पाकिस्तानी मूल के प्रसिद्ध कनाडाई लेखक तारिक फतेह का 73 वर्ष की आयु में 24 अप्रैल को निधन हो गया। तारिक फतेह के निधन पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर श्रद्धांजलि अर्पित की। अभाविप ने उनके निधन पर कहा कि तारिक फतेह प्रसिद्ध विचारक, लेखक एवं विद्वान व्यक्ति थे। उन्होंने अपने जीवनकाल में विभिन्न विषयों पर स्पष्ट विचार रखे। अभाविप श्री तारेक फतेह जी के देहावसान पर श्रद्धांजलि अर्पित करती है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राजशरण शाही, राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल तथा राष्ट्रीय संगठन मंत्री आशीष चौहान ने सभी अभाविप कार्यकर्ताओं की ओर से संवेदना व्यक्त करते हुए तारेक फतेह के देहावसान पर गहरा शोक व्यक्त कर ईश्वर से उनकी आत्मा को सद्गति प्रदान करने की प्रार्थना की। साहित्य जगत तथा मीडिया में उनकी स्पष्टता हमेशा उल्लेखनीय रहेगी। अभाविप कार्यकर्ताओं की संवेदनाएं तारेक फतेह जी के परिवार, प्रशंसकों तथा मित्रों के साथ हैं।
बेटी नताशा ने किया भावुक ट्वीट
तारिक फतेह की बेटी ने उनकी मृत्यु की खबर की पुष्टि करते हुए एक भावुक ट्वीट किया है। तारिक फतेह की बेटी नताशा ने ट्वीट करते हुए पोस्ट किया कि पंजाब का शेर। हिंदुस्तान का बेटा। कनाडा का प्रेमी। सच्चाई का वक्ता। न्याय के लिए लड़ने वाला। दलितों और शोषितों की आवाज। तारिक फतेह का निधन हो चुका है। बैटन ऑन … उनकी क्रांति उन सभी के साथ जारी रहेगी जो उन्हें जानते और प्यार करते थे
भारतीय संस्कृति को एकता का सूत्र बताते थे तारिक फतेह, खुद को कहते थे हिन्दुस्तान का बेटा
तारिक फतेह एक उदारवादी लेखक थे आजीवन वे इस्लामी मजहबी कट्टरता के खिलाफ रहे। उनका मानना था कि भारतीय संस्कृति एकता का सूत्र है। भारत की संस्कृति ही दुनिया को एक सूत्र में बांध सकती है। खुद को वे हिन्दुस्तान का बेटा कहते थे। उन पर पाकिस्तानी आतंकियों ने कई बार हमला किया, लेकिन वह डरे नहीं, बल्कि और बेबाकी से अपनी राय रखते रहे। उन्होंने कई मौकों पर पाकिस्तान को आईना दिखाने का काम किया। भारत के प्रति उनका रुख हमेशा से सकारात्मक रहा। हर बड़े मुद्दे पर वे अपना विचार रखते थे।
मुंबई का रहने वाला था तारिक फतेह का परिवार
तारिक फतेह का परिवार मुंबई का रहने वाला था। भारत-पाक विभाजन के बाद 1947 उनका परिवार पाकिस्तान के कराची में जाकर बस गया। पाकिस्तान के करांची में 20 नवंबर 1949 को तारिक फतेह का जन्म हुआ। उन्होंने कराची विश्वविद्यालय से बायोकेमिस्ट्री की पढ़ाई की थी, लेकिन बाद में वे पत्रकारिता से जुड़ गए और पत्रकारिता को ही अपना पेशा बना लिया। उन्होंने एक पाकिस्तानी टीवी चैनल में काम किया। उससे पहले वे 70 के दशक में करांची के सन नामक अखबार में संवाददाता का काम करते थे। खोजी पत्रकारिता के कारण वे कई बार जेल भी गए। हालांकि बाद में तारिक पाकिस्तान छोड़ कर सऊदी अरब चले गए, जहां से 1987 में वे कनाडा में बस गए। तारिक फतेह की बातों में वैचारिक स्पष्टता थी वे आजीवन कट्टरता के खिलाफ रहे। वे इस्लामी अतिवाद के खिलाफ मुखर होकर बोलते और लिखते रहे। बलूचिस्तान में मानवाधिकार के हनन पर भी उन्होंने खूब लिखा और बोला।