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छात्रशक्ति अक्टूबर 2023

जिस मतान्धता और साम्प्रदायिक उन्माद से भारत दशकों से जूझ रहा है, उसकी आग की लपटें पश्चिमी देशों में फिर से तीव्र हो गई हैं। यह संघर्ष आज का नहीं है। कोई एक इसका दोषी भी नहीं है। सभ्यताओं को नष्ट करने के इरादे से किसी ने क्रूसेड चलाया तो किसी ने जेहाद। मानवता को सभी ने आहत किया।

कथित आधुनिकता और उत्तर आधुनिकता के युग से गुजर जाने के बाद भी पश्चिम में सभ्यताओं के संघर्ष को सैद्धांतिक आधार दिया गया और उसे विश्व की स्वाभाविक नियति निरूपित करने का प्रयास भी हुआ। दुस्साहस यह कि संघर्ष की अवधारणा वाले खुद को आधुनिक बताते रहे और वसुधैव कुटुम्बकम् का उदघोष करने वाले भारत को पिछड़ा। दो विश्वयुद्धों के बाद भी पश्चिम की युद्ध पिपासा मिटी नहीं और एक बार फिर युद्ध का मैदान सजता दिखाई दे रहा है। भारत ने किसी सभ्यता को नष्ट करने का प्रयास न कभी किया और जब तक भारत अपने मूल्यों के साथ जियेगा, न कभी करेगा। यह तर्कातीत है कि यह भारत का संघर्ष नहीं है, फिर भी छायायुद्ध के रूप में भारत की धरती पर यह संघर्ष निरंतर जारी है।

भारत को मानवाधिकारों तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उपदेश देने वाले पश्चिमी देश हमास के हमले के विरुद्ध इजरायल के साथ खड़े हैं, जो स्वाभाविक भी है। हमास ने जिस बर्बरता से हमला किया और निर्दोष नागरिकों, यहां तक कि वृद्धों, महिलाओं और बच्चों तक को क्रूरतापूर्वक मारा, उसकी प्रत्येक विवेकशील व्यक्ति निन्दा करेगा। यह वैश्विक आतंकवाद का वीभत्सतम रूप है, जिसकी न केवल निन्दा, अपितु तीव्र प्रतिकार किया जाना आवश्यक है। यह स्पष्ट किया जाना आवश्यक है कि इस प्रतिक्रिया को इजरायल और फिलीस्तीन के बीच के संघर्ष में हस्तक्षेप के रूप में नहीं बल्कि आतंकवाद के विरुद्ध मानवता के संरक्षण के उपाय के रूप में देखा जाना चाहिए।

यह चिंता का विषय है कि भारत में राजनीतिक विपक्ष इस संवेदनशील मसले पर भी राष्ट्रीय नीति के पक्ष में खुलकर सामने आने में संकोच कर रहा है। वसुधैव कुटुम्बकम् जैसे उदात्त चिंतन की विरासत के ध्वजवाहक होने के नाते प्रत्येक भारतीय, विशेषकर उसके नेतृत्व का यह दायित्व है कि मानवता पर होने वाले हर हमले के विरुद्ध खड़ा हो।

अभाविप भारत में होने वाले हर आतंकवादी कृत्य और अलगाववादी प्रयासों का दृढ़ता से वैचारिक प्रतिकार करती रही है। इसके परिणामस्वरूप संगठन के अनेकों कार्यकर्ताओं पर प्राणघाती हमले हुए किन्तु परिषद ने निरंतर अपने मत को स्पष्टता से सामने रखा है। यही नहीं, देश के छात्र-युवाओं ने अभाविप के इस राष्ट्रीय एवं रचनात्मक दृष्टिकोण का सदैव समर्थन किया है और इसी वैचारिक प्रतिबद्धता ने विद्यार्थी परिषद को विश्व का सबसे बड़ा संगठन बनाया है।

अधर्म पर धर्म की विजय के पर्व विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ,

आपका

संपादक

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