अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने कहा है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. भीमराव अंबेडकर महाविद्यालय में बुधवार को आयोजित शपथ ग्रहण कार्यक्रम के दौरान एक प्राध्यापक द्वारा राजनीतिक द्वेष के चलते विद्यार्थियों के साथ अभद्र व्यवहार, गाली-गलौज एवं मारपीट जैसी घटनाएँ की गईं। उक्त प्राध्यापक पर पहले भी महाविद्यालय परिसर में खुलेआम धूम्रपान, मद्यपान करने एवं छात्रों को मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने के आरोप लग चुके हैं। जब इस घटना की शिकायत डूसू से की गई तो अभाविप नीत डूसू अध्यक्ष आर्यन मान और संयुक्त सचिव दीपिका झा विद्यार्थियों की समस्या को लेकर महाविद्यालय पहुँचे। इस दौरान प्राचार्य से वार्ता के समय कथित प्राध्यापक द्वारा संयुक्त सचिव दीपिका झा के प्रति अभद्र टिप्पणी व गाली-गलौज की गई, जिससे यह स्पष्ट प्रतीत हो रहा था कि उक्त प्राध्यापक आज भी नशे की हालत में है। दीपिका झा ने संबंधित प्राध्यापक से परेशान आकर पुलिस से हस्तक्षेप की मांग भी की। पुलिस द्वारा तत्काल कार्रवाई न करने और लगातार अभद्र व्यवहार किए जाने तथा डूसू सयुक्त सचिव को बार-बार धमकी दिए जाने के कारण क्षणिक आवेश में हुई प्रतिक्रिया अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है जिसका विद्यार्थी परिषद किसी भी रूप में समर्थन नहीं करती है।
राजनीतिक द्वेष के कारण छात्रों के साथ किए जा रहे दुर्व्यवहार पर लगे नियंत्रण
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद यह स्पष्ट करती है कि अभाविप एवं डूसू संयुक्त सचिव दीपिका झा शिक्षकों के सम्मान के प्रति पूर्णतः प्रतिबद्ध हैं। यह घटना किसी भी प्रकार से शिक्षक समुदाय का अपमान करने के उद्देश्य से नहीं हुई, बल्कि यह राजनीतिक द्वेष और अनुशासनहीनता का विरोध करते हुए उत्पन्न क्षणिक प्रतिक्रिया थी जिसका किसी भी शैक्षिक परिसर में कोई भी स्थान नहीं है। साथ ही, अभाविप महाविद्यालय प्रशासन से यह भी मांग करती है कि उक्त प्राध्यापक द्वारा विद्यार्थियों के प्रति दुराचरण के विरुद्ध कठोर अनुशासनात्मक जाँच की जाए तथा परिसर में मद्यपान, धूम्रपान एवं राजनीतिक द्वेष में छात्रों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाओं पर सख्त नियंत्रण स्थापित किया जाए।
घटना की हो निष्पक्ष जांच : सार्थक शर्मा
अभाविप प्रदेश मंत्री सार्थक शर्मा ने कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद सदैव शिक्षक-छात्र संबंधों की गरिमा में विश्वास रखती है। किसी भी परिस्थिति में शैक्षिक परिसर में शिक्षक के साथ अभद्रता या अपमान का कोई स्थान नहीं है। अभाविप इस घटना पर अत्यंत खेद प्रकट करती है। परंतु साथ ही जब कोई प्राध्यापक अपने पद की मर्यादा का उल्लंघन कर छात्रों को राजनीतिक द्वेष के कारण प्रताड़ित करता है या अनुशासनहीन व्यवहार करता है, तो यह पूरे शिक्षण समुदाय की छवि को आघात पहुँचाता है। शिक्षा परिसरों में शिक्षक विद्यार्थियों के संरक्षक होते हैं। अभाविप इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जाँच की माँग करती है और अपेक्षा करती है कि दोषी प्राध्यापक पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि विद्यार्थी ख़ुद को शिक्षकों के बीच सुरक्षित पायें और भविष्य में इस प्रकार की घटनाएँ पुनः न हों।”