अभाविप जेएनयू इकाई विश्वविद्यालय के छात्रों को दिल्ली स्थित विभिन्न दूतावासों का भ्रमण करवा रही है। इससे छात्रों में न केवल उस देश के बारे में जानने का मौका मिल रहा है बल्कि भारत के साथ के साथ उनके संबंधों पर भी बारीकी से परिचित भी हो रहे हैं। जानकारी के मुताबिक पिछले एक साल से अभाविप जेएनयू ने लगातार स्कूल ऑफ़ इंटरनेशनल स्टडीज के छात्रों को दूतावासों का दौरा करवाया है। अभाविप ने जर्मनी, कोलंबिया, अर्जेंटीना, ब्राज़िल, कोस्टा रिका, बोलीविया, ताइवान, क्यूबा, मेक्सिको, चिली, जर्मनी, पनामा, कोटे डी आइवर, डेनमार्क आदि जैसे प्रमुख दूतावासों का दौरा करवाया है। इन सभी दौरों में स्कूल ऑफ़ इंटरनेशनल स्टडीज के छात्रों ने दूतावासों की बुनियादी कार्यप्रणाली के बारे में सीखा और दूतावासों को सांस्कृतिक और सामाजिक आदान-प्रदान के माध्यम के रूप में कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है इनके बारे में जाना।
एसआईएस के छात्रों के लिए अभाविप द्वारा आयोजित दूतावास दौरे अंतरराष्ट्रीय संबंधों की समग्र समझ को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण साबित हुए हैं। ये दौरे छात्रों को राजनयिक क्षेत्र का प्रत्यक्ष अनुभव, भारत और विभिन्न देशों के संबंध, सांस्कृतिक जागरूकता, नेटवर्किंग कौशल और वैश्विक मुद्दों की सूक्ष्म सराहना प्रदान करते हैं। इस प्रकार के दौरों से छात्रों में दूतावास के अधिकारियों के साथ जुड़ाव न केवल अकादमिक ज्ञान को समृद्ध हुआ है बल्कि राजनयिक प्रथाओं में अमूल्य अंतर्दृष्टि भी प्रदान हुए है, जो छात्रों के व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास में योगदान देता है।
अभाविप जेएनयू के स्कूल ऑफ़ इंटरनेशनल स्टडीज के अध्यक्ष अवधेश सिंह ने कहा कि छात्रों ने दूतावासों में आयोजित विभिन्न गतिविधियों में भाग लिया है, जैसे कोलंबिया के दूतावासों में योग दिवस मनाया, जिसे कोलंबियाई दूतावास ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया। चिली और पनामा के दूतावासों में सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लिया। ब्राजील के दूतावास में गांधी जयंती मनाया एवं कोस्टा रिका के दूतावास द्वारा आयोजित खाद्य उत्सव में भी भाग लिया है।
वहीं स्कूल ऑफ़ इंटरनेशनल स्टडीज के इकाई मंत्री जयंत ने कहा कि अभी हाल के हमारे जर्मनी के दूतावास की हमारी नवीनतम यात्रा में, छात्रों ने विभिन्न भू-राजनीतिक मुद्दों पर जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन के साथ गहन बातचीत की और इस भू-राजनीतिक स्थिति ने भारत-जर्मनी संबंधों को कैसे प्रभावित किया है। दूतावास द्वारा परोसे गए जर्मनी के स्थानीय व्यंजनों के साथ यात्रा समाप्त हुई।”