भारत उत्सव एवं त्यौहारों का देश है, हमारे देश में प्रत्येक दिन विभिन्न प्रकार के उत्सव एवं त्यौहार मनाए जाते हैं, जो विविधता में एकता के मंत्र को सार्थक करता है। इन्ही उत्सवों में से एक है 9 जुलाई को मनाया जाने वाला ‘राष्ट्रीय विद्यार्थी दिवस’ । इसी दिन यानी 9 जुलाई 1949 को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की स्थापना हुई थी। 9 जुलाई का राष्ट्रीय विद्यार्थी दिवस न केवल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की स्थापना का स्मरण है, बल्कि यह युवाओं के कर्तव्यबोध, नेतृत्व क्षमता और समाज के प्रति जिम्मेदारी का प्रतीक भी है। यह दिवस हमें याद दिलाता है कि छात्र सिर्फ एक वर्ग नहीं, बल्कि देश का भविष्य है, यह दिन केवल अभाविप के लिए ही नहीं, बल्कि देश भर के सभी विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का दिन बन चुका है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की स्थापना ‘हम पुत्र की भांति भारत माता की सेवा करेंगे’ संकल्प के साथ स्थापना हुई , विद्यार्थी केवल अपनी शिक्षा व करियर तक सीमित न रहें अपितु अपने देश की समृद्धि के संदर्भ मे सतर्क रहकर अपना योगदान दें, इस विचार को लेकर परिषद ने पिछले सात दशकों में भौगोलिक विस्तार करने के साथ-साथ शिक्षा क्षेत्र की सभी शाखाओं के छात्रों मे कार्य बढ़ाने के साथ ही सामाजिक सहभाग का भी समान रूप से ध्यान रखा और विद्यार्थियों की बदलती अभिरुचि के अनुसार नए आयाम व कार्यक्रमों की योजना करते हुए अपनी मूल वैचारिक प्रतिबद्धता का आग्रह भी बनाए रखा।
अभाविप वर्ष भर सक्रिय रहने वाला छात्र संगठन है। अभाविप छात्र-छात्राओं के मुद्दों को लेकर सिर्फ आंदोलन ही नहीं करती अपितु समाज व राष्ट्र के सामने आने वाले प्रश्नों एवं चुनौतियों को लेकर आवाज उठाने का कार्य भी प्रखर होकर करती है। किसी देश में छात्र संगठन का उद्देश्य एवं भूमिका क्या होना चाहिए? युवाओं की सामूहिक शक्ति एवं ऊर्जा को रचनात्मक कार्य मे कैसे लगाते हैं ? यह विद्यार्थी परिषद ने बताया। विद्यार्थी परिषद एक ऐसी सक्षम पीढ़ी का निर्माण करना चाहती है जो देश के भविष्य का निर्णय उसके व्यापक हितों को ध्यान मे रखकर पूरे सूझबूझ के साथ ले सकें। विद्यार्थी परिषद द्वारा स्थापित दोनों ही संख्यात्मक और गुणात्मक वृद्धि में संतुलन हैं, परिषद का प्रत्येक कार्यकर्ता वैचारिक भूमिका, सिद्धांत, उद्देश्य, कार्यक्रम एवं कार्यपद्धति से निर्माण होने वाला एक आदर्श कार्यकर्ता है।
अभाविप कोई साधारण संगठन नहीं, अपितु राष्ट्र चेतना का आंदोलन है। यह एक विचार है, जो हमें सिखाता है कि विद्यार्थी होना केवल किताबों तक सीमित रहने का नाम नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण का संकल्प है। अभाविप हमें यह सिखाता है कि राष्ट्रभक्ति केवल नारों में नहीं, आचरण में होनी चाहिए। विद्यार्थी परिषद परिसरों में यह विचार स्थापित करना चाहता है कि अगर किसी विद्यार्थी की आँखों में सपने हैं, तो उसका हृदय भारत माता की सेवा के संकल्प से भी भरा होना चाहिए। जब आप कक्षा में पढ़ते हैं, तो आपका ज्ञान सिर्फ आपकी नहीं, आने वाली पीढ़ियों की संपत्ति है। जब आप संगठन में काम करते हैं, तो आपकी मेहनत सिर्फ एक गतिविधि नहीं, बल्कि भारत के भाग्य को गढ़ने का महान प्रयास है, जब आप सेवा करते हैं, तो आपकी करुणा, आपकी संवेदना इस राष्ट्र की आत्मा को मजबूत करती है।
इस वर्ष अभाविप की स्थापना को 77 वर्ष पूर्ण हो रहे है, इतने लंबे समय तक अपने ध्येय पथ पर बने रहना और देश हित में कार्य करते रहने का अनुपम उदाहरण अभाविप ने प्रस्तुत किया है। एक छात्र संगठन की कल्पना जब लोगों के मन में आती है, तो एक छात्र संगठन से अपेक्षा केवल विद्यालय-महाविद्यालय परिसर व अन्य शिक्षा से जुड़े विषयों को लेकर होती है, अभाविप ने एक छात्र संगठन होते हुए भी शिक्षा क्षेत्र के साथ समाज और देश हित में कई विषयों पर कार्य किया और नए आयाम स्थापित करते हुए एक छात्र संगठन के प्रति लोगों की सोच के दायरे को बढ़ाया है उसे एक वृहद रूप प्रदान किया है।
आज विद्यार्थी परिषद के इतने प्रकार के कार्य हैं कि विद्यार्थी जिस प्रकार की रुचि रखता उस प्रकार का कार्य कर सकता है। विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता ‘SFS’ स्टूडेंट फॉर सेवा के माध्यम से अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुए विभिन्न प्रकार के सेवा कार्य कर रहे हैं, चाहे वह कोरोना काल में सेवा का कार्य हो भोजन की व्यवस्था हो, यहां तक कि मूक पशुओं की चिंता का विषय हो, अभाविप के कार्यकर्ता में सेवा को अपनी कल्पना अनुसार नवाचार एवं रचनात्मक रूप प्रदान करते हुए कार्य किया ।विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओ द्वारा पाँच हज़ार से अधिक परिषद की पाठशाला चलाई जा रही है जहां छात्र-छात्रा अपने आसपास में गरीब छात्रों को पढ़ाते हैं एवं भविष्य निर्माण में उनकी सहायता करते हैं।
अभाविप का मानना है की देश में विनाश रहित विकास होना चाहिए इसीलिए विकास के एक नये मॉडल एसएफडी (स्टूडेंट फॉर डेवलपमेंट) को समाज के समक्ष रखा है, एक ऐसी गतिविधि जिसमे पर्यावरण,जल, जंगल, जमीन,जन, जानवर सभी की चिंता हो और उनके प्रति संवेदना का भाव छात्रों के मन में हो साथ ही उनके संरक्षण व संभाल हेतु कई प्रकार के कार्यों में विद्यार्थियों की सहभागिता हो।
कला के क्षेत्र में रुचि रखने के लिए राष्ट्रीय कला मंच, खेल से जुड़े हुए छात्रों के लिए खेलो भारत, मेडिकल के छात्रों के लिए मेडिविजन, कृषि के छात्रों के लिए एग्रीविजन, आयुर्वेद के छात्रों के लिए जिज्ञासा ऐसे अनेक प्रकार के आयाम,कार्य व गतिविधियां विद्यार्थी परिषद द्वारा स्थापित किए गए और आज यह आयाम एवं गतिविधि भारत की प्रगति में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं । आज पूर्वोत्तर राज्यों से पश्चिम में कच्छ तक, देश के दक्षिणी छोर कन्याकुमारी से उत्तर में हिमाच्छादित लद्दाख तक एवं बंगाल की खाड़ी में स्थित अंडमान द्वीप तक अभाविप की इकाइयों का कार्य चल रहा है और इन स्थानों से भी संगठन का कार्य करने हेतु पूर्णकालिक कार्यकर्ता निकल रहे हैं । अभाविप में कार्यकर्ता अपने विद्यार्थी जीवन के चार-पाँच वर्ष के लिए अवश्य कार्य करता है परंतु सीखने के बाद अपने शेष जीवन काल में समाज व राष्ट्र के लिए समर्पित होकर कार्य करता है फिर चाहे वह किसी भी विधा में कार्य करे।
अनेकों संगठन किसी कारण से उत्पन्न होते हैं व समाप्त हो जाते हैं किंतु विद्यार्थी परिषद आज भी अपने मूल विचार को लेकर सर्वस्पर्शी कार्य करता आ रहा है। दायित्व से व्यक्तित्व नहीं बल्कि व्यक्तित्व से दायित्व की शोभा बढ़े, ऐसा दायित्वबोध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद सिखाता है और इसी कार्यपद्धति एवं विचार को लेकर आज तक अभाविप राष्ट्र की सेवा में समर्पित 59 लाख से अधिक सदस्यों के साथ विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन बन कर भारत को विश्व गुरु बनाने के संकल्प को साकार करने का कार्य अडिग होकर कर रहा है। आज भारत दुनिया का एक मात्र ऐसा देश है जिसके पास सर्वाधिक युवा शक्ति है , नया जोश है , नई ऊर्जा है , नया खून है , नया दिमाग़ है ,नया उत्साह है, 65 प्रतिशत युवाओं के नेतृत्व की ताक़त है और विद्यार्थी परिषद का यह मानना है कि युवा वह शक्ति है, जो असंभव को भी संभव बना सकती है और जिस दिन से इस देश का युवा शिक्षा , चिकित्सा , ज्ञान , विज्ञान , तकनीकी, साहित्य आदि क्षेत्रों के माध्यम से इस देश की उन्नति के लिए योगदान देगा, जिस दिन से युवा अपने आंतरिक कौशल और नवाचारो की क्षमता को पहचान कर भारत के पुनर्निर्माण के प्रति दृढ़ संकल्पित हो जाएगा उस दिन भारत पुनः भू-लोक का गौरव, प्रकृति का पुण्य लीला स्थल, संसार का सिरमौर अर्थात् भारत पुनः विश्व गुरु बन जाएगा ।
(लेखक, अभाविप महाकोशल प्रांत के प्रांत मंत्री हैं।)