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पेरिस ओलंपिक : खेलों में स्वर्ण युग का द्वार

डॉ. पीयूष जैन

देश लगातार सकारात्मक परिवर्तनों के दौर से गुजर रहा है। यह परिवर्तन एक क्षेत्र में नहीं है, अपितु विगत 10 वर्षों में सभी क्षेत्रों में आमूलचूल बदलाव लाने की सफल कोशिश की है। जो क्षेत्र, समाज और वर्ग नेपथ्य में थे, उसे आज प्राथमिकता मिल रही है। मसलन, खेल भारत में लंबे समय तक नेपथ्य में था। 2014 में केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद तेजी से खेल के क्षेत्र में परिवर्तन आने शुरू हुए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 30 जून को अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के संबोधन के दौरान आगामी पेरिस ओलंपिक में भाग लेने वाले भारतीय दल को हार्दिक शुभकामनाएं दीं हैं। टोक्यो में भारतीय खिलाड़ियों के सराहनीय प्रदर्शन के बाद उनकी लगन और तैयारी को देखते हुए प्रधानमंत्री ने एक बार फिर वैश्विक मंच पर चमकने की उनकी क्षमताओं पर भरोसा जताया है। प्रधानमंत्री ने कहा, “टोक्यो ओलंपिक के ठीक बाद, हमारे खिलाड़ी पूरे दिल से पेरिस ओलंपिक की तैयारियों में लगे हुए हैं। अगर हम सभी खिलाड़ियों को एक साथ लें, तो उन सभी ने लगभग नौ सौ अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया है। यह बहुत बड़ी संख्या है।”

आज यही वजह है कि देशवासियों में पेरिस ओलंपिक को क्रिकेट जैसी दीवानी देखी जा रही है। आखिर हो भी क्यों नही, जब विभिन्न खेलों में भारत के खिलाड़ियों ने विगत सालों में हुए अंतर्राष्ट्रीय खेलों में शानदार प्रदर्शन कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।

टोक्यो ओलिंपिक ने जहां खिलाड़ियों में पदक जितने की लालसा पैदा की थी, वही 26 जुलाई से शुरू होने वाले खेलों के महाकुम्भ पेरिस ओलिंपिक में डेढ़ दर्जन से अधिक खेलों में हमारे 117 खिलाड़ियों ने ओलिंपिक कोटा हासिल करके ओलिंपिक में अब तक का सबसे बड़ा दल लेकर कर नयी उम्मीद, आशा और विश्वास जगाया है की हम 2047 में विश्व में खेलों की पांचवी महाशक्ति बनेगे।

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2020 टोक्यो ओलंपिक में भारत इस अंतर्राष्ट्रीय महासंग्राम में शानदार प्रदर्शन कर विश्व की निगाहें अपनी और किया था। आज तक के 7 सर्वाधिक मेडल अपने झोली डाले थे, जिसमे नीरज चोपड़ा का एथलेटिक्स में पहला गोल्ड था। आज एक बार फिर पेरिस ओलंपिक में सभी की निगाहें नीरज पर होंगी कि वह लगातार दूसरा गोल्ड जीतकर इतिहास रचेंगे. वही शूटिंग, तीरंदाजी, कुश्ती, टेनिस, बैडमिंटन, बॉक्सिंग, हॉकी आदि भारतीय टीम पर केवल देश के खेल प्रेमियों की ही नहीं, विश्व भर की निगाहें रहेगी।

भारत की तैयारी भी शानदार प्रदर्शन के लिए जारी है। कोई कसर न रह जाए, इसलिए खिलाड़ी भी खूब पसीना बहा रहे हैं। पेरिस ओलंपिक में भारत का प्रदर्शन 2047 में देश को खेलों में महाशक्ति बनने की आधारशिला रखेगा। खेल मंत्रालय भविष्य की योजनाओं पर काम कर रहा है। इसका सकारात्मक परिणाम टोक्यों ओलम्पिक में दिखा भी था।

देश में खेलों को लेकर एक विश्वसनीय माहौल बना है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में शुरू खेलो इंडिया व सांसद खेल महोत्सव खिलाड़ियों की नई पौध तैयार कर रहा है।

पेरिस ओलंपिक में 16 खेलों में भारत के कुल 117 एथलीट भाग लेंगे, जिसमे 70 पुरुष और 47 महिला खिलाड़ी होंगे जो कि कुल 95 मेडल्स के लिए 69 प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेंगे ।

सभी खिलाड़ियों में जहा टेनिस खिलाड़ी रोहन बोपन्ना 44 साल के साथ सबसे ज्यादा अनुभवी खिलाड़ी होंगे वही स्विमर धिनिधि डेसिंघु 14 साल के सबसे युवा खिलाड़ी के रूप में भाग लेंगे. एथलेटिक्स में सर्वाधिक 29 खिलाड़ी और टेनिस में 21 खिलाड़ी भाग लेंगे.

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इस ओलिंपिक में हमें सबसे ज्यादा आशा शूटिंग गेम से है, जिसमे की 21 खिलाड़ी भाग ले रहे है, पिछले दो ओलिंपिक से हमें शूटिंग में निराशा हाथ लगी है लेकिन भारतीय निशानेबाज यदि अपनी पूरी क्षमता से प्रदर्शन करने में सफल रहें तो भारत का ओलंपिक में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन हो सकता है. वही एथलेटिक्स में भी हमें इस बार ज्यादा सफलता की उम्मीद है.

पेरिस जाने वाले कुल 117 एथलीटों में से 26 खेलो इंडिया के एथलीट हैं और 72 एथलीट पहली बार ओलंपिक खेलों के लिए क्वालीफाई हुए हैं।

भारत सर्वप्रथम 1900 के ओलिंपिक गेम्स में शामिल हुआ, तब से लेकर अब तक हमने 10 स्वर्ण के साथ कुल 35 पदक ही जीतें है जिसमे भी हॉकी के 8 गोल्ड मैडल रहे है. आज जब हम पेरिस ओलिंपिक में जा रहे है तो यही आशा है कि हम आज तक के अपने सारे रिकॉर्ड को तोड़ कर नया कीर्तिमान बनाएं. यह में इसलिए भी कह रहा हूँ कि खेल मंत्रालय ने भारतीय खेल प्राधिकरण और राष्ट्रीय खेल महासंघ के साथ मिलकर पिछले ओलिंपिक के बाद से एक एक खिलाड़ी के साथ काम किया.

खेल मंत्रालय टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) के जरिए भारतीय एथलीटों को व्यापक सहायता प्रदान कर रही है। ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पेरिस ओलंपिक 2024 के लिए उनकी सर्वोत्तम तैयारी मुमकिन हो। इसमें प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बेहतर करने के लिए विश्वस्तरीय कोच और विशेषज्ञों की भागीदारी, एथलीटों को बेशकीमती अनुभव देने के लिए स्पर्धाओं का आयोजन और पुनर्वास व चोट के प्रबंधन पर केंद्रित प्रयास करना शामिल है। टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) ने खिलाड़ियों में आत्मविश्वास का संचार किया है। टॉप्स से हमारे खिलाड़ी टॉपर बनने की और अग्रसर है।

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इतना ही नहीं पहली बार खेल गांव में भारतीय एथलीटों के लिए खेल विज्ञान उपकरणों के साथ एक रिकवरी सेंटर मौजूद होगा। इसके अलावा, पेरिस के पार्क ऑफ नेशंस में इंडिया हाउस की स्थापना की गई है, जो फ्रांस सहित 14 अन्य देशों के साथ मिलकर इसी तरह के हाउस स्थापित करता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि ऐसे तमाम निर्णय एथलीटों की जरूरतों और नजरियों पर ध्यान केंद्रित करके किए जाते हैं। केंद्र सरकार ये सब कोशिशें एथलीटों के प्रदर्शन और कल्याण को बेहतर करने के समर्पण को रेखांकित करती हैं। ये उनकी सफलता और उपलब्धियों के प्रति एक सुदृढ़ प्रतिबद्धता का प्रदर्शन है। केंद्र सरकार ने पेरिस ओलंपिक के लिए खेलों की तैयारी पर कुल 470 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए हैं। जिसके अंतर्गत सभी चुने हुए खिलाड़ियों को बेहतर प्रशिक्षण, अच्छे कोच और विदेशों में ट्रेनिंग दिलाई गयी.

साईं के सभी नेशनल सेण्टर ऑफ़ एक्सीलेंस (NCOE) में खिलाडयों को पोषण, इक्विपमेंट से लेकर हर तरह की सुविधा उपलब्ध कराई गयी. नेशनल सेण्टर फॉर स्पोर्ट्स साइंस एंड रिसर्च में सभी खिलाड़ियों स्पोर्ट्स साइंस और मेडिसिन की सहायता से रिसर्च करा कर उनकी परफॉरमेंस बढाने में मदद की गयी. और अब उम्मीद है कि इस पेरिस ओलिंपिक में भारत आज तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेगा और यह महाकुम्भ देश में खेलो के लिए नए द्वार खोलेगा जिससे कि 2047 में जब देश अपनी आज़ादी के 100 वर्ष पूरे करेगा तब हम विश्व खेलों में महाशक्ति होंगे।

(लेखक पेफी के राष्ट्रीय सचिव सह भारतीय खेल प्राधिकरण के स्वायात्शासी निकाय के सदस्य है)

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