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नहीं रहे केरल भूमि सुधार के प्रणेता संत केशवानंद भारती, अभाविप ने दी भावपूर्ण श्रद्धांजलि

छात्रशक्ति डेस्क

केरल भूमि सुधार के प्रणेता संत केशवानंद भारती स्वामी रविवार को ब्रह्मलीन हो गये। निधन की खबर सुनते ही देश भर में शोक की लहर दौड़ गई। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि संविधान के मूलभूत ढांचे को संरक्षित करने वाली केशवानंद भारती  स्वामी जी का जाना भारतीय जनमानस के लिए अपूरणीय क्षति है। अभाविप के राष्ट्रीय अध्यक्ष, महामंत्री एवं संगठन ने स्वामी जी के ब्रह्मलीन होने पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की है। परिषद के सभी कार्यकर्ता पूज्य संत केशवानंद जी की पुण्य आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।

बता दें कि संत केशवानंद भारती स्वामी ने वर्ष 1970 में केरल हाईकोर्ट में एडनीर मठ, कासरगोड के प्रमुख होने के नाते उन्होंने याचिका दायर की थी। संत भारती ने अनुच्छेद 26 का संदर्भ देते हुए मांग की थी, कि उन्हें अपनी धार्मिक संपदा का प्रबंधन करने का मूल अधिकार दिया जाए। उन्होंने संविधान संशोधन के माध्यम से संपत्ति के मूल अधिकार पर प्रतिबन्ध लगाने वाले केंद्र सरकार के 24वें, 25वें और 29वें संविधान संशोधनों को चुनौती दी थी। 68 दिनों तक चली सुनवाई के बाद वे केस हार गए, बाद में उन्होंने उच्च न्यायलय के इस निर्णय को उच्चतम न्यायलय में चुनौती दी थी, जहां न्यायालय ने उनके पक्ष में और एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाया था। प्रतियोगी परीक्षा तैयारी करने वाले छात्र इसे केशवानंद भारती बनाम केरल सरकार के रूप में जानते हैं। वर्ष 1961 से समाजकार्य और जनसेवा को सर्वोपरि मानकर कार्य करने वाले महान समाजसेवी जो केरल के शंकराचार्य नाम से प्रसिद्ध हैं।

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