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अभाविप द्वारा आयोजित ‘पूर्वोत्तर अध्ययन यात्रा’ असम में संपन्न

अभाविप की ‘पूर्वोत्तर अध्ययन यात्रा’ में पूर्वोत्तर के 67 जिलों की 120 जनजातियों के माध्यम से विद्यार्थियों ने पूर्वोत्तर को समझा
छात्रशक्ति डेस्क

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के ‘अंतर-राज्य छात्र जीवन दर्शन’ प्रकल्प द्वारा विद्यार्थी परिषद के ‘अमृत महोत्सव वर्ष’ में पूर्वोत्तर भारत के विभिन्न पक्षों से भारत के विभिन्न राज्यों के युवाओं को परिचित कराने के उद्देश्य से आयोजित की गई ‘पूर्वोत्तर अध्ययन यात्रा’ का समापन समारोह गुवाहाटी के प्रतिष्ठित कॉटन विश्वविद्यालय के ‘केबीआर सभागार’ में आयोजित किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में असम के महामहिम राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री आशीष चौहान जी, कॉटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो रमेशचंद्र डेका उपस्थित रहे, असम में आयोजित कार्यक्रम में विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री आशीष चौहान ने अभाविप के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा पूर्व राज्यपाल डॉ पद्मनाभ आचार्य जी की ‘अंतर-राज्य छात्र जीवन दर्शन’ प्रकल्प में भूमिका सहित राष्ट्रीय एकात्मता के लिए उनके जीवनपर्यंत किए गए कार्यों को याद करते हुए स्व. पद्मनाभ आचार्य जी को श्रद्धांजलि अर्पित की।

‘पूर्वोत्तर अध्ययन यात्रा’ में सम्पूर्ण भारत से 70 विद्यार्थी सम्मिलित हुए, जिसमें 17 छात्राएं भी सहभागी थीं। इन विद्यार्थियों ने पूर्वोत्तर के 67 जिलों में 244 स्थान पर कुल 299 विद्यालय एवं महाविद्यालयों के छात्र/छात्राओं से संपर्क कर उनसे पूर्वोत्तर के विविध विषयों को जाना। अभाविप द्वारा आयोजित ‘पूर्वोत्तर अध्ययन यात्रा’ में सम्मिलित हुए छात्र पूर्वोत्तर के 178 परिवारों में ठहरे तथा 120 जनजातियों से संपर्क कर उनके बारे में जाना। संख्यात्मक दृष्टि से इन 70 विद्यार्थियों ने 11 हज़ार से अधिक छात्र व छात्राओं से संपर्क किया। इस दौरान उनकी पूर्वोत्तर राज्य के गणमान्य नागरिकों से भी भेंट हुई जिसमें पूर्वोत्तर राज्यों के महामहिम राज्यपाल, मणिपुर तथा अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री, विश्वविद्यालयों के कुलपति तथा प्राचार्य भी सम्मिलित रहे।

उल्लेखनीय हो कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के अंतर-राज्य छात्र जीवन दर्शन (SEIL) प्रकल्प की सन् 1966 में स्थापना हुई थी, इस प्रकल्प के अन्तर्गत प्रतिवर्ष छात्रों को भारत की विविधता को समझने व राष्ट्रीय एकात्मता के पक्ष को प्रत्यक्ष जानने के लिए यात्राएं आयोजित की जाती हैं। ‘अन्तर-राज्य छात्र जीवन दर्शन’ के अंतर्गत पूर्वोत्तर भारत की विभिन्न जनजातियों से आने वाले विद्यार्थियों को विभिन्न भारतीय प्रदेशों को भ्रमण करने का अवसर मिलता है, वहां उन्हें देश की सांस्कृतिक एकता, भाषाई विविधता तथा शैक्षणिक परिवेश को देखने और समझने का अवसर प्राप्त होता है।

अभाविप के राष्ट्रीय मंत्री राकेश दास ने कहा कि इस वर्ष ‘पूर्वोत्तर अध्ययन यात्रा’ के माध्यम से भारत के अलग-अलग राज्यों से 70 छात्र-छात्राओं को पूर्वोत्तर भारत के अलग-अलग राज्यों में जाकर परंपरा, लोक व्यवहार तथा प्राकृतिक संपदा को जानने का अवसर मिला है। यात्रा के दौरान विद्यार्थी पूर्वोत्तर भारत की अलग-अलग जनजातियों, परंपराओं तथा ऐतिहासिक स्थलों का भी भ्रमण किया। यह यात्रा ‘राष्ट्रीय एकात्मता’ की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली रही है।

अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने कहा कि पूर्वोत्तर भारत के छात्र-छात्राओं की पढ़ाई तथा अन्य उद्देश्यों से भारत के विभिन्न राज्यों में जाने की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। पूर्वोत्तर की समृद्ध विरासत को समझने के लिए अनेक प्रयास होने चाहिए, जिससे ‘विविधता में एकता’ की भावना को देश के विद्यार्थी मूर्त रूप से समझ सकें। पूर्वोत्तर भारत के राज्य शिक्षा के प्रमुख केन्द्र के तौर पर विकसित हो रहे हैं, यह अत्यंत शुभ संकेत है। देश का शिक्षा क्षेत्र अनेक परिवर्तनों से गुजर रहा है, पूर्वोत्तर भारत के राज्य अनेक दृष्टियों से सकारात्मक परिवर्तन में प्रमुख भागीदारी कर रहे हैं। पूर्वोत्तर अध्ययन यात्रा से विद्यार्थियों को पूर्वोत्तर के संस्कृति को समझने का अवसर मिला है, जिससे उन्होंने वास्तविक अर्थ में ‘अनेकता में एकता’ को समझा है तथा उनके भीतर पूर्वोत्तर के लोगों के प्रति परिवार भाव उत्पन्न हुआ है, इस पहल से देश को एकीकृत करने में काफी सहायता मिलेगी।

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