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यूजीसी-नेट परीक्षा रद्द होने से पीएचडी प्रवेश भी अधर में, शीघ्र स्थिति स्पष्ट करे शिक्षा मंत्रालय : अभाविप

छात्रशक्ति डेस्क

बीते दिन अनियमितता के चलते यूजीसी नेट की परीक्षा रद्द होने के समाचार के साथ ही देश भर के छात्रों में संदेह, भ्रम एवं निराशा फैल गई है। इस वर्ष पीएचडी के प्रवेश भी यूजीसी नेट के स्कोर के आधार पर होने हैं। इस कारण अभ्यर्थियों में अचानक असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इस संबंध में अभाविप ने शिक्षा मंत्रालय से इस विषय में त्वरित निर्णय लेकर स्थिति को स्पष्ट करने की मांग की है ताकि छात्रों का समय एवं भविष्य संकट में न आने पाए।

पिछले कई दिनों से एनटीए द्वारा आयोजित परीक्षाओं में भारी अनियमितताएं देखने को मिल रही हैं। नीट-यूजी की परीक्षा में अनियमितता के बाद अब यूजीसी-नेट की परीक्षा का बीते दिन रद्द होना एनटीए जैसी सरकारी संस्था के ऊपर बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है, जोकि अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण एवं छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाला विषय है। ज्ञात हो कि इस वर्ष विश्वविद्यालयों में पीएचडी हेतु प्रवेश भी यूजीसी–नेट स्कोर के माध्यम से होने थे। परीक्षा रद्द होने से पीएचडी प्रवेश के अभ्यर्थियों के मन में भी गहरी शंकाएं उत्पन्न हो गई हैं। अभाविप ने शिक्षा मंत्रालय से मांग करते हुए कहा है कि इस संबंध में संबंधित एजेंसियों को स्थिति शीघ्र स्पष्ट करनी चाहिए जिससे पीएचडी के अभ्यर्थियों का भी किसी प्रकार से नुकसान न होने पाए, तथा परीक्षा पूर्णतया निष्पक्ष एवं पारदर्शी हो यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने कहा, “परीक्षाओं में लगातार अनियमितताओं की घटनाएं विचलित करने वाली एवं दुर्भाग्यपूर्ण हैं जो न केवल एनटीए जैसी परीक्षा एजेंसियों की क्रेडिबिलिटी पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करती है बल्कि छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाली हैं। यह स्थिति किसी भी प्रकार से स्वीकार्य नहीं है। इसी क्रम में बीते दिन यूजीसी नेट की परीक्षा का रद्द होना, यूजीसी नेट के अभ्यर्थियों के साथ-साथ पीएचडी प्रवेश की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों का भविष्य भी अधर में डालने वाला है। अभाविप शिक्षा मंत्रालय एवं संबंधित एजेंसियों से इस संबंध में स्थिति को त्वरित रूप से स्पष्ट करने की मांग करती है, ताकि छात्रों के मन में अपने भविष्य को लेकर व्याप्त गहरी शंकाएं दूर हो सकें। अभाविप यह मांग करती है कि लगातार होने वाली इस प्रकार की अनियमितताओं की जांच सीबीआई से करवानी चाहिए एवं दोषियों को, चाहे वह ब्यूरोक्रेसी में लिप्त ही क्यूं न हों, कठोर दंड सुनिश्चित करना चाहिए।”

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