Saturday, May 31, 2025
No Result
View All Result
Rashtriya Chhatra Shakti
  • मुख पृष्ठ
  • कवर स्टोरी
  • ABVP विशेष
    • आंदोलनात्मक
    • प्रतिनिधित्वात्मक
    • रचनात्मक
    • संगठनात्मक
    • सृजनात्मक
  • लेख
  • पत्रिका
  • सब्सक्रिप्शन
  • आयाम
    • Think India
    • WOSY
    • Jignasa
    • SHODH
    • SFS
    • Student Experience Interstate Living (SEIL)
    • FarmaVision
    • MediVision
    • Student for Development (SFD)
    • AgriVision
  • WORK
    • Girls
    • State University Works
    • Central University Works
    • Private University Work
  • खबर
  • परिचर्चा
  • फोटो
Rashtriya Chhatra Shakti
  • मुख पृष्ठ
  • कवर स्टोरी
  • ABVP विशेष
    • आंदोलनात्मक
    • प्रतिनिधित्वात्मक
    • रचनात्मक
    • संगठनात्मक
    • सृजनात्मक
  • लेख
  • पत्रिका
  • सब्सक्रिप्शन
  • आयाम
    • Think India
    • WOSY
    • Jignasa
    • SHODH
    • SFS
    • Student Experience Interstate Living (SEIL)
    • FarmaVision
    • MediVision
    • Student for Development (SFD)
    • AgriVision
  • WORK
    • Girls
    • State University Works
    • Central University Works
    • Private University Work
  • खबर
  • परिचर्चा
  • फोटो
No Result
View All Result
Rashtriya Chhatra Shakti
No Result
View All Result
Home लेख

खेल और स्वामी विवेकानंद

अजीत कुमार सिंह by डॉ. पियूष जैन
January 12, 2023
in लेख
खेल और स्वामी विवेकानंद

भारत ने अपनी आजादी के गौरवपूर्ण 75 वर्ष पूर्ण किए हैं। बीते 75 वर्षों में भारत ने 15 महामहिम राष्ट्रपति और 15 माननीय प्रधानमंत्रियों के सफल नेतृत्व में अनेक अद्वितीय कार्य किए और अनेक ऐतिहासिक उपलब्धियों को हासिल किया है। कोरोना महामारी के दौरान जब अनेक देश दिवालिया होने की कगार पर खड़े थे, ऐसे में भारत ने आत्मनिर्भर बनने का शंखनाद किया। बीते स्वतंत्रता दिवस पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए कहा कि देश अब अमृत काल में प्रवेश कर रहा है, और ये उसकी पहली प्रभात है। उन्होंने देश के सामने आजादी के 100 वर्ष अर्थात 2047 के लिए पंच प्रण (पाँच संकल्प) की बात कही। उसमें विकसित भारत बनाना ना सिर्फ प्रधानमंत्री का सपना है, बल्कि हर नागरिक का सपना है। पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न एपीजे अब्दुल कलाम ने जब एक स्कूली बच्ची से पूछा कि आप कैसे भारत में रहना चाहती हो? तो उसने कहा कि मैं विकसित भारत में रहना चाहती हूँ। आज ये सुखद है कि भारत उस दिशा में आगे बढ़ रहा है। आज जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तब जी-20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता मिलना भारत को अनेक नए अवसर प्रदान करेगी। आज दुनिया भारत कि ओर अपेक्षा भरी निगाहों से देख रही है। ऐसे में यह महत्वपूर्ण हो जाता है की एक स्वस्थ राष्ट्र ही दुनिया का नेतृत्व कर सकता है। बांग्ला भाषा में गीता के गये पदों का काव्य रूपांतरण करने वाले आचार्य सत्येन्द्र बनर्जी ने बचपन में स्वामी विवेकानंद से गीता पढ़ने की इच्छा व्यक्त की। इस पर स्वामी जी ने उनसे कहा था कि उन्हें पहले 6 माह तक फुटबॉल खेलना होगा। जब बालक ने स्वामी विवेकानंद से पूछा कि गीता तो एक धार्मिक ग्रंथ है, फिर इसके ज्ञान के लिए फुटबॉल खेलना क्यों जरुरी है? इस पर स्वामी जी ने अपने जवाब में कहा, “गीता वीरजनों और त्यागी व्यक्तियों का महाग्रंथ है। इसलिए जो वीरत्व और सेवाभाव से भरा होगा, वही गीता के गूढ़ श्लोकों का रहस्य समझ पाएगा, स्थूल शरीर प्रखर विचारों का जनक नहीं हो सकता। फुटबॉल खेलने से स्वामी का तात्पर्य यह था कि हष्ट-पुष्ट और स्वस्थ शरीर से ही हम अपने लक्ष्यों को साध सकते हैं। स्वामी जी खेलों के प्रति विशेष रुचि रखते थे। उनकी फुटबॉल, बॉक्सिंग, क्रिकेट और तलवारबाजी में अच्छी खासी दिलचस्पी थी।

उनका मानना था कि शारीरिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक रूप से जो कुछ भी आपको कमजोर  बनाता है – उसे ज़हर की तरह त्याग दो। स्वामी विवेकानंद का मानना था कि जीवन सफल होने के साथ-साथ सार्थक भी होना चाहिए। ख़ासकर भारत के युवाओं को लेकर उनका एक सपना था, कि वे अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए निर्भय बनें और शारीरिक-मानसिक रूप से मजबूत हों। इसके लिए स्वामी विवेकानंद खेलों के माध्यम से जीवन को समझने और जीवन जीने की बात बताते हैं।

आपको पता ही है, कि अगर नियम नहीं तो खेल भी नहीं। आप आधे अधूरे मन से अपने दफ्तर जा सकते हैं, अधूरे मन से जिंदगी जी सकते हैं, अधूरे मन से शादी भी कर सकते हैं, लेकिन आप आधे मन से कोई खेल नहीं खेल सकते। आपको खुद को पूरी तरह से खेल में झोंकना होगा वर्ना खेल होगा ही नहीं। जब आप प्रार्थना करते हैं तो आप साथ में बहुत सारी चीजें सोच सकते हैं। लेकिन जब आप फुटबॉल को किक मारते हैं तो आप सिर्फ किक ही मार रहे होते हैं, और कुछ नहीं कर रहे होते। अगर आप कुछ और करेंगे तो वह बॉल वहां नहीं जा पाएंगी, जहां आप इसे पहुँचाना चाहते हैं। खेल आपके भीतर यह समझ लाता है कि किसी भी चीज में बिना पूरी सहभागिता के सफलता नहीं पाई जा सकती। आपको खेल को इस तरह से खेलना होता है, मानो आपकी जिंदगी उसी पर टिकी हो। सहनशीलता, संवेदनशीलता, विचारशीलता और टीम की भावना यानि समूह में व्यवहार खेल हमें सिखाता है। खेलों का सीधा संबंध हमारे स्वास्थ्य है और कोरोना ने हमें एहसास कराया कि एक स्वस्थ जीवन ही सबसे बड़ी पूंजी है।

हमारे ऋषि-मुनियों और शास्त्रों में भी उल्लेख मिलता है कि “पहला सुख निरोगी काया”,  इस सत्य को आत्मसात करते हुए ही हम एक सशक्त और मजबूत राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं। सरकार इस दिशा में कई सकारात्मक कदम उठा रही है। जैसे 2014 में भारतीय योग को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली और 21 जून को ना सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के 200 से अधिक देश “अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस “ के रूप में इसे मना रहे हैं। एक अच्छी बात यह भी है कि अनेक मुस्लिम देशों ने मजहब से ऊपर उठकर, स्वास्थ्य को शीर्ष पर रख कर योग को अपनी दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बना लिया है। स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए भारत में केमिकल फ्री नेचुरल फार्मिंग या आर्गेनिक खेती का चलन भी प्रखरता से सामने आया है। वित्त वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट में नदियों के दोनों तरफ 5-5 किलोमीटर में नेचुरल फार्मिंग की बात भी सामने आई है। इस योजना को जमीन पर आने में कितना समय लगेगा यह एक बात हो सकती है, मगर यह एक सुखद अनुभूति है, जो देश के किसान को समृद्ध बनाते हुए, देश के स्वास्थ्य को भी समृद्ध करने में सहायक सिद्ध होगी। इसी प्रकार देश की खेल नीति में भी अनेक सुधार नजर आते हैं और यह भी गौरवपूर्ण है कि देश के खिलाड़ी मेडल लाकर दुनिया भर में भारत का सीना गर्व से ऊँचा कर रहे हैं। मगर बावजूद इसके शारीरिक शिक्षा को जितना महत्व मिलना चाहिए वो नहीं मिल रहा है।

अमृत काल यानि आने वाले 25 वर्षों के लिए हमने अनेक नए संकल्प लिए हैं। उन नए संकल्पों में एक संकल्प शारीरिक शिक्षा अनिवार्य हो, यह भी जोड़नें की आवश्यकता महसूस होती है, इतना ही नहीं यह आज की जरूरत भी है।

बीते एक दशक से अधिक समय में नए शारीरिक शिक्षा के शिक्षकों की नियुक्ति ना होना भी दुर्भाग्य पूर्ण है। शारीरिक शिक्षा एक पेड़ की तरह है, जिसमें शिक्षक जड़ है, खेल उसके पत्ते व तने हैं और मेडल उसके फल हैं। अगर हम फल खाना चाहते हैं तो जड़ को सींचना बहुत जरूरी है। मगर सरकार का इसकी ओर कोई ध्यान नहीं है। 21वीं सदी में जहां महंगाई आसमान छूँ रही है, वहीं शारीरिक शिक्षा के शिक्षकों को निजी/सरकारी विद्यालयों में 3000 से 15000 रुपये तक की नौकरी करनी पड़ रही है। आज के समय में यह स्तिथि उनको आत्महत्या के लिए प्रेरित कर रही है। इस दिशा में सरकार को ठोस कदम उठाने कि आवश्यकता है। आज भारत आत्मनिर्भर के संकल्प के साथ आगे बढ़ना चाहता है। इसके लिए आवश्यक है की भारत के पास आत्मविश्वास हो, यह सत्य है कि वो आत्मविश्वास एक स्वस्थ शरीर में ही हो सकता है।

(लेखक फिजिकल एजुकेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया(पेफी) के राष्ट्रीय सचिव हैं एवं ये उनके निजी विचार हैं।)

 

 

Tags: National youth daypefiswami vivekanand
No Result
View All Result

Archives

Recent Posts

  • अभाविप की राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद बैठक का रायपुर में हुआ शुभारंभ
  • युवाओं की ऊर्जा और राष्ट्रभक्ति को दिशा देने का कार्य कर रही है विद्यार्थी परिषद: विष्णुदेव साय
  • विधि संकाय की अधिष्ठाता के इस पक्षपातपूर्ण कृत्य से सैकड़ों छात्र परेशान, विधि संकाय की अधिष्ठाता तत्काल इस्तीफा दें : अभाविप
  • डूसू कार्यालय में राहुल गांधी के अनधिकृत आगमन के दौरान एनएसयूआई द्वारा फैलाया गया अराजक वातावरण एवं छात्रसंघ सचिव मित्रविंदा को प्रवेश से रोकना निंदनीय व दुर्भाग्यपूर्ण : अभाविप
  • Ashoka university Vice Chancellor’s response and remarks on Operation Sindoor undermine National Interest and Academic Integrity: ABVP

rashtriya chhatrashakti

About ChhatraShakti

  • About Us
  • संपादक मंडल
  • राष्ट्रीय अधिवेशन
  • कवर स्टोरी
  • प्रस्ताव
  • खबर
  • परिचर्चा
  • फोटो

Our Work

  • Girls
  • State University Works
  • Central University Works
  • Private University Work

आयाम

  • Think India
  • WOSY
  • Jignasa
  • SHODH
  • SFS
  • Student Experience Interstate Living (SEIL)
  • FarmVision
  • MediVision
  • Student for Development (SFD)
  • AgriVision

ABVP विशेष

  • आंदोलनात्मक
  • प्रतिनिधित्वात्मक
  • रचनात्मक
  • संगठनात्मक
  • सृजनात्मक

अभाविप सार

  • ABVP
  • ABVP Voice
  • अभाविप
  • DUSU
  • JNU
  • RSS
  • विद्यार्थी परिषद

Privacy Policy | Terms & Conditions

Copyright © 2025 Chhatrashakti. All Rights Reserved.

Connect with us:

Facebook X-twitter Instagram Youtube
No Result
View All Result
  • मुख पृष्ठ
  • कवर स्टोरी
  • ABVP विशेष
    • आंदोलनात्मक
    • प्रतिनिधित्वात्मक
    • रचनात्मक
    • संगठनात्मक
    • सृजनात्मक
  • लेख
  • पत्रिका
  • सब्सक्रिप्शन
  • आयाम
    • Think India
    • WOSY
    • Jignasa
    • SHODH
    • SFS
    • Student Experience Interstate Living (SEIL)
    • FarmaVision
    • MediVision
    • Student for Development (SFD)
    • AgriVision
  • WORK
    • Girls
    • State University Works
    • Central University Works
    • Private University Work
  • खबर
  • परिचर्चा
  • फोटो

© 2025 Chhatra Shakti| All Rights Reserved.