Tuesday, December 23, 2025
No Result
View All Result
Rashtriya Chhatra Shakti
  • मुख पृष्ठ
  • कवर स्टोरी
  • ABVP विशेष
    • आंदोलनात्मक
    • प्रतिनिधित्वात्मक
    • रचनात्मक
    • संगठनात्मक
    • सृजनात्मक
  • लेख
  • पत्रिका
  • सब्सक्रिप्शन
  • आयाम
    • Think India
    • WOSY
    • Jignasa
    • SHODH
    • SFS
    • Student Experience Interstate Living (SEIL)
    • FarmaVision
    • MediVision
    • Student for Development (SFD)
    • AgriVision
  • WORK
    • Girls
    • State University Works
    • Central University Works
    • Private University Work
  • खबर
  • परिचर्चा
  • फोटो
Rashtriya Chhatra Shakti
  • मुख पृष्ठ
  • कवर स्टोरी
  • ABVP विशेष
    • आंदोलनात्मक
    • प्रतिनिधित्वात्मक
    • रचनात्मक
    • संगठनात्मक
    • सृजनात्मक
  • लेख
  • पत्रिका
  • सब्सक्रिप्शन
  • आयाम
    • Think India
    • WOSY
    • Jignasa
    • SHODH
    • SFS
    • Student Experience Interstate Living (SEIL)
    • FarmaVision
    • MediVision
    • Student for Development (SFD)
    • AgriVision
  • WORK
    • Girls
    • State University Works
    • Central University Works
    • Private University Work
  • खबर
  • परिचर्चा
  • फोटो
No Result
View All Result
Rashtriya Chhatra Shakti
No Result
View All Result
Home लेख

भारतीय उच्च शिक्षा आयोग विधेयक 2025: भ्रांतियां और वास्तविकता

राष्ट्रीय छात्रशक्ति by डा. अनुपम पाठक
December 13, 2025
in लेख

भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (HECI) विधेयक 2025 देश की उच्च शिक्षा व्यवस्था में एक बड़े और दूरगामी सुधार की पहल है। यह विधेयक राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की सिफारिशों को धरातल पर उतारने का सराहनीय प्रयास है। हालांकि, इसे लेकर सार्वजनिक विमर्श में कई तरह की आशंकाएं और भ्रांतियां भी फैलाई जा रही है। ऐसे में आवश्यक है कि विधेयक को राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप से ऊपर उठकर तथ्यों के आधार पर समझा जाए। वर्तमान में भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली कई नियामक संस्थाओं—यूजीसी, एआईसीटीई और एनसीटीई—के अधीन संचालित होती है। इस बहुल व्यवस्था के कारण नियमों का दोहराव, अनुमोदन में देरी और संस्थानों पर अनावश्यक प्रशासनिक बोझ बढ़ता गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने इसी जटिलता को दूर करने के लिए एक एकीकृत नियामक ढांचे की सिफारिश की थी। भारतीय उच्च शिक्षा आयोग विधेयक उसी दिशा में एक ठोस कदम है। सरकार का कहना है कि इस विधेयक का उद्देश्य नियंत्रण बढ़ाना नहीं, बल्कि गुणवत्ता, पारदर्शिता और स्वायत्तता के बीच संतुलन स्थापित करना है।

स्वायत्तता पर खतरे की आशंका कितनी सही

इस विधेयक को लेकर सबसे बड़ी चिंता यह जताई जा रही है कि इससे विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता समाप्त हो जाएगी और केंद्र का नियंत्रण बढ़ जाएगा। लेकिन विधेयक का स्वरूप इस आशंका को पूरी तरह सही नहीं ठहराता। इसमें ‘लाइट-टच रेगुलेशन’ की अवधारणा अपनाई गई है, जिसके तहत केवल न्यूनतम शैक्षणिक मानक तय किए जाएंगे। पाठ्यक्रम, प्रवेश प्रक्रिया और अकादमिक नवाचार में विश्वविद्यालयों को अपेक्षाकृत अधिक स्वतंत्रता मिलेगी। गुणवत्ता का आकलन प्रत्यायन और रैंकिंग के माध्यम से होगा, न कि रोजमर्रा के प्रशासनिक हस्तक्षेप से। डिजिटल प्लेटफॉर्म के उपयोग से पारदर्शिता बढ़ाने का दावा भी किया गया है।

क्या यूजीसी, एआईसीटीई और एनसीटीई खत्म हो जाएंगी

एक और आम धारणा यह है कि भारतीय उच्च शिक्षा आयोग विधेयक के आने से मौजूदा नियामक संस्थाएं अचानक समाप्त हो जाएंगी, जिससे शिक्षा व्यवस्था में अव्यवस्था फैल सकती है। वास्तविकता यह है कि विधेयक में संक्रमणकालीन व्यवस्था का प्रावधान है। यूजीसी, एआईसीटीई और एनसीटीई के कार्यों को चरणबद्ध तरीके से भारतीय उच्च शिक्षा आयोग विधेयक के अंतर्गत समाहित किया जाएगा।

तकनीकी और शिक्षक शिक्षा से जुड़े मानक बने रहेंगे, जबकि चिकित्सा और विधिक शिक्षा को इस ढांचे से बाहर रखा गया है। सरकार का तर्क है कि इससे दोहराव खत्म होगा और निर्णय प्रक्रिया अधिक प्रभावी बनेगी।

केंद्रीकरण और राज्यों की भूमिका

केंद्रीकरण को लेकर भी आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं। हालांकि विधेयक में राज्यों और अन्य हितधारकों को परामर्श प्रक्रिया में शामिल करने की बात कही गई है। भारतीय उच्च शिक्षा आयोग विधेयक के बोर्ड में शिक्षाविदों के साथ-साथ राज्य प्रतिनिधियों और विशेषज्ञों की भागीदारी का प्रावधान है। अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत प्राप्त अधिकार यथावत रहेंगे। महत्वपूर्ण यह भी है कि वित्तीय आवंटन शिक्षा मंत्रालय के माध्यम से होगा, न कि सीधे भारतीय उच्च शिक्षा आयोग विधेयक द्वारा, जिससे नियामक और वित्तीय नियंत्रण अलग-अलग रहेंगे।

संभावित लाभ और चुनौतियां

यदि विधेयक को प्रभावी ढंग से लागू किया गया, तो इससे उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, अनुसंधान को बढ़ावा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय विश्वविद्यालयों की प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है। बहु-विषयक शिक्षा, उद्योग से जुड़ाव और कौशल आधारित पाठ्यक्रम छात्रों के लिए नए अवसर खोल सकते हैं। हालांकि, संक्रमणकाल में प्रशासनिक समायोजन, राजनीतिक सहमति का अभाव और ग्रामीण व राज्य विश्वविद्यालयों में समान रूप से क्रियान्वयन जैसी चुनौतियाँ भी सामने आ सकती हैं। इसलिए इस सुधार की सफलता इसके क्रियान्वयन पर निर्भर करेगी।

भविष्य की राह

भारतीय उच्च शिक्षा आयोग विधेयक 2025 भ्रांतियों से परे एक सकारात्मक कदम है जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मूर्त रूप देने में सहायक सिद्ध होगा। यदि संतुलन और सहभागिता के साथ इसे लागू किया गया, तो यह विधेयक भारत की उच्च शिक्षा को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

(लेखक, अभाविप दिल्ली प्रांत के उपाध्यक्ष हैं।)

No Result
View All Result

Archives

Recent Posts

  • औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर निकले बाड़मेर जिला प्रशासन : अभाविप
  • भारतीय उच्च शिक्षा आयोग विधेयक 2025: भ्रांतियां और वास्तविकता
  • दिल्ली विवि छात्रा उत्पीड़न वायरल वीडियो पर अभाविप की प्रतिक्रिया, घटना की हो निष्पक्ष जांच
  • #71stABVPConf : राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद बैठक का शुभारंभ
  • वीआईटी भोपाल में बढ़ते भोजन-पेयजल संकट को लेकर आक्रोशित है अभाविप, उच्च शिक्षा मंत्री को सौंपा ज्ञापन

rashtriya chhatrashakti

About ChhatraShakti

  • About Us
  • संपादक मंडल
  • राष्ट्रीय अधिवेशन
  • कवर स्टोरी
  • प्रस्ताव
  • खबर
  • परिचर्चा
  • फोटो

Our Work

  • Girls
  • State University Works
  • Central University Works
  • Private University Work

आयाम

  • Think India
  • WOSY
  • Jignasa
  • SHODH
  • SFS
  • Student Experience Interstate Living (SEIL)
  • FarmVision
  • MediVision
  • Student for Development (SFD)
  • AgriVision

ABVP विशेष

  • आंदोलनात्मक
  • प्रतिनिधित्वात्मक
  • रचनात्मक
  • संगठनात्मक
  • सृजनात्मक

अभाविप सार

  • ABVP
  • ABVP Voice
  • अभाविप
  • DUSU
  • JNU
  • RSS
  • विद्यार्थी परिषद

Privacy Policy | Terms & Conditions

Copyright © 2025 Chhatrashakti. All Rights Reserved.

Connect with us:

Facebook X-twitter Instagram Youtube
No Result
View All Result
  • मुख पृष्ठ
  • कवर स्टोरी
  • ABVP विशेष
    • आंदोलनात्मक
    • प्रतिनिधित्वात्मक
    • रचनात्मक
    • संगठनात्मक
    • सृजनात्मक
  • लेख
  • पत्रिका
  • सब्सक्रिप्शन
  • आयाम
    • Think India
    • WOSY
    • Jignasa
    • SHODH
    • SFS
    • Student Experience Interstate Living (SEIL)
    • FarmaVision
    • MediVision
    • Student for Development (SFD)
    • AgriVision
  • WORK
    • Girls
    • State University Works
    • Central University Works
    • Private University Work
  • खबर
  • परिचर्चा
  • फोटो

© 2025 Chhatra Shakti| All Rights Reserved.