Monday, May 12, 2025
No Result
View All Result
Rashtriya Chhatra Shakti
  • मुख पृष्ठ
  • कवर स्टोरी
  • ABVP विशेष
    • आंदोलनात्मक
    • प्रतिनिधित्वात्मक
    • रचनात्मक
    • संगठनात्मक
    • सृजनात्मक
  • लेख
  • पत्रिका
  • सब्सक्रिप्शन
  • आयाम
    • Think India
    • WOSY
    • Jignasa
    • SHODH
    • SFS
    • Student Experience Interstate Living (SEIL)
    • FarmaVision
    • MediVision
    • Student for Development (SFD)
    • AgriVision
  • WORK
    • Girls
    • State University Works
    • Central University Works
    • Private University Work
  • खबर
  • परिचर्चा
  • फोटो
Rashtriya Chhatra Shakti
  • मुख पृष्ठ
  • कवर स्टोरी
  • ABVP विशेष
    • आंदोलनात्मक
    • प्रतिनिधित्वात्मक
    • रचनात्मक
    • संगठनात्मक
    • सृजनात्मक
  • लेख
  • पत्रिका
  • सब्सक्रिप्शन
  • आयाम
    • Think India
    • WOSY
    • Jignasa
    • SHODH
    • SFS
    • Student Experience Interstate Living (SEIL)
    • FarmaVision
    • MediVision
    • Student for Development (SFD)
    • AgriVision
  • WORK
    • Girls
    • State University Works
    • Central University Works
    • Private University Work
  • खबर
  • परिचर्चा
  • फोटो
No Result
View All Result
Rashtriya Chhatra Shakti
No Result
View All Result
Home लेख

जीवन का क्षण – क्षण और शरीर का कण – कण मातृभूमि को समर्पित करने वाला स्वातंत्र्य वीर सावरकर

Chhatrashakti Desk by
February 26, 2020
in लेख, सृजनात्मक
जीवन का क्षण – क्षण और शरीर का कण – कण मातृभूमि को समर्पित करने वाला स्वातंत्र्य वीर सावरकर

स्वातंत्र्य वीर सावरकर

पुण्यतिथि विशेष

जीवन का क्षण – क्षण और शरीर का कण – कण मातृभूमि की स्वतंत्रता में समर्पित करने वाले स्वातंत्र्य वीर सावरकर न केवल तेजस्वी सेनानी थे अपितु महान क्रांतिकारी, सामाजिक शिल्पकार, सिद्धहस्त लेखक, चिंतक तथा प्रतिबद्ध समाज सुधारक भी थे। अखंड भारत के निर्माण का संकल्प लेकर सावरकर ने “हिन्दुत्व” के नाम पर देश को संगठित करने का प्रयत्न किया। यद्यपि हिन्दू राष्ट्र की कल्पना से वीर सावरकर अभिभूत थे, परंतु उनकी हिन्दू की व्याख्या बहुत विस्तृत और मानवता की पर्यायवाची थी। सावरकर का हिन्दुत्व सीमिव व संकुचित नहीं था। सावरकर द्वारा रचित ‘ हिन्दुत्व’ में हिन्दू कौन है?  कि व्याख्या उन्होंने एक श्लोक के माध्यम से की –

‘आसिंध् सिन्धुपर्यन्तास्य भारतभूमिका।

पितृथः पुन्याभूश्चैवा स वै हिन्दूरीति समृतः।।’

अर्थात – ‘भारत भूमि के तीनों ओर के सिन्धुओं स  लेकर हिमालय के शिखर तक जहां से हिन्दू नदी निकलती है, वहां तक की भूमि हिन्दुस्तान है एवं जिनके पूर्वज इसी भूमि पर पैदा हुए हैं और जिनकी पुण्यभूमि यही है – वह हिन्दू है।’

वीडी सावरकर पहले व्यक्ति थे जिन्होंने ‘हिन्दुत्व’ की राजनीति को सुव्यवस्थित ढ़ंग से सूत्रबद्ध किया।

‘इतिहास के उषाकाल में भारत में बस जाने वाले आर्यों ने पहले ही एक राष्ट्र का गठन कर दिया था जो कि हिन्दुओं में मूर्तिमान है….हिन्दू जन आपस में उस प्रेम क बंधन द्वारा ही नहीं बंधे हैं जो कि उनके नसों में प्रवाहित होता है और हमारे दिलों को धड़कने देता है तथा उसमें गर्मजोशी भरता है बल्कि उस विशेष श्रद्धांजिल के बंधन से बंधा हुआ है जिसे हम अपनी महान सभ्यता, अपनी हिन्दू संस्कृति को अर्पित करते हैं।’

(सावरकर, हिन्दुत्व – हिन्दू कौन है ? पृष्ठ – 94)

वीर सावरकर एक महान राष्ट्रवादी थे। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका अतुलनीय है। वीर सावरकर ऐसे पहले क्रांतिकारी थे जिन्होंने विदेशी धरती से स्वाधीनता के लिए शंखनाद किया। वे पहले स्वाधीनता सेनानी थे जिन्होंने भारत की पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की। वे पहले भारतीय थे जिनकी पुस्तकें प्रकाशित होने से पहले ही जब्त कर ली गई थी और पहले छात्र थे जिनकी डिग्री ब्रिटिश सरकार ने वापस ले ली थी।

सावरकर के क्रांतिकारी विचारों और राष्ट्रवादी चिंतन से अंग्रेजों की नींद हराम हो गई थी और भयभीत अंग्रेजों ने उन्हें कालापानी की सजा दी। 1 जुलाई 1909 को मदनलाल ढ़ींगरा ने कर्जन वायले की हत्या कर दी जिसके लिए इंडिया हाउस में इस हत्या की निंदा के लिए एक सभा हुई। सभा में सर आगा खान ने कहा ककि यह सभा सर्वसम्मति से इस हत्या की निंदा करती है। इतने में वीर सावरकर ने भरी सभा में घोषणा की – ‘मुझे छोड़कर क्योंकि इस कार्य की प्रशंसा करता हूं।’ सावरकर पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने मदनलाल ढ़ींगरा को उकसाकर कर्जन वायले की हत्या करवाई है। 13 मार्च 1910 को उन्हें लंदन के विक्टोरिया स्टेशन पर गिरफ्तार कर लिया गया। उससे पूर्व इनके दोनों भाइयों को भी क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए जेल में बंद कर दिया था। वीर सावरकर को जब इस बात का पता चला तो वे गर्व क साथ बोले ‘इससे बड़ी और क्या बात होनी  कि हम तीनों भाई मां भारती की स्वतंत्रता के लिए तत्पर हैं।’

ब्रिटेन से भारत ले जाने वाले समुद्री जहाज में सावरकर को बैठाया गया, पुलिस सिपाहियों की उन पर कड़ी नजर थी, वे उन्हें अकेला छोड़कर एक मिनट भी इधर – उधर नहीं जाते थे। सावरकर ने भी निश्चय किया कि कुछ भी हो आज उन्हें यहां से बाहर निकलना होगा। उन्होंने शौचालय की कोठरी में एक छोटा सा छेद ऊपर की ओर देखा जहां से समुद्र में कूदकर भागा जा सकता था। बस फिर क्या था… 8 जुलाई 1910 को ‘स्वतंत्र भारत की जय’ बोलकर वे समुद्र में कूद पड़े। एक भारतीय कैदी के इस प्रकार के अदम्य साहस एवं अनुपम बहादुरी को देखकर अंग्रेज सैनिक आश्चर्यचकित रह गए। सावरकर तैरते हुए डुबकी लगाते हुए फ्रांस की ओर तेजी से बढ़ रहे थे और इधर अंग्रेज सैनिक पीछे से उनपर गोलियों की बौछार कर रहे थे। लगातार कई घंटे तैरकर आखिरकार सावरकर फ्रांस की सीमा में पहुंच गए परंतु दुर्भाग्यवश वहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मुकदमा चलाया और उन्हें दो आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई । सजा सुनकर सावरकर जरा भी विचलित नहीं हुए और बड़ी गंभीर और निर्भीक वाणी में न्यायाधीश को संबोधित करते हुए कहा – ‘अपने कानून के अनुसार अधिक से अधिक कड़ी सजा मुझे आपने दी है, परंतु इससे कुछ नहीं होगा और मेरा यह दृढ़ विश्वास है कि भारत माता अवश्य स्वतंत्र होगीं। कब होगीं ? पता नहीं! पर वह स्वतंत्र होगी, यह  निश्चित है।’

सावरकर को कालापानी की सजा सुनाकर अंडमान भेज दिया गया। काला पानी की सजा के दौरान भयानक सेलूलर जेल जेल में रखा गया। अनेकों  यातनाएं सहने के बावजूद व दीवारो पर कविता लिखते रहते। बंदियों में से जो लोग अपनी सजाएं समाप्त कर स्वदेश लौटते थे, उन्हें सावरकर अपनी कविताएं तथा संदेश कंठस्थ करा देते थे। जो लोग स्मरण न कर सकते थे, उन्हें लिखकर देते थे। साथ ही उन्हें पत्र छिपाने की विधि भी बता देते थे। इस प्रकार इनकी अनेकर कविताएं और लेख 600 मील की दूरी पार करके भारत पहुंचे और समाचार पत्रों द्वारा जनता में वितरित हुए। सावरकर के साहसिक कृत्यों की जनता में सर्वत्र प्रशंसा की जाती थी और समाचार पत्रों एवं सार्वजनिक सभाओं द्वारा इनकी शीघ्र रिहाई के लिए लगातार प्रयत्न किये जाते थे। इनकी रिहाई के लिए एक ‘सावरकर सप्ताह’ मनाया गया और करीब सत्तर हजार हस्ताक्षरों से एक प्रार्थना पत्र सरकार के पास भेजा गया। उस समय तक किसी नेता की रिहाई के लिए इतना बड़ा आंदोलन नहीं हुआ था। अंत में सरकार को विवश होकर 6 जनवरी 1924 को सावरकर को जेल से मुक्त करना पड़ा।

जेल से छूटने के उपरांत इन्होंने महाराष्ट्र में फैले छूआछूत के खिलाफ आंदोलन शुरू किया। उन्होंने विभिन्न स्थानों पर व्याख्यान देकर धार्मिक, सामाजिक तथा राजनैतिक दृष्टि से छूआछूत को हटाने की आवश्यकता बताई। सावरकर केवल अछूतोद्धार से संतुष्ट नहीं हुए बल्कि ईसाई पादरियों और मुस्लिमों द्वारा किये जा रहे धर्मातंरण के खिलाफ शुद्धि आंदोलन चलाया और फिर हिन्दू संगठनों के कार्य को ही जीवन का एक मात्र उद्देश्य बनाया। सन्  1936 में सावरकर कलकत्ता में आयोजित ‘अखिल भारतीय हिन्दू महासभा’ के अध्यक्ष नियोजित किए गए।

सावरकर अखंड भारत के पक्ष में थे और उन्होंने भारत विभाजन के खिलाफ जोरदार आंदोलन किया। परंतु अंत में कांग्रेस नेताओं ने पाकिस्तान विभाजन को स्वीकार कर लिया और 15 अगस्त 1947 को भारत का विभाजन हो गया। भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति से जहां आम जनता में हर्षोल्लास का वातावरण फैला हुआ था वहीं अनेक लोग देश विभाजन से अत्यंत दुखी हो रहे थे। ऐसे लोगों को सांत्वना देते हुए सावरकर ने कहा था कि – ‘आज भारत का तीन चौथाई प्रदेश स्वतंत्र हो गया है इसलिए हमें  हर्ष मनाना चाहिए।’

इसी बीच 30 जनवरी 1948 की शाम को नाथूराम गोडसे नामक एक महाराष्ट्रीय ब्राह्मण ने महात्मा गांधी की अमानुष ढ़ंग से गोली मारकर हत्या कर दी। हत्याकांड के षड़यंत्र की अदालती जांच शुरू हुई और इस षडयंत्र में सम्मिलित होने के संदेह पर सावरकर को भी गिरफ्तार कर लिया गया। जांच पड़ताल के बाद अंत में सरकार ने उन्हें निर्दोष घोषित कर फरवरी 1949 मे जेल से मुक्त कर दिया। 12 मई 1957 को 1857 के स्वतंत्रता संग्राम पर आयोजित शताब्दी समारोह में सावरकर ने भारतीय जनता को संबोधित करते हुए कहा कि –

‘ स्वतंत्रता प्राप्ति का महान ऐतिहासिक कार्य हमारी पीढ़ी ने संपन्न कर दिया है। अब स्वतंत्रता की प्राणपण रक्षा करने की जिम्मेदारी भारत की नई पीढ़ी को हिम्मत के साथ अपने कंधे पर लेनी चाहिए। भारत के भाग्य निर्माता हमारे नवयुवक ही हैं।’

वास्तव में सावरकर के विषय में बहुत भ्रम पैदा किया गया है, उनके साहित्य व कविताओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया, रेडियो पर सावरकर की कविताएं नहीं सुनाई जाती थी(प्रतिबंध के कारण) परंतु यह भी सत्य है कि महापुरूषों की कोई ज्यादा दिनों तक उपेक्षा नहीं कर सकता। सावरकर जीवन के पूर्वार्ध में सशक्त क्रांतिकारी एवं उत्तरार्ध में हिन्दू संगठन के प्रबल समर्थक रहे। परंतु उनकी आंतरिक भावना अत्यंत उदार थी। कल्पना की सृष्टि का समन्वय सावरकर ने अपने साहित्य व कविताओं में किया।

सावरकर ने कहा था कि –

‘स्वतंत्र भारत में ना तो हिन्दू  राज्य होगा,

 ना हिन्दी राज्य होगा।

 ऐसा राज्य होगा, जो सबकी चिंता करेगा।।’

सावरकर के चिंतन पर यदि हम अनुसंधान करें और उनकी विचारधारा का विश्लेषण करें तो हम पायेंगे कि उनके जीवन की समग्रता – प्रखर राष्ट्रवाद, समझौता न करने वाला राष्ट्रवाद. समाज सुधारक व विकृतियों से लड़ने का व्यक्तित्व, इन सब गुणों से भरी पड़ी है। अनेक अवसरों पर उनके मुख से ये उद्गार सुने गए थे –

‘हमारी सच्ची जाति मनुष्य है,

हमारा सच्चा धर्म मानवता है।

हमारा देश अखिल विश्व है

और हमारा सच्चा शासक ईश्वर है।।’

हम सभी भारतवासियों को क्रांतिवीर नर – शार्दुल सावरकर की इस पुण्य भावना से अभिभूत होकर उसे अपने आचरण द्वारा सत्य प्रमाणित करन का संकल्प लेना चाहिए।

 

Tags: वीडी सावरकरसावरकरस्वातंत्र्य वीर सावरकरहिन्दू महासभा
No Result
View All Result

Archives

Recent Posts

  • ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारतीय सेना द्वारा आतंकियों के ठिकानों पर हमला सराहनीय व वंदनीय: अभाविप
  • अभाविप ने ‘सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल’ में सहभागिता करने के लिए युवाओं-विद्यार्थियों को किया आह्वान
  • अभाविप नीत डूसू का संघर्ष लाया रंग,दिल्ली विश्वविद्यालय ने छात्रों को चौथे वर्ष में प्रवेश देने का लिया निर्णय
  • Another Suicide of a Nepali Student at KIIT is Deeply Distressing: ABVP
  • ABVP creates history in JNUSU Elections: Landslide victory in Joint Secretary post and secures 24 out of 46 councillor posts

rashtriya chhatrashakti

About ChhatraShakti

  • About Us
  • संपादक मंडल
  • राष्ट्रीय अधिवेशन
  • कवर स्टोरी
  • प्रस्ताव
  • खबर
  • परिचर्चा
  • फोटो

Our Work

  • Girls
  • State University Works
  • Central University Works
  • Private University Work

आयाम

  • Think India
  • WOSY
  • Jignasa
  • SHODH
  • SFS
  • Student Experience Interstate Living (SEIL)
  • FarmVision
  • MediVision
  • Student for Development (SFD)
  • AgriVision

ABVP विशेष

  • आंदोलनात्मक
  • प्रतिनिधित्वात्मक
  • रचनात्मक
  • संगठनात्मक
  • सृजनात्मक

अभाविप सार

  • ABVP
  • ABVP Voice
  • अभाविप
  • DUSU
  • JNU
  • RSS
  • विद्यार्थी परिषद

Privacy Policy | Terms & Conditions

Copyright © 2025 Chhatrashakti. All Rights Reserved.

Connect with us:

Facebook X-twitter Instagram Youtube
No Result
View All Result
  • मुख पृष्ठ
  • कवर स्टोरी
  • ABVP विशेष
    • आंदोलनात्मक
    • प्रतिनिधित्वात्मक
    • रचनात्मक
    • संगठनात्मक
    • सृजनात्मक
  • लेख
  • पत्रिका
  • सब्सक्रिप्शन
  • आयाम
    • Think India
    • WOSY
    • Jignasa
    • SHODH
    • SFS
    • Student Experience Interstate Living (SEIL)
    • FarmaVision
    • MediVision
    • Student for Development (SFD)
    • AgriVision
  • WORK
    • Girls
    • State University Works
    • Central University Works
    • Private University Work
  • खबर
  • परिचर्चा
  • फोटो

© 2025 Chhatra Shakti| All Rights Reserved.