अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बढ़ते पर्यावरण की समस्याओं के समाधान को लेकर दिल्ली सरकार पर गंभीर न होने का आरोप लगाया है। अभाविप ने पर्यावरणीय समस्याओं के प्रति दिल्ली सरकार के ढुलमुल दृष्टिकोण की निंदा की है और मांग की है कि दिल्ली सरकार आरोप प्रत्यारोप कुचक्र रचने और समस्या से बचने के बजाय तरल, ठोस अपशिष्ट के प्रभावी प्रबंधन और वायु गुणवत्ता को सुधारने के प्रभावी उपायों को लागू करने के लिए तत्काल गंभीर कार्रवाई करे। अपने 58 वें प्रान्त अधिवेशन में पारित हुए प्रस्ताव क्रमांक 3 में भी अभाविप ने दिल्ली में पर्यावरण सम्बन्धी सुधारों हेतु प्रमुखता से कार्य करने का संकल्प लिया है।
ज्ञात हो कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पाया है कि यमुना नदी के पानी की गुणवत्ता दिल्ली में प्रवेश करने से पहले निर्धारित मानदंडों को पूरा करती है लेकिन एनसीआर से बाहर निकलने पर गंभीर रूप से प्रदूषित हो जाती है। एनजीटी ने दिल्ली में सीवेज उत्पादन और उपचारित पानी की मात्रा के बीच एक बड़ा अंतर रिकॉर्ड किया है। हाल ही में एनजीटी ने दिल्ली सरकार पर खराब तरल और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए 2,232 करोड़ रुपये का कठोर जुर्माना भी लगाया है। इसी प्रकार पिछले साल अक्टूबर में भी, एनजीटी ने दिल्ली सरकार पर तीन लैंडफिल साइट्स में तीन करोड़ मीट्रिक टन से ज्यादा कूड़े का निस्तारण करने में नाकाम रहने पर 900 करोड़ रुपये का जुर्माना जारी किया था। यह दिल्ली सरकार के पर्यावरण के प्रति कोई भी प्राथमिकता ना होने का नकारात्मक रवैया दर्शाता है।
विकासार्थ विद्यार्थी (SFD), दिल्ली के प्रदेश संयोजक, मंजुल पंवार ने कहा कि बिगड़ती वायु गुणवत्ता, कचरे के कुप्रबंधन और यमुना नदी के प्रदूषण का न केवल दिल्ली के नागरिकों के स्वास्थ्य और कल्याण पर तत्काल प्रभाव पड़ता है, साथ ही पर्यावरण और अर्थव्यवस्था पर भी दीर्घकालिक प्रभाव डालता है। दिल्ली सरकार को अपने गैर जिम्मेदाराना रवैये को छोड़ने की आवश्यकता है, और उन्हें दोषारोपण के खेल में उलझने के बजाय इन महत्वपूर्ण मुद्दों को हल करने के लिए तत्काल और अधिक प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए।
अभाविप दिल्ली के प्रदेश मंत्री हर्ष अत्री ने कहा कि अभाविप के हाल ही में आयोजित प्रदेश अधिवेशन में, दिल्ली की पर्यावरण सम्बंधित समस्याओं से निपटने हेतु कार्य करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया है। दिल्ली सरकार को ठोस, तरल कचरे के प्रबंधन और वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए प्रयास करना चाहिए। उन्हें इस संबंध में एक गहन जन जागरूकता अभियान भी चलाना चाहिए। सरकार को यमुना नदी के लिए एक स्थायी सफाई प्रणाली विकसित करनी चाहिए और जल उपचार क्षमता को भी बढ़ाना चाहिए।