जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव के पूर्व बुधवार की रात को आयोजित प्रेसिडेंशियल डिबेट में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से सेंट्रल पैनल में अध्यक्ष पद के प्रत्याशी उमेश चंद्र अजमीरा वामनीत जेएनयूएसयू पर जमकर बरसे। वर्तमान जेएनयूएसयू की तुलना नक्सलियों से करते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह बेरहमी से नक्सलियों ने उनके पिता को मारा उसी प्रकार वामपथियों ने जेएनयू में छात्रों के अधिकार को मारा है। पिछले चार साल के कार्यकाल के हिसाब पर जेएनयूएसयू को कटघरे में खड़ा करते हुए उन्होंने कहा कि वामपंथी बताए कि पिछले चार सालों में छात्रों के हित के लिए उन्होंने क्या कार्य किया, कोरोना के दौरान जेएनयू के छात्र जूझ रहे थे तब वे कहां थे?
प्रेसिडेंशियल डिबेट में भावुक हुए उमेश, कहा नक्सलियों द्वारा पिता की हत्या के बाद विद्यार्थी परिषद ने गले लगाया
जेएनयूएसयू चुनाव 22 मार्च को होने हैं। छात्र पिछले चार वर्ष से प्रेसिडेंशियल डिबेट की प्रतीक्षा कर रहे थे।माना जाता है कि जेएनयू में अध्यक्ष प्रत्याशी की जीत, प्रेसिडेंशियल डिबेट में उसके भाषण प्रदर्शन पर काफी निर्भर करती है और बहुत से छात्र डिबेट सुनने के बाद किसे वोट देना है, यह तय करते हैं। इसलिए अध्यक्ष पद के सभी प्रत्याशी इस आयोजन के लिए पुरजोर मेहनत कर भाषण तैयार करते हैं। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अध्यक्ष पद के लिए प्रेसिडेंशियल डिबेट की शुरुवात, भारत माता की जय और वंदे मातरम् के जयघोष के साथ हुई। एबीवीपी के केंद्रीय पैनल से अध्यक्ष पद के उम्मीदवार एवं अभाविप के केंद्रीय विश्वविद्यालय कार्य संयोजक उमेश चंद्र अजमीरा ने अपने भाषण में कहा कि बचपन में ही नक्सली हमले में पिता चल बसे। माता के साथ क्रूरता और जबरदस्ती करके मतांतरण करा दिया गया था। कुछ दिनों में मां की भी मृत्यु हो गई। उच्च शिक्षा हेतु जब जेएनयू आया तब एबीवीपी परिवार के संपर्क में आया। इस परिवार ने मुझे गले लगाया, सहारा दिया और सक्षम नेतृत्व देने का मौका देते हुए सशक्त बनने की प्रेरणा और अवसर देते हुए एबीवीपी जेएनयू इकाई का अध्यक्ष बनाया। इतना ही नहीं जब जेएनयू छात्रसंघ चुनाव होना तय हुआ तो मुझे अपने पैनल से अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया। मैं विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं की उम्मीद पर खरा उतरने का हर संभव प्रयत्न कर रहा हूं।
कोरोना में जब विवि के छात्र जूझ रहे थे, जेएनयूएसयू की अध्यक्षा आईसी घोष बंगाल में चुनाव लड़कर जमानत जब्त करवा रही थीं
डिबेट में अभाविप द्वारा छात्रों के हित में किए गए कार्यों का उल्लेख करते हुए उमेश चंद्र अजमीरा ने कहा कि पिछले पांच वर्ष में अभाविप कार्यकर्ता जेएनयू के प्रत्येक विद्यार्थी तक पहुंचा, उनकी परेशानियों को जाना, समझा और उसे दूर करने के लिए सतत संघर्ष किया। जब पूरा विश्व कोविड महामारी से जूझ रहा था तब जेएनयूएसयू की अध्यक्षा आईसी घोष बंगाल में चुनाव लड़कर जमानत जब्त करवा रही थीं। इस विकट समय में विद्यार्थी परिषद लोगों को राशन एवं जरूरी समान बांटने का काम कर रही थी।
वामियों की फरेब, मक्कारी और नाकामियों से परेशान हो चुके हैं जेएनयू के छात्र
उमेश चंद्र अजमीरा ने अपने संबोधन में कहा कि जेएनयू में सकारात्मक नेतृत्व प्रदान करते हुए छात्र हितों में कार्य करने को संकल्पित हूं। अभाविप द्वारा किए गए छात्र हित के कार्यों को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि आज विश्वविद्यालय के इन्फ्रास्ट्रक्चर और हॉस्टल रेनोवेशन के लिए 58 करोड़ का जो फंड आवंटित हुआ है उसके लिए भी विद्यार्थी परिषद ने लंबा संघर्ष किया है। इन वामियों की फरेब, मक्कारी और नाकामियों से जेएनयू के छात्र परेशान हो चुके हैं और इस बार विद्यार्थी परिषद पूर्ण बहुमत से चारों सीटों को जीत रही है, जिस तरह पिछले 22 जनवरी को भगवान राम के भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के साथ संपूर्ण देश ने पांच सौ साल के संघर्ष के माध्यम से अन्याय पर विजय प्राप्त की वैसे ही आने वाले 22 मार्च को जेएनयू के छात्र एबीवीपी के पूरे पैनल को अपना मत डालकर वामपंथ पर विजय प्राप्त करेंगे।