वैसे तो दुनिया में कई संगठन हैं जो विद्यार्थियों के लिए कार्य करते हैं किंतु विद्यार्थी परिषद मात्र एक ऐसा संगठन है, जो विद्यार्थियों के साथ समाज परिवर्तन के लिए भी कार्य करता है। अभाविप की स्थापना राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के व्यापक उद्देश्य के साथ 9 जुलाई 1949 को होता है जो अपने कार्यकर्ता के अथक परिश्रम एवं अपनी विशेष कार्य पद्धति के आधार पर विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन के रूप में स्थापित होता है।
विद्यार्थी परिषद का काम केवल जिंदाबाद मुर्दाबाद करना, आंदोलन करना, सरकार को समस्या बताना नहीं है। अभाविप किसी भी समस्या के समाधान तक पहुंचे बिना विराम नहीं लेती है। विद्यार्थी परिषद का मानना है कि राष्ट्र का पुनःनिर्माण राज बदलने से नहीं समाज बदलने से है और व्यक्ति समाज की सबसे छोटी इकाई है इसलिए परिषद ने व्यक्ति निर्माण के कार्य को चुना। जब कोई सामान्य विद्यार्थी विद्यालय/महाविद्यालय में जाता है तो उसे स्वयं के भविष्य की चिंता लगी रहती है किंतु जब वह विद्यार्थी परिषद के संपर्क में आता है तो समाज व राष्ट्र के उत्थान की चिंता प्रथम व स्वयं की अंतिम हो जाती है। ऐसे राष्ट्र के लिए जीने व मरने वाले विद्यार्थी कार्यकर्ताओं का निर्माण करने का कार्य विद्यार्थी परिषद कर रहा है
1975 में जब देश पर आपातकाल लगाया जाता है। लोकतंत्र की हत्या होती है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है तब राष्ट्र हित में विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता महाविद्यालय परिसर में कार्य करते हैं। वहीं कश्मीर में आतंक जब अपने चरम पर होता है लाल चौक पर तिरंगा जलाया जाता है तब 1990 में विद्यार्थी परिषद के 10000 से अधिक कार्यकर्ता एक साथ कूच करते हैं और नारा देते हैं कि ‘जहां हुआ तिरंगे का अपमान वहीं करेंगे तिरंगे का सम्मान’ और उधमपुर जाकर तिरंगा लहराते हैं। अभाविप कहती है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और उसे किसी भी हालत में हम अलग नहीं होने देंगे, जब 2019 में धारा 370, आर्टिकल 35 (A) हटाया जाता है तब विद्यार्थी परिषद के आंदोलन की जीत होती है। वैसे ही राम मंदिर निर्माण हो भ्रष्टाचार मुक्त भारत बांग्लादेशी घुसपैठ सीमा सुरक्षा जैसे कई विषयों पर विद्यार्थी परिषद अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
आंदोलन ही नहीं तो समाज के हित में प्रकृति का ध्यान भी हमे रखना होगा इसलिए विद्यार्थियों को पर्यावरण से जोड़ने के लिए विकासार्थ विद्यार्थी का कार्य प्रारंभ किया। ‘सेवा का व्रत है धारा अर्पित यह जीवन सारा’ ध्येय के साथ छात्रों को सेवा से जोड़ने के लिए सेवार्थ विद्यार्थी का काम शुरू किया जिसमें कोरोना काल में एबीवीपी का कार्यकर्ता घर के अंदर नहीं तो अस्पताल के बाहर हेल्प डेस्क लगाकर रक्त, भोजन,ऑक्सीजन आदि की व्यवस्था कर रहा था ।
कलाकारों के माध्यम से अच्छे रचना राष्ट्रीय हित में उनको कार्य के लिए परंपरा व संस्कारों को सीखाने के लिए राष्ट्रीय कला मंच, भारतीय खेल व देश के लिए खेल खेलने के लिए प्रेरित करने के लिए खेलो भारत जैसी गतिविधि प्रारंभ की। वही कई आयाम,कार्य, करते हुए आज विद्यार्थी परिषद हर कैंपस में पहुंच गया है चाहे वह मेडिकल हो,आईआईटी, आईआईएम ही क्यों न हो जहां-जहां परिसर वहां – वहां परिषद
77 वर्ष की इस यात्रा में कई परिवर्तन आए किंतु उद्देश्य वही है जो प्रारंभ में था राष्ट्र का पुनर्निर्माण विद्यार्थी परिषद नव नूतन व चिर पुरातन है जो समानुकूल स्वयं को परिवर्तित करता है किंतु उद्देश्य यथावत रहता है जिसमें विद्यार्थी आता है एक तेडे मेडे पत्थर की तरह और जाता है सुंदर मूरत बनकर जो स्वयं के लिए नहीं समाज के राष्ट्र के लिए जीवन जीना चाहता है यह विद्यार्थी परिषद है ।
(लेखक, अभाविप मालवा प्रांत के मंत्री हैं।)