देश के केन्द्रीय विश्वविद्यालयों, आईआईटी, आईआईएम आदि उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षित वर्गों के छात्रों द्वारा पढ़ाई को बीच में छोड़ने के संबंध में राज्यसभा में केन्द्रीय शिक्षा राज्यमंत्री द्वारा दी गई जानकारी पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् मांग करती है कि इस विषय को गंभीरतापूर्वक संज्ञान में लेकर छात्रों के ड्रॉप-आउट के पीछे विभिन्न संभावित कारणों जैसे- रोजगार मिलने, दूसरे पाठ्यक्रम या अन्य शैक्षणिक संस्थान में प्रवेश लेने के कारण अपने पूर्व संस्थान छोड़ने या कथित भेदभाव आदि कारणों की जॉंच करने की मांग करती है, जॉंचोपरांत इस मामले में उचित कदम उठाए जाने चाहिए।
देश के सभी शिक्षण संस्थानों में किसी भी प्रकार के भेदभाव के लिए कोई स्थान नहीं है, शैक्षणिक संस्थानों में देश का भविष्य आकार लेता है। शैक्षणिक संस्थानों का वातावरण रचनात्मक तथा छात्रों के अनुकूल होना चाहिए, हमारे परिसरों में समानता तथा समता शत-प्रतिशत सुनिश्चित हो सके, इसके लिए सभी हितधारकों द्वारा किए जा रहे प्रयासों की गति बढ़ानी होगी।
अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने कहा कि बीते वर्षों में केन्द्रीय विश्वविद्यालयों, आईआईटी, आईआईएम आदि के कुछ छात्रों द्वारा पढ़ाई छोड़ने के संभावित कारणों की जांच होनी चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार उच्च शिक्षण संस्थानों में सकल नामांकन दर बढ़ाने के लिए तेजी से प्रयास आवश्यक हैं। देश के सभी शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों के लिए समान अवसर होने चाहिए तथा किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं हो।