघर्ष में भातीय सेना का मनोबल गिरने नहीं दिया। 26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना की विजय की घोषणा की गई और उसके बाद से 26 जुलाई का दिन विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है I यह भारतीय सैन्य इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण विजय में से एक है। इस वर्ष विजय दिवस की 26वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है I
कारगिल विजय दिवस उन सैनिकों के वीरगाथा की स्मृति में मनाया जाता है, जिन्होंने अद्वितीय पराक्रम और शौर्य के साथ कारगिल संघर्ष में अपने प्राणों का बलिदान दिया था I कारगिल विजय दिवस प्रत्येक भारतीय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। साथ ही देश के युवाओं को राष्ट्रवाद और जीवंत प्रेरणा का संदेश भी देता है I यह वह दिन है, जब पूरा देश भारत को सुरक्षित रखने वाले वास्तविक नायकों को याद करता है I यह वह दिन भी है, जो सशस्त्र सैन्य बलों के अथक साहस और समर्पण की याद दिलाता है। साथ ही यह दिन देशवासियों को राष्ट्रीय एकता, सेवा एवं सद्भाव के महत्व को समझने के लिए भी प्रेरित करता है।
कश्मीर के द्रास स्थित कारगिल संघर्ष स्मारक के साथ ही देश के विभिन्न स्थानों पर आयोजित किए जाने वाले आधिकारिक समारोहों में अमर बलिदानियों की वीरगाथा को याद किया किया जाता है। पूर्व सैनिक और बलिदानी सैनिकों के परिजन इन आयोजनों में हिस्सा लेकर अपने-अपने अनुभव को साझा करते हैं I
कारगिल विजय दिवस युवाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें राष्ट्रप्रेम, देशभक्ति, बलिदान और राष्ट्रीय एकता की शिक्षा देता है। साथ ही स्वतंत्रता के महत्व को समझाता है। कारगिल में हुआ संघर्ष केवल दो देशों की सीमाओं का मसला नहीं था, बल्कि यह भारत की शक्ति, दृढ़ता और एकता की परीक्षा थी। कैप्टन विक्रम बत्रा, लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे, मेजर जनरल अनुज नैयर और राइफलमैन संजय कुमार जैसे कई वीर सैनिकों ने भारत की विजय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कारगिल विजय दिवस एकता और देशभक्ति के महत्व पर भी ज़ोर देता है I इसीलिए इस दिन पूरा देश सशस्त्र बलों के समर्थन में एकजुट होता है। कारगिल विजय दिवस इसलिए भी महत्वपूर्ण और उपयोगी है क्योंकि यह दिवस भविष्य में युवाओं को हर प्रकार की परिस्थितियों के लिए तैयार रखने, शिक्षित करने के साथ ही राष्ट्रहित सर्वोपरि का सन्देश भी देता है I