अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री वीरेंद्र सिंह सोलंकी तथा राष्ट्रीय संगठन मंत्री आशीष चौहान ने केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ विभिन्न सामाजिक क्षेत्रों के प्रतिनिधियों की केन्द्रीय बजट से पूर्व आयोजित बैठक में हिस्सा लेकर शिक्षा तथा स्वास्थ्य के क्षेत्र में आवश्यक बदलाव हेतु वित्तीय सुधारों के संबंध में अपने सुझाव रखे। अभाविप ने शिक्षा के बजट को कोठारी आयोग की सिफारिश के अनुरूप बढ़ा कर कुल जीडीपी का 6 प्रतिशत करने की मांग करते हुए सरकारी शिक्षण संस्थाओं में लगातार हो रही शुल्क वृद्धि पर रोक लगाने के लिए उनको मिलने वाले बजट अंशदान में वृद्धि आदि सुझाव दिए हैं। मिड डे मील, स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत विद्यालयों में शौचालय बनाने, दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए शैक्षिक परिसरों को अनुकूल बनाने हेतु, एनसीसी और एनएसएस, प्रयोगशालाओं में आधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों इत्यादि का मद बढ़ाए जाने आदि सुझावों के साथ ही माहवारी को लेकर जागरूकता अभियान चलते हुए मुफ्त सैनिटरी पैड स्कूलों में दिए जाने तथा मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना विद्यालय, महाविद्यालय तथा विश्वविद्यालय स्तर पर किए जाने संबंधी विषय को भी प्रमुखता से रखा।
शोध के क्षेत्र में 17 प्रतिशत बजट घटाए जाने को चिंताजनक बताते हुए अभाविप ने शोध के क्षेत्र में बजट बढ़ाए जाने की मांग पर जोर दिया। सभी राज्य और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पीएचडी शोधार्थियों को नॉन-नेट फेलोशिप देने, फेलोशिप की राशि बढ़ाए जाने, प्रमुख शोध संस्थानों जैसे ICSSR, ICHR, ICCR, ICMR, ICAR इत्यादि का बजट आवंटन बढ़ाए जाने की मांग करते हुए राष्ट्रीय अनुसंधान संस्था (NRF) का दायरा बढ़ा कर सामाजिक विज्ञान के विषयों को भी शामिल करने की मॉंग अभाविप ने की है। इसके साथ ही दंत चिकित्सा तथा स्वास्थ्य संस्थानों के बजट को बढ़ाने और NLU में कानूनी सहायता केंद्रों के बजट को बढ़ाकर व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त करने के अवसरों को बढ़ाने की भी मांग की गई।
नीति आयोग को सुदृढ़ कर मंत्रालयों को सहयोग कर रहे निजी परामर्शदाता संस्थाओं के स्थान पर नीति आयोग को प्रतिस्थापित करने की मांग की गई। विद्यार्थी परिषद ने राज्य विश्वविद्यालयों की स्थिति में सुधार पर ध्यान देते हुए शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों को 100 करोड़ का अनुदान अगले 5 वर्षों में देने, नूतन शिक्षा नीति के क्रियान्वयन पर जोर देने, राष्ट्रीय स्तर पर स्टार्टअप नवाचार नीति के क्रियान्वयन, खेल के मूलभूत ढांचे पर खर्च को बढ़ाने, आईटीआई के बजट में वृद्धि कर कौशल विकास को बढ़ाने, इंटर्नशिप और अप्रेंटिसशिप के बजट को बढ़ाकर कौशल विकास के क्षेत्र में नवीन अवसर उपलब्ध कराने, हर जिले में सुविधासंपन्न परीक्षा केंद्र बनाने, ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा ढांचे पर सीएसआर फंड का 5 प्रतिशत खर्च करने संबंधी बाध्यता सभी कंपनियों पर लागू किए जाने तथा ग्रामीण विकास परियोजनाओं पर काम कर रहे छात्रों तथा पेशेवरों को उचित मानदेय देने हेतु मद आवंटन में वृद्धि की मांग भी रखी।
अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ वीरेंद्र सिंह सोलंकी ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में अलग अलग सेक्टरों को एकीकृत कर उनका बजट बढ़ाए जाने की अत्यंत आवश्यकता है। स्वास्थ्य अनुसंधान के क्षेत्र में घट रहे बजट को बढ़ा कर 0.1% पर लाए जाने की आवश्यकता है, रीजनल कैंसर सेंटर भी आधुनिकरण और नवीनीकृत हों। शिक्षा के क्षेत्र में विधि, कृषि आदि मंत्रालयों को अनुसंधान के लिए अलग से दिए जाने वाले बजट को एकीकृत किए जाने की आवश्यकता है, जिससे अनुसंधान पर होने वाले खर्च का सही पता चल सके। शिक्षा पर जीडीपी का 6 प्रतिशत खर्च होना चाहिए, जिसमें जीडीपी का 2 प्रतिशत उच्च शिक्षा पर हो। ‘प्री-बजट’ बैठक में वित्त मंत्री के साथ सार्थक चर्चा में हमने कई बिंदुओं पर बात रखी तथा आशा है आने वाला बजट शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में नई राह दिखाने वाला होगा।