स्टूडेंट्स फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट ऑफ ह्यूमैनिटी फाउंडेशन (SHoDH) – जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय टोली ने 16 जनवरी 2024 को सर्वपूज्य, सर्वप्रिय देशभक्त एवं संत स्वामी विवेकानंद की 161वीं जयंती के अवसर पर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में “Entrepreneurship Among Youth through Swami Vivekanand’s Vision” अर्थात स्वामी विवेकानंद जी के दृष्टिकोण से युवाओं के बीच उद्यमिता” विषय पर एक वार्ता का आयोजन किया। यह कार्यक्रम ‘सशक्त और विकसित भारत’ के निर्माण के लिए स्वामी विवेकानंद जी के विचारों, आग्रहों और दृष्टि की प्रासंगिकता पर केंद्रित था। डॉ. उमेश खुटे (सहायक आचार्य, ज.ने.वि.) ने बताया कि विवेकानन्द जी ने युवाओं को आत्मविश्वास, चरित्र, शक्ति और मूल्यों जैसे शब्दों पर बल देते हुए वेदांत दर्शन पर चिंतन किया। स्वामी सर्वलोकानंद जी महाराज (रामकृष्ण मिशन) ने भारत की आध्यात्मिक परंपराओं को आधुनिकता के पहलुओं के साथ विलय करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने विवेकानंद जी के दर्शन से प्राप्त तीन ‘एच’ के महत्व पर प्रकाश डाला, Hand to work, Head to think and Heart to feel अर्थात काम करने के लिए हाथ, सोचने के लिए सिर, और संवेदना के लिए हृदय पर आधारित है। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता दुनिया के लिए भारत का उपहार है। उभरते उद्यमियों को जोखिम लेने में संकोच नहीं करना चाहिए और अपनी विफलताओं से सीखना चाहिए न की हार माननी चाहिए। विवेकानंद जी का दर्शन और उनका जीवन दृढ़ता और धैर्य का प्रतिमान है। युवा उद्यमियों को नैतिक मूल्यों के प्रति भी सचेत रहना चाहिए और अपने दृष्टिकोण में पारदर्शिता, दायित्वबोध और विश्वसनीयता पैदा करनी चाहिए।
सुश्री सिंह, जो स्वयं एक उद्यमी हैं, ने आज भारत में सफलतापूर्वक स्टार्ट-अप स्थापित करने के असीम अवसरों के बारे में चर्चा की और बताया कि कैसे आज सरकार, धन सहायता और विशेष ऋणों के माध्यम से उन्हें बढ़ावा दे रही है। छात्रों को नवाचारों के बारे में सोचने के लिए प्रोत्साहित करके, उन्होंने उनमें उद्यमशीलता पर विचार-विमर्श किया। श्रेया मलिक, शोध-दिल्ली संयोजक भी इस कार्यक्रम में उपस्थित रही और उन्होंने अंत में चर्चा के आधारभूत विचार पर टिप्पणी की। कार्यक्रम का समापन शोध-जेएनयू के संयोजक प्रिंस कुमार सिंह के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।