बिहार सरकार द्वारा हाल ही में 3000 से अधिक सरकारी विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षा को बंद करने का आदेश छात्रों के भविष्य के साथ सीधे खिलवाड़ करने जैसा है। यह निर्णय न केवल छात्रों के लिए नुकसानदायक है, बल्कि राज्य के शिक्षा तंत्र की पूरी दिशा और दशा पर गंभीर प्रश्न भी उठाता है। कंप्यूटर शिक्षा आज के डिजिटल युग में अत्यंत महत्वपूर्ण है और यह बच्चों को न केवल तकनीकी ज्ञान प्रदान करता है, बल्कि उन्हें भविष्य में रोजगार के अवसरों के लिए भी तैयार करता है। जब राज्य में रोजगार की दर पहले से ही चिंता का विषय है, ऐसे में बच्चों को तकनीकी शिक्षा से वंचित करना उनके करियर को अंधकारमय बना सकता है। बिहार जैसे राज्य में जहां शिक्षा का स्तर अभी भी युगानुकुल नहीं है, ऐसे समय में सरकार को यह कदम उठाने के बजाय, कंप्यूटर शिक्षा को और अधिक बढ़ावा देना चाहिए। इससे बच्चों को 21 वीं सदी के कौशल से लैस किया जा सकता है, जो न केवल उन्हें व्यक्तिगत सफलता दिलाएगा, बल्कि राज्य की विकास प्रक्रिया में भी योगदान देगा।
प्रदेश मंत्री पुरुषोत्तम कुमार ने कहा कि बिहार सरकार तुरंत यह आदेश वापस ले और सभी सरकारी विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षा को फिर से शुरू करे ताकि बच्चों के समग्र विकास के लिए डिजिटल शिक्षा को प्राथमिकता मिले। बिहार के छात्र अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने में पीछे नहीं रहेंगे। यह मुद्दा सिर्फ शिक्षा से जुड़ा नहीं है, बल्कि राज्य के समग्र विकास और भविष्य से जुड़ा हुआ है। सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और छात्रों को एक बेहतर और उज्जवल भविष्य देने के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिए।