अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुनील आंबेकर की पुस्तक ‘द आरएसएस: रोडमैप्स फॉर 21 सेंचुरी’ किताब का विमोचन करते हुए रा. स्व. संघ के पू. सरसंघचालक श्री मोहन भागवत ने कहा कि यह किताब समाज को संघ दिखाएगी और संघ में चर्चा का विषय भी होगी । उन्होंने कहा, ‘संघ पुस्तक से बंधा नहीं है लेकिन पुस्तकें दिशा तो दिखाती हैं, पुस्तक पढ़िए।’ साथ ही संघ के बारे में गलतफहमी को दूर करने वाली किताब भी बताया। उन्होंने कहा कि इस किताब को पढ़ने से आपको संघ के बारे में गलतफहमी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि, ‘हम सबकुछ बदल सकते हैं. सभी विचारधाराएं बदली जा सकती हैं, लेकिन सिर्फ एक चीज नहीं बदली जा सकती, वह यह कि ‘भारत एक हिंदू राष्ट्र है’। संघ का आदर्श भगवा है । अगर आपको किसी महापुरूष को आदर्श मानना है तो हनुमान जी, शिवाजी और रा.स्व.संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार को मान सकते हैं।
सरसंघचालक ने किसी ‘वाद’ पर चलने की बात से साफ इंकार करते हुए कहा कि संगठन में एक ही विचारधारा सतत रूप से चलती चली आयी है कि जो ‘भारत भूमि की भक्ति’ करता है।’ उन्होंने कहा कि भारत को अपनी मातृभूमि मानने वाला और उससे प्रेम करने वाला एक भी व्यक्ति अगर जीवित हैं, तब तक हिन्दू जीवित है. भागवत ने कहा कि भाषा, पंथ, प्रांत पहले से ही हैं। अगर बाहर से भी कोई आए हैं, तब भी कोई बात नहीं है. हमने बाहर से आए लोगों को भी अपनाया है. हम सभी को अपना ही मानते हैं. उन्होंने कहा, ‘हम देश, काल, परिस्थिति के अनुरूप अपने में बदलाव लाए हैं लेकिन जो भारत भूमि की भक्ति करता है, भरतीयता पूर्ण रूप में उसे विरासत में मिली है, वह हिन्दू है..यह विचारधारा संघ में सतत रूप से बनी हुई है. इसमें कोई भ्रम नहीं है।’
बता दें कि अभाविप के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुनील आंबेकर ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के काम करने के तौर-तरीकों को लेकर एक किताब ‘द आरएसएस रोडमैप्स 21 सेंचुरी’ लिखी है । बीते एक अक्टूबर को जनपथ रोड स्थित डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सभागार में श्री मोहन भागवत इसी किताब के विमोचन के मौके पर बोल रहे थे । सुनील आंबेडकर ने अपनी इस किताब में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के काम करने से तरीके से लेकर इसकी विचारधारा के बारे में लिखा है। सुनील आंबेकर का मानना है कि संघ 94 साल से समाज को मजबूत कर रहा है । संघ का विरोध करने से पहले इस संगठन को समझना बेहद जरूरी है।