Friday, June 6, 2025
No Result
View All Result
Rashtriya Chhatra Shakti
  • मुख पृष्ठ
  • कवर स्टोरी
  • ABVP विशेष
    • आंदोलनात्मक
    • प्रतिनिधित्वात्मक
    • रचनात्मक
    • संगठनात्मक
    • सृजनात्मक
  • लेख
  • पत्रिका
  • सब्सक्रिप्शन
  • आयाम
    • Think India
    • WOSY
    • Jignasa
    • SHODH
    • SFS
    • Student Experience Interstate Living (SEIL)
    • FarmaVision
    • MediVision
    • Student for Development (SFD)
    • AgriVision
  • WORK
    • Girls
    • State University Works
    • Central University Works
    • Private University Work
  • खबर
  • परिचर्चा
  • फोटो
Rashtriya Chhatra Shakti
  • मुख पृष्ठ
  • कवर स्टोरी
  • ABVP विशेष
    • आंदोलनात्मक
    • प्रतिनिधित्वात्मक
    • रचनात्मक
    • संगठनात्मक
    • सृजनात्मक
  • लेख
  • पत्रिका
  • सब्सक्रिप्शन
  • आयाम
    • Think India
    • WOSY
    • Jignasa
    • SHODH
    • SFS
    • Student Experience Interstate Living (SEIL)
    • FarmaVision
    • MediVision
    • Student for Development (SFD)
    • AgriVision
  • WORK
    • Girls
    • State University Works
    • Central University Works
    • Private University Work
  • खबर
  • परिचर्चा
  • फोटो
No Result
View All Result
Rashtriya Chhatra Shakti
No Result
View All Result
Home संपादकीय

छात्रशक्ति मई 2022

अजीत कुमार सिंह by
May 13, 2022
in संपादकीय

संपादकीय

सर्वोच्च न्यायालय ने राजद्रोह कानून पर तात्कालिक रोक लगा दी है। सुनवाई जारी है। भारतीय संविधान की धारा 124 ए के दुरुपयोग की शिकायत लेकर अनेक संगठनों ने न्यायालय में याचिका दायर की थी  जिस पर विचार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने यह कदम उठाया है।

वादियों ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि यह कानून भारतीय संविधान के लागू होने पूर्व का है और अंग्रेजों की औपनिवेशिक सोच का प्रतीक है। इसे लेकर सभी विपक्षी राजनेताओं ने मिलती जुलती-टिप्पणियां की जिसमें कांग्रेस के प्रमुख नेता बढ़-चढ़ कर शामिल थे। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता के रूप में भी कांग्रेस के ही प्रमुख नेता कपिल सिब्बल बहस कर रहे थे।

प्रश्न उठता है कि जब संविधान सभा में संविधान के प्रारूप पर चर्चा हो रही थी तो वे कौन लोग थे तो इस और इस जैसे अनेक औपनिवेशिक कानूनों को भारतीय संविधान में शामिल करने के पक्ष में थे। निस्संदेह अटल बिहारी वाजपेयी और नरेन्द्र मोदी तो नहीं थे। जनता पार्टी के संक्षिप्त प्रयोग को छोड़ दें तो स्वतंत्रता के बाद लगभग 50 वर्षों तक कांग्रेस ने देश पर एकछत्र राज्य किया है और कठिन समय में उनके तारनहार बन कर वामपंथी दल हमेशा सामने आये हैं। आज जब वे सत्ता से बाहर हैं तो उन्हें इन कानूनों में खामी नजर आ रही है।

‘जब जागे तभी सबेरा’ की कहावत मानते हुए अगर यह दल अपनी राजनैतिक हैसियत गंवाने के बाद जागे हैं तो भी इसमें कुछ गलत नहीं। बड़ा प्रश्न यह है कि आज भी वे इसे सरकार के खिलाफ एक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं या इसमें कुछ वैचारिक ईमानदारी भी है। 50 वर्षों से अधिक तक इन कानूनों के भारतीय संविधान में बने रहने ही नहीं बल्कि इसके निरंतर दुरुपयोग के उदाहरण उनकी ईमानदारी को संदिग्ध बनाते हैं।

आपातकाल में जिन राजनैतिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था उनमें से अधिकांश पर राजद्रोह के मामले चले थे। ‘मीसा’ और ‘डीआईआर’ जैसे काले कानून कौन लाया था और अपने राजनैतिक विरोधियों के विरुद्ध इसका किसने इस्तेमाल किया था, यह छुपा हुआ नहीं है। अंतर यह है कि जब अभाविप सहित तमाम राष्ट्रीय विचार वाले संगठनों के कार्यकर्ता ‘वन्देमातरम’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाते सड़कों पर उतरते थे तो पुलिस थानों में अमानुषिक अत्याचारों का सामना करना पड़ता था और इन्हीं अंग्रेजों के बनाये कानूनों अथवा उनके भारतीय संस्करणों के अंतर्गत लम्बी सजायें काटनी होती थीं। आज जब यह कानून ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ जैसे नारे लगाने वालों के विरुद्ध उपयोग हो रहा है तो चुनिंदा राजनैतिक-सामाजिक संगठन और एनजीओ वाले उद्वेलित हो उठे हैं।

एक अन्य संदर्भ में झारखण्ड उच्च न्यायलय में राज्य के मुख्य सचिव के समक्ष एकल पीठ की मौखिक टिप्पणी इसे रेखांकित करती है। पीठ ने कहा कि एक सीनियर आईएएस अधिकारी जेल गयीं तो उन्हें मच्छर काटने लगे। गंदगी दिखी तो उन्हें गुस्सा आ गया और मौजूद कर्मचारी को फटकार लगा दी। जब अधिकारी उच्च पदों पर काम करते हैं तो उस दौरान व्यवस्था नहीं सुधारते। जब खुद पर बीतती है तो सब कुछ नजर आने लगता है। यह तथ्य समूचे शासनतंत्र पर ही खरा है।

जिन लोगों ने इन कानूनों का अपने राजनैतिक हित के लिये दशकों तक जम कर दुरुपयोग किया, अगर आज वे किसी भी कारण से सही, औपनिवेशिक काल के कानूनों की समीक्षा को तैयार हैं तो यह अवश्य किया जाना चाहिये। साथ ही यह भी याद रखने की जरूरत है कि इस प्रक्रिया में राष्ट्रीय हितों की अनदेखी न हो और देश के सामने मौजूद भीतरी और बाहरी चुनौतियों तथा वैश्विक आतंकवाद के विरुद्ध जारी अभियान पर समझौता न हो।

शुभकामना सहित,

आपका

संपादक

No Result
View All Result

Archives

Recent Posts

  • बदलता भारत, बदलती सोच: ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ और ‘संडे ऑन साइकिल’ की क्रांति
  • अभाविप की राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद बैठक का रायपुर में हुआ शुभारंभ
  • युवाओं की ऊर्जा और राष्ट्रभक्ति को दिशा देने का कार्य कर रही है विद्यार्थी परिषद: विष्णुदेव साय
  • विधि संकाय की अधिष्ठाता के इस पक्षपातपूर्ण कृत्य से सैकड़ों छात्र परेशान, विधि संकाय की अधिष्ठाता तत्काल इस्तीफा दें : अभाविप
  • डूसू कार्यालय में राहुल गांधी के अनधिकृत आगमन के दौरान एनएसयूआई द्वारा फैलाया गया अराजक वातावरण एवं छात्रसंघ सचिव मित्रविंदा को प्रवेश से रोकना निंदनीय व दुर्भाग्यपूर्ण : अभाविप

rashtriya chhatrashakti

About ChhatraShakti

  • About Us
  • संपादक मंडल
  • राष्ट्रीय अधिवेशन
  • कवर स्टोरी
  • प्रस्ताव
  • खबर
  • परिचर्चा
  • फोटो

Our Work

  • Girls
  • State University Works
  • Central University Works
  • Private University Work

आयाम

  • Think India
  • WOSY
  • Jignasa
  • SHODH
  • SFS
  • Student Experience Interstate Living (SEIL)
  • FarmVision
  • MediVision
  • Student for Development (SFD)
  • AgriVision

ABVP विशेष

  • आंदोलनात्मक
  • प्रतिनिधित्वात्मक
  • रचनात्मक
  • संगठनात्मक
  • सृजनात्मक

अभाविप सार

  • ABVP
  • ABVP Voice
  • अभाविप
  • DUSU
  • JNU
  • RSS
  • विद्यार्थी परिषद

Privacy Policy | Terms & Conditions

Copyright © 2025 Chhatrashakti. All Rights Reserved.

Connect with us:

Facebook X-twitter Instagram Youtube
No Result
View All Result
  • मुख पृष्ठ
  • कवर स्टोरी
  • ABVP विशेष
    • आंदोलनात्मक
    • प्रतिनिधित्वात्मक
    • रचनात्मक
    • संगठनात्मक
    • सृजनात्मक
  • लेख
  • पत्रिका
  • सब्सक्रिप्शन
  • आयाम
    • Think India
    • WOSY
    • Jignasa
    • SHODH
    • SFS
    • Student Experience Interstate Living (SEIL)
    • FarmaVision
    • MediVision
    • Student for Development (SFD)
    • AgriVision
  • WORK
    • Girls
    • State University Works
    • Central University Works
    • Private University Work
  • खबर
  • परिचर्चा
  • फोटो

© 2025 Chhatra Shakti| All Rights Reserved.