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छात्रशक्ति फरवरी – मार्च 2021

छात्रशक्ति संपादकीय फरवरी 2021

26 जनवरी को किसान नेताओं के आश्वासन के बावजूद लाल किले पर जो हुआ वह अस्वीकार्य है। घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि किसानों के इस आंदोलन में अराजक तत्वों की घुसपैठ हो चुकी है और उन्हें उन स्रोतों से सहायता प्राप्त हो रही है जो देश में शांतिव्यवस्था को चुनौती देते रहे हैं।

घटना की आशंका तभी से बलवती होने लगी थी जब आंदोलनस्थल पर भिंडरवाले और शाहीनबाग हिंसा में गिरफ्तार लोगों को छोड़े जाने संबंधी पोस्टर दिखायी देने लगे थे। पुलिस ने अभूतपूर्व संयम दिखाते हुए शरारती तत्वों का मंसूबा पूरा नहीं होने दिया। घटनाक्रम बताता है राष्ट्रीय संवेदना को चोट पहुंचाने के लिये ही अराजक तत्वों ने गणतंत्र दिवस का दिन चुना था। पुलिस की पड़ताल में इसकी पुष्टि हो रही है।

अदृश्य शक्तियों की सहायता से भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने वाले इन लोगों ने किसान आंदोलन के प्रति जनसामान्य की सहानुभूति को काफी हद तक कमजोर किया है। किसान खुद भी इस आंदोलन से दूर होते नजर आ रहे हैं तो इसका सीधा कारण है कि भारत का मूल चरित्र व्यक्तिगत अथवा सामूहिक प्रश्नों पर राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देने का है। सैकड़ों हजारों वर्षों के सामूहिक चिंतन में से जो “स्व” का भाव उत्पन्न हुआ है उसे क्षणिक आघात नहीं डिगा सकते।

“स्व” की पहचान और उससे भारतीय मनोजगत की संबद्धता का ताजा प्रमाण है अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर बनने वाला मंदिर। जब न्यायालय से इस संबंध में निर्णय आया तो पूरे देश ने इसका स्वागत किया और जो लोग यह उम्मीद लगाये बैठे थे कि इसकी आड़ में भारी हिंसा को भड़काया जा सकेगा, उन्हें निराश होना पड़ा। कोविड-19 के प्रकोप के चलते आर्थिक गतिविधियों के ठप होने के बावजूद जिस प्रकार पूरे देश से मंदिर निर्माण के लिये आर्थिक समर्पण प्राप्त हो रहा है वह बताता है कि भारत का समाज जिस भावभूमि पर जीता है वह सारे संसार से अलग है और भौतिक उपभोग के आधिक्य के पैमाने पर सुख को मापने वाले लोग इसकी अनुभूति भी नहीं कर सकते।

अभाविप रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के आन्दोलन में 80 के दशक से ही सहभागी रही। वह मानती रही कि राष्ट्रमंदिर के निर्माण की आधारशिला राम मंदिर का निर्माण है। आज जब सारी विघ्न-बाधाओं को पार कर मंदिर निर्माण का कार्य प्रारंभ होने जा रहा है, परिषद के सपने और सिद्धांत दोनों के सत्य सिद्ध होने का अवसर है।

मकरसंक्रांति के बाद उत्तरायण में सूर्य का प्रवेश मंगलकारी माना जाता रहा है। भारत के उत्तरी सीमांत से चीन के सैनिकों की वापसी तथा पाकिस्तान के साथ संघर्ष विराम पर सहमति एक सुखद संदेश की भाँति आयी है। कोविड की वैक्सीन ने न केवल भारतीय वल्कि पूरे विश्व को सुरक्षा का अहसास कराया है वहीं भारत की वैज्ञानिक क्षमता को विश्वपटल पर स्थापित करने का काम भी किया है।

कोविड का प्रभाव जैसे-जैसे कम होता जा रहा है, संगठनात्मक गतिविधियों की भी गति बढ़ रही है। गत मास मे हुए बहुविध कार्यक्रमों के विवरण को संजोये यह अंक आपके सम्मुख प्रस्तुत है।

हार्दिक शुभकामना सहित,

आपका,

संपादक

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