किसी भी राष्ट्र का भविष्य उसकी युवा शक्ति पर निर्भर करता है। युवाओं में असीम ऊर्जा और सामर्थ्य होता है। यह असीम ऊर्जा सही दिशा में प्रवाहित हो इसके लिए आवश्यक है साधना। योग एक मात्र ऐसा माध्यम है जिसके जरिए हम स्वयं को साध सकते है। योगाभ्यास द्वारा अपनी इन्द्रियों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। मन और कर्म दोनों को साध सकते हैं। यह हमारे शारिरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों ही दृष्टि से लाभकारी व गुणकारी है। जीवन में स्पष्टता एवं संतुलन बनाये रखने के लिए योग अति आवश्यक है। योग हमारे संपूर्ण तंत्र प्रणाली को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। यह हमारे शारिरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक उन्नत्ति के लिए अति महत्वपूर्ण है। योग में निहित असीम संभावनाओं को देखते हुए ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में समक्ष अंतराष्ट्रीय योग दिवस मनाये जाने का प्रस्ताव रखा था, जिसके परिणामस्वरूप 11 दिसंबर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 69वें सत्र में 21 जून को अंतराष्ट्रीय योग दिवस मनाये जाने संबन्धी प्रस्ताव पारित हो सका। परिणाम स्वरूप आज संपूर्ण विश्व “ एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग” थीम के तहत योग दिवस मना रहा है। अंतराष्ट्रीय स्तर पर योग दिवस मनाने का यह विचार भारतीय ज्ञान परंपरा से ही निकलकर आया है। वसुधैव कुटुम्बकम् की यह उद्दात भावना हमारी संस्कृति की मूल चेतना में निहित है। इसलिए सिर्फ एक देश नहीं वरन संपूर्ण विश्व का चिंतन अंतराष्ट्रीय योग दिवस की थीम से परिलिक्षित होता है।
आज समूचा विश्व आधुनिक जीवनशैली की दुश्वारियों को किसी न किसी रूप में झेल रहा है। भ्रष्टाचार, आतंकवाद, हिंसा, आत्महत्या, नैतिक पतन, सामाजिक विसंगतियां और स्वास्थ्य की समस्याएं एक जैसी ही हैं। समाज सुधार की बात हो चाहे एक राष्ट्र की उन्नत्ति की युवाओं का योगदान सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। हमारे युवा किस दिशा में जा रहें हैं यह बात समाज और राष्ट्र के लिए अति महत्वूर्ण है। युवा पथ भ्रष्ट न हों उनके जीवन में संतुलन बना रहे। उनमें मानवीय मूल्यों एवं अच्छे संस्कारों का विकास हो इसके लिए शिक्षा के साथ-साथ योग भी आवश्यक है।
युवाओं के जीवन में योग किसी औषधि या संजीवनी बूटी से कम नहीं, चूंकि योग में ही वह शक्ति निहित है जो मनुष्य मात्र के शारीरिक और मानसिक विकार दूर कर सकता है। यह आपको आध्यात्मिकता के सर्वोच्च स्तर तक ले जाने की शक्ति रखता है, यह आपकी अंतरात्मा का प्रकृति और परमात्मा से साक्षात्कार करवाता है। यह आपकी चेतना को जागृत करने का काम करता है। यह किसी भी कठिन परिस्थिति में आपकी मनःस्थिति को नियंत्रित करता है, भावातिरेक की अवस्था में धैर्य धारण करने की क्षमता प्रदान करता है।
इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि योग युवाओं के जीवन के लिए अति उपयोगी और महत्वपूर्ण हैं, आज हमारे समाज में आए दिन खबरों में हिंसा, पारिवारिक क्लेश, मानसिक विकलांगता को दर्शाने वाले घटनाक्रम छाए रहते हैं, रिश्तों के बीच मर्यादा विलुप्त हो गई है, सद्भावना और सौहार्दपूर्ण वातावरण अब नहीं रहा, भौतिक सुख सुविधाओं से लबरेज होकर मनुष्य आत्मकेंद्रित और स्वार्थी हो गया है। हमारा पारिवारिक और सामाजिक जीवन अशांति का पर्याय बन गया है। कहीं न कहीं इस अवस्था के लिए हमारा परिवार, समाज और शिक्षा व्यवस्था भी जिम्मेदार है। हम अपने देश के युवाओं के मन में शांति, अहिंसा, प्रेम, सौहार्द, ईमानदारी, उच्च चरित्र जैसे हमारी संस्कृति में निहित शाश्वत मूल्यों के बीज अंकुरित नहीं कर पाए। परन्तु अब भी देर नहीं हुई है। हम अपने जीवम में योग को शामिल कर जीवन के सभी क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव ला सकते है, योग में वह संपूर्ण शक्ति और ऊर्जा विद्यमान है जिसके माध्यम से समस्त सृष्टि का कल्याण किया जा सकता है।