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#JNUSUElection : नक्सली हमले में पिता को खोया, बेटा अब एबीवीपी की ओर से अध्यक्ष पद का दावेदार

छात्रशक्ति डेस्क

नई दिल्ली : जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव सर पर है। ऐसे में सभी छात्र संगठन अपने -अपने उम्मीदवारों के साथ अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी ने इस चुनाव में अध्यक्ष पद पर नक्सली हमले में अपने पिता को खोने वाले तेलंगाना के वारंगल निवासी उमेश चंद्र अजमीरा को चुनाव मैदान में उतारा है। उमेश के पिता सीतारमन नायक अजमीरा, को 1997 में नक्सलियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। साथ ही उनकी माता का जबरन धर्मपरिवर्तन करा दिया गया था। पति की हत्या के शोक और धर्म परिवर्तन के दंश को वह अधिक दिन तक झेल नहीं पाई और कुछ ही दिनों में उमेश की माता सम्मक्का अजमीरा की मृत्यु हो गई। उस समय उमेश महज़ 4 वर्ष के थे। दारुण परिस्थितियों में भी उमेश ने अपनी हिम्मत नहीं खोई और सुदूर ग्रामीण नक्सल प्रभावित क्षेत्र से जेएनयू तक के सफर को तय किया। प्रारंभिक शिक्षा इन्होंने जवाहर नवोदय विद्यालय से पूरी की और जब जेएनयू में प्रवेश लिया तो एबीवीपी परिवार इन्हें गले लगाने को तैयार बैठा था। विद्यार्थी परिषद ने उमेश को एबीवीपी जेएनयू का अध्यक्ष ही नहीं बनाया अपितु जेएनयू छात्रसंघ चुनाव 2024 हेतु एबीवीपी के सेंट्रल पैनल से अध्यक्ष पद का उम्मीदवार भी बनाया है। एबीवीपी सेंट्रल पैनल के उम्मीदवार समाज के हर वर्ग का नेतृत्व कर रहें हैं। स्वयं उमेश, आदिवासी बंजारा (एसटी) समुदाय से आते हैं।

ध्यातव्य हो कि उमेश चंद्र अजमीरा को अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाकर एबीवीपी ने नक्सली हमले में पीड़ित परिवारों को संबल प्रदान करते हुए समाज को सकारात्मक संदेश दिया है। महिला, आदिवासी, दलित वर्ग के छात्र- छात्राओं को अपना उम्मीदवार बनाकर समाज के हर वर्ग की हिस्सेदारी सुनिश्चित की है। महिलाओं की साझेदारी को लेकर एबीवीपी सदा से सजग रही है वर्ष 2024 में भिवानी, हरियाणा की दीपिका शर्मा उपाध्यक्ष पद की प्रत्याशी है और 42 काउंसलर की सीटों पर लगभग 40 से 50 प्रतिशत छात्राओं को उम्मीदवार बनाया गया है।

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एबीवीपी के पैनल से अध्यक्ष पद के उम्मीदवार उमेश चंद्र अजमीरा ने कहा कि बचपन में ही नक्सली हमले में पिता चल बसे। माता के साथ क्रूरता और जबरदस्ती करके धर्मपरिवर्तन करा दिया गया था। कुछ दिनों में मां की भी मृत्यु हो गई। उच्च शिक्षा हेतु जब जेएनयू आया तब एबीवीपी परिवार के संपर्क में आया। इस परिवार ने मुझे गले लगाया, सहारा दिया और सक्षम नेतृत्व देने का मौका देते हुए सशक्त बनने की प्रेरणा और अवसर देते हुए एबीवीपी जेएनयू इकाई का अध्यक्ष बनाया। इतना ही नहीं जब जेएनयू छात्रसंघ चुनाव होना तय हुआ तो मुझे अपने पैनल से अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया। मैं विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं की उम्मीद पर खरा उतरने का हर संभव प्रयत्न कर रहा हूं। साथ ही एबीवीपी द्वारा पिछले पांच वर्ष में किए गए सकारात्मक कार्यों को जेएनयू के प्रत्येक विद्यार्थी तक पहुंचा जेएनयू में सकारात्मक नेतृत्व प्रदान करते हुए छात्र हितों में कार्य करने को संकल्पित हूं।

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