Friday, May 23, 2025
No Result
View All Result
Rashtriya Chhatra Shakti
  • मुख पृष्ठ
  • कवर स्टोरी
  • ABVP विशेष
    • आंदोलनात्मक
    • प्रतिनिधित्वात्मक
    • रचनात्मक
    • संगठनात्मक
    • सृजनात्मक
  • लेख
  • पत्रिका
  • सब्सक्रिप्शन
  • आयाम
    • Think India
    • WOSY
    • Jignasa
    • SHODH
    • SFS
    • Student Experience Interstate Living (SEIL)
    • FarmaVision
    • MediVision
    • Student for Development (SFD)
    • AgriVision
  • WORK
    • Girls
    • State University Works
    • Central University Works
    • Private University Work
  • खबर
  • परिचर्चा
  • फोटो
Rashtriya Chhatra Shakti
  • मुख पृष्ठ
  • कवर स्टोरी
  • ABVP विशेष
    • आंदोलनात्मक
    • प्रतिनिधित्वात्मक
    • रचनात्मक
    • संगठनात्मक
    • सृजनात्मक
  • लेख
  • पत्रिका
  • सब्सक्रिप्शन
  • आयाम
    • Think India
    • WOSY
    • Jignasa
    • SHODH
    • SFS
    • Student Experience Interstate Living (SEIL)
    • FarmaVision
    • MediVision
    • Student for Development (SFD)
    • AgriVision
  • WORK
    • Girls
    • State University Works
    • Central University Works
    • Private University Work
  • खबर
  • परिचर्चा
  • फोटो
No Result
View All Result
Rashtriya Chhatra Shakti
No Result
View All Result
Home लेख

   बाबा साहब भीमराव रामजी अम्बेडकर :  एक व्यक्ति कई आयाम  

अजीत कुमार सिंह by डॉ. प्रवेश कुमार
April 14, 2020
in लेख
   बाबा साहब भीमराव रामजी अम्बेडकर :  एक व्यक्ति कई आयाम  

dr. bhimrao ambedkar

डॉ अम्बेडकर  जिनको दलितों का मसीहा कहा जाता हैं क्या वास्तव में वो सिर्फ दलित समाज के  ही नेता थे ? इसका विश्लेषण करने की आवश्यकता है। अम्बेडकर के चिंतन को पढ़ने पर ज्ञात होता है, कि उन्होंने मात्र वांचितो, दलितों की ही बात नहीं की बल्कि उनके चिंतन में भारत और उसका समाज ही सदैव केंद्र में रहा। यही कारण था की वे कहते हैं “मैं पहले और अंतिम रूप में एक भारतीय हूं” अम्बेडकर  ने आजीवन भारत के उस भाव के लिए काम किया जिसका मूल तत्व सर्वे भवंतु सुखिनः था, जैसे – जैसे अंबेडकर पर काम हो रहा वैसे-वैसे उनके जीवन के कई आयाम निकलकर बाहर आ रहे हैं। भारत के इस महान सपूत का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू  मध्य प्रदेश मे सेना की छावनी में हुआ था, इनके पिता रामजी मालोजी सकपाल सेना मे सूबेदार के पद पर कार्यरत थे वही माँ भीमाबाई एक गृहणी थीं । अम्बेडकर का जन्म हिंदू समाज में व्याप्त जाति व्यवस्था में नीचे मानी जाने  वाली जाति महार में हुआ जिसके कारण  उनको सामाजिक उत्पीड़न का भी सामना करना पड़ा। डॉ. भीमराव राम जी अंबेडकर के बचपन का नाम रामजी सकपाल था,अपने एक देशस्त ब्राह्मण शिक्षक महादेव अम्बेडकर जो उनसे विशेष स्नेह रखते थे के कहने पर अम्बेडकर ने अपने नाम से सकपाल हटाकर अम्बेडकर जोड़ लिया जो उनके गांव के नाम “अंबावडे” पर आधारित । समाज में व्याप्त सामाजिक कुरुतियो ने अम्बेडकर के मन पर गहरा प्रभाव डाला जब वे अपनी माँ के साथ बाजार में जाते है वहाँ  समान का मूल्य देने के बावजूद भी दुकानदारो का व्यव्हार ठीक नही होता था। स्कूल में जब पढ़ने जाते हैं तब उन्हें कक्षा में बैठने नहीं दिया जाता, ब्लैक बोर्ड को वो छू(स्पर्श) नहीं सकते, पानी के घड़े को छू नहीं सकते पानी – पीने के लिए घंटो अपने साथ पढ़ने वाले किसी सवर्ण जाति के सहपाठी का इंतज़ार करना पड़ता की वो आ कर पानी पिलाये, ऐसे तमाम प्रतिबंधों को सहते हुए भी अम्बेडकर  ने अपनी तमाम शिक्षा को पूर्ण किया ।

अम्बेडकर  अपने एक अन्य शिक्षक केलुसकर के भी अधिक प्रिय थे इसी शिक्षक के कहने पर बड़ौदा रियासत से अम्बेडकर को विदेश में जा कर शिक्षा प्राप्त करने हेतु छात्रवृति दिलाई , जब वे पढ़कर लौटे तो सोचा देश अब तो बदल गया होगा सामाजिक उत्पीड़न अब नहीं होगा लेकिन उनके विचार के विपरीत समाज में कोई विशेषकर बदलाव नहीं आया था। अम्बेडकर भारत आकार बड़ौदा रियासत की छात्रवृति में निहित अनुबंध के अनुसार पढ़ाई के बाद रियासत में नौकरी करनी होगी । अम्बेडकर ने बड़ोदा रियासत में रक्षा सचिव ( Defense secretary ) के पद पर अपनी नियुक्ति प्राप्त की लेकिन  बड़ौदा  मे उनके सामने रहने – खाने की अधिक समस्या आ खड़ी हुई बड़ौदा में भी समाज का ताना उसी प्रकार का था जिसे उन्होंने अपने बाल्यकाल में झेला था। बड़ौदा में उनको रहने को कोई  घर नहीं मिला, दफ्तर मे  चपरासी पानी नहीं पिलाता, उनके द्वरा छुई किसी फाइल को छूने में  सहकर्मियो को असहजता होती  इस सब से परेशान होकर अम्बेडकर ने रियासत के राजा को सब बताया परंतु कोई सहायता ना मिलने पर उन्होंने बड़ौदा रियासत के रक्षा सचिव पद से त्याग पत्र दे दिया और  मुम्बई आकर सिडनिहेम कालेज में पढ़ाने लगे पर यहाँ अपने साथ काम करने वाले शिक्षकों के दुर्व्यवहार के कारण उनको नौकरी छोड़नी पड़ी कहने को तो ये एक बड़ा  प्रतिष्ठित महाविधालय था परंतु यह भी उन्हें विद्वान ना मान एक अछूत ही माना गया । वे  शिक्षको के बने स्टाफ रूम मे बैठ नहीं सकते थे, उनके लिए रखे पानी के पात्र को छू नहीं सकते थे। इसके बाद अम्बेडकर ने अपनी क़िस्मत को वकालत के पेशे में आज़माया लेकिन यहाँ भी उनको सफलता नहीं मिली उनके पास मुक़दमे नहीं आते थे जजों का व्यवहार ठीक नहीं होता था ।

इन सब चीज़ों ने भी क्या अम्बेडकर के मन में किसी समाज के प्रति दुर्व्यवहार पैदा किया तो जवाब है नहीं। क्योंकि भारत का मूलतत्व अम्बेडकर के मानस में भीतर तक घर कर चुका था यही कारण है कि  जब  बाबा साहब ने समान मताधिकार की बात साउथ बोरो कमेटी (1918) के सामने की तब बिना किसी भेद के “एक मत,एक मूल्य,एक व्यक्ति” का विचार पर आधारित मताधिकार का अधिकार मिले इसकी माँग की, अंबेडकर ने उधमिता (Entrepreneurship) और छोटे काम – धन्धो की बात की जिसमें महिलाओ और वंचितों को छोटे उद्यमी बनाने की बात की ,छोटे मंझौले उद्योगों के प्रोत्साहन के लिए सरकार लोगों को विशेषकर महिलाओं को ऋण उपलब्ध कराये ऐसी माँग की।  ऐसा करते हुए अम्बेडकर ने क्या ये कहा कि ये सभी  केवल दलित – बहुजन महिलाओं को ही मिले, तो ऐसा नहीं।

भारत में अपना केंद्रीय बैंक हो इस पूरे विचार  को हिल्टन यंग आयोग (1925) और रॉयल कमिसन के सामने रखने वाले अम्बेडकर ही थे। इसी तर्ज़ पर “रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया” की स्थापना हुई। भारत का आर्थिक ढाँचा कैसे हो, कैसे उद्योगों के साथ हमारी कृषि भी आगे बढ़े इसकी चिंता उनके आर्थिक चितन में आसानी से देखी जा सकती है। अम्बेडकर कहते है “देश के लिए भारी उद्योगों की नितांत आवश्यकता है, लेकिन खेती किसानी से भारत का बड़ा वर्ग संलग्न हैं उसको भी उन्नत तकनीक से जोड़ने की आवश्यकता है, कृषि उद्यौगों को कच्चा माल उपलब्ध कराती है,अम्बेडकर ने कृषि खेती की ज़मीन के छोटा होने को किसानो की दयनीय परिस्थति के लिए एक कारण माना  इसलिए “सामूहिक खेती” करने का विचार दिया जिस पर लागत कम और लाभ अधिक तथा जोखिम कम होता है। चीन ने इस विचार को आत्मसात किया जिसका कारण कम उपजाऊ ज़मीन होने पर भी चीन कृषि क्षेत्र में दुनिया में ठीक-ठाक स्तर पर है। अम्बेडकर को उनकी  पी. एच. डी.  के दोरान अंग्रेज़ी आर्थिक नितियो की आलोचना करने के कारण ब्रिटिश पुलिस के द्वारा प्रताड़ित किया गया परंतु उनके शोध पर्यवेक्षक के कारण इन मुसीबतों से वे निकल पाए। डॉ. अम्बेडकर ने भारतीय मुद्रा (रुपए) की समस्या, महंगाई तथा विनिमय दर, भारत का राष्ट्रीय लाभांश, ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का विकास, प्राचीन भारतीय वाणिज्य, ईस्ट इंडिया कम्पनी का प्रशासन एवं वित्त, भूमिहीन मजदूरों की समस्या तथा भारतीय कृषि की समस्या जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर शोध ही नहीं किया बल्कि इन मुद्दों से सम्बंधित समस्याओं के तर्किक एवं व्यावहारिक समाधान भी दिए ।  1923 में अम्बेडकर ने वित्त आयोग की बात की और ये माँग की की प्रत्येक पाँच वर्षों में वित्त आयोग की रिपोर्ट आनी चाहिए। एक श्रमिक नेता के रूप में अम्बेडकर ने 1926 मज़दूर संगठनों की वकालत की, मज़दूरों के काम के घंटे तय होने चाहिए मज़दूरों में भी महिलाओं और पुरुषों में काम के घंटे भिन्न हो ये माँगे अम्बेडकर के द्वारा की गई, जब वे वायसराय की काउन्सिल में श्रम मंत्री (1942) हुए  तो सभी को समान कार्य के लिए समान वेतन, रोजगार कार्यालय (Employment Exchange)  का निर्माण हो जिस से युवा बेरोजगार न रह सके, कर्मचारियो का राज्यकृत जीवन बीमा ( Employees state insurance  ) आदि सारे विषयों पर नीति निर्माण कराने  में अम्बेडकर की महत्ती भूमिका थी। महिलाओं के उद्धारक के रूप में 1928 में अम्बेडकर ने महिलाओं के लिए मातृत्व लाभ (maternity Benefits) की माँग की बॉम्बे विधानसभा में और 1929 में इस पर विधानसभा में बिल रखा जो बाद में पास हुआ, वहीं आज़ाद भारत में हिंदू कोड बिल लाने की माँग की जब नहीं पास करा सके तो अपने मंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया। अम्बेडकर कहते है “ मैं किसी भी समाज की तरक़्क़ी उस समाज की महिलाओ की तरक़्क़ी से मापता हूं”। भविष्य की  योजना करता भूमिका के रूप में देश में बाँध परियोजन विकास के लिए आवश्यक हैं इस हेतु बाँध बनाए जाए जिससे एक और बिजली का उत्पादन बड़े उद्योगों के लिए ज़रूरी है वही नहरों के माध्यम से सूखे कृषि क्षेत्रों को पानी पहुँचना  इस हेतु बहुउद्देश्यीय दामोदर बाँध परियोजन बनाई गई जिसके  मुख्य सूत्रधार अम्बेडकर ही थे । देश की एकता अखंडता हेतु अम्बेडकर ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुछेद 370,35ए का समर्थन नहीं किया और ना इसको लेकर बने ड्राफ़्ट पर अपने हस्ताक्षर ही किए,ये उनकी दूरदर्शिता ही थी । सविधान निर्माण में तो अम्बेडकर की प्रमुख भूमिका रही जिसके बारे में सविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमेटी के सदस्य अल्ला दिन कृष्ण अय्यर संविधान सभा में बताते हैं की संविधान डॉ आंबेडकर ने ही लिखा हैं  वे कहते हैं  ” वैसे तो ड्राफ्टिंग कमिटी में सात लोग थे पर जिसमे एक की मृत्यु हो गई , एक मध्यप्रदेश के थे वो कभी आते नहीं थे , दो लोग अमेरिका चले गए , एक अक्सर बीमार रहते थे , और लोग भी कभी -कभी ही आते थे ऐसे में ड्राफ्टिंग का सारे कार्य का भार केवल आंबेडकर के कंधो पर ही आ गया था , जो उन्होंने बखूबी किया।  इस तरह तो अम्बेडकर ना इस भारत के निर्माण के लिए अपना एक-एक पल दे दिया लेकिन फिर भी अम्बेडकर के इस योगदन के लिए उन्हें उनके परिनिर्वाण के लगभग 34 वर्षों के बात भारत रत्न मिला लेकिन वर्तमान की सरकार ने आज अम्बेडकर के व्यक्तित्व के कई आयामों को उभारने  का काम किया है, इसी का परिणाम है की जिस अम्बेडकर को देश एवं दुनिया कमज़ोर , वंचित वर्गों की एक मजबूत  आवाज़ के रूप में ही जाना जाता था परंतु आज बाबा साहब अम्बेडकर के नाम पर  बनी अम्बेडकर अध्ययन केंद्रो के माध्यम से उनके व्यक्तित्व के कई और आयाम उभर कर दुनिया के सामने आया है इसमें वर्तमान की मोदी सरकार का बड़ी भूमिका है।

(लेखक जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय(जेएनयू) में प्राध्यापक हैं।)

Tags: abvpbhimrao ambedkarjnurbiअम्बेडकरभीमराव अंबेडकर
No Result
View All Result

Archives

Recent Posts

  • डूसू कार्यालय में राहुल गांधी के अनधिकृत आगमन के दौरान एनएसयूआई द्वारा फैलाया गया अराजक वातावरण एवं छात्रसंघ सचिव मित्रविंदा को प्रवेश से रोकना निंदनीय व दुर्भाग्यपूर्ण : अभाविप
  • Ashoka university Vice Chancellor’s response and remarks on Operation Sindoor undermine National Interest and Academic Integrity: ABVP
  • ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारतीय सेना द्वारा आतंकियों के ठिकानों पर हमला सराहनीय व वंदनीय: अभाविप
  • अभाविप ने ‘सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल’ में सहभागिता करने के लिए युवाओं-विद्यार्थियों को किया आह्वान
  • अभाविप नीत डूसू का संघर्ष लाया रंग,दिल्ली विश्वविद्यालय ने छात्रों को चौथे वर्ष में प्रवेश देने का लिया निर्णय

rashtriya chhatrashakti

About ChhatraShakti

  • About Us
  • संपादक मंडल
  • राष्ट्रीय अधिवेशन
  • कवर स्टोरी
  • प्रस्ताव
  • खबर
  • परिचर्चा
  • फोटो

Our Work

  • Girls
  • State University Works
  • Central University Works
  • Private University Work

आयाम

  • Think India
  • WOSY
  • Jignasa
  • SHODH
  • SFS
  • Student Experience Interstate Living (SEIL)
  • FarmVision
  • MediVision
  • Student for Development (SFD)
  • AgriVision

ABVP विशेष

  • आंदोलनात्मक
  • प्रतिनिधित्वात्मक
  • रचनात्मक
  • संगठनात्मक
  • सृजनात्मक

अभाविप सार

  • ABVP
  • ABVP Voice
  • अभाविप
  • DUSU
  • JNU
  • RSS
  • विद्यार्थी परिषद

Privacy Policy | Terms & Conditions

Copyright © 2025 Chhatrashakti. All Rights Reserved.

Connect with us:

Facebook X-twitter Instagram Youtube
No Result
View All Result
  • मुख पृष्ठ
  • कवर स्टोरी
  • ABVP विशेष
    • आंदोलनात्मक
    • प्रतिनिधित्वात्मक
    • रचनात्मक
    • संगठनात्मक
    • सृजनात्मक
  • लेख
  • पत्रिका
  • सब्सक्रिप्शन
  • आयाम
    • Think India
    • WOSY
    • Jignasa
    • SHODH
    • SFS
    • Student Experience Interstate Living (SEIL)
    • FarmaVision
    • MediVision
    • Student for Development (SFD)
    • AgriVision
  • WORK
    • Girls
    • State University Works
    • Central University Works
    • Private University Work
  • खबर
  • परिचर्चा
  • फोटो

© 2025 Chhatra Shakti| All Rights Reserved.