आपातकाल की 50वीं बरसी पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) काशी हिन्दू विश्वविद्यालय इकाई द्वारा विश्वविद्यालय परिसर में महिला महाविद्यालय चौराहे से लंका चौराहे तक मशाल यात्रा निकली गई। इस दौरान ‘कांग्रेस तेरे अत्याचार नहीं भूलेगा हिंदुस्तान, इंदिरा तेरे अत्याचार नहीं भूलेगा हिंदुस्तान’ जैसे नारे छात्रों द्वारा लगाए गए।
जानकारी हो कि आज से पचास वर्ष पहले 25 जून 1975 को ही देश में आपातकाल लागू कर तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार द्वारा देश के नागरिकों की स्वतंत्रता पर सीधा हमला किया गया था। प्रेस और न्यायपालिका की ताकत ख़त्म कर दी गई थी और सरकार की तानाशाही के खिलाफ बोलने वाली लाखों आवाजों को जेलों में कैद कर यातनाएं दी जाने लगी। संविधान और लोकतंत्र पर प्रत्यक्ष आघात का यह देश में पहला और अंतिम मौका था। कारण इसका बस एक ही था और वह था इंदिरा गांधी की सत्ता बचाने की लालसा। आपातकाल के 50 वर्ष पूर्ण होने पर अभाविप ने देशभर में आपातकाल के विरूद्ध विभिन्न कार्यक्रमों को करने का निर्णय लिया, जिससे आज की पीढ़ी आपातकाल की त्रासदी से सीख लेते हुए कांग्रेस की लोकतंत्र, संविधान एवं समाज विरोधी मानसिकता का डट कर मुकाबला कर सके।
मशाल यात्रा के दौरान अभाविप काशी प्रान्त के प्रान्त मंत्री अभय प्रताप सिंह ने कहा कि आपातकाल भारतीय लोकतान्त्रिक इतिहास में वह काला धब्बा है जो कभी मिटने वाला नहीं है। आज का छात्र नौजवान उस दिन को याद कर रहा है, जब सत्ता की लालसा में तत्कालीन इंदिरा सरकार ने देश के संविधान को कुचल दिया था। न्यायपालिका की शक्तियां ख़त्म कर नागरिकों को उनके मूलभूत अधिकारों से वंचित कर दिया था। देश के सभी संस्थानों पर सीधा हमला करते हुए तानाशाही की सारी हदें पार कर दी थीं और छात्र नौजवानों को जेलों में भर कर यातनाएं दी थी। आज की मशाल यात्रा इस बात का प्रतीक है कि कांग्रेस की संविधान विरोधी मानसिकता के विरूद्ध आज भी युवा डट कर मुकाबला करने को तैयार हैं। अभाविप आगामी दिनों में विभिन्न स्थानों पर कार्यक्रम कर मिसाबन्दीयों से भी मिल कर उनका सम्मान करेगी I काशी हिन्दू विश्वविद्यालय इकाई अध्यक्ष प्रशांत राय ने कहा कि आज का दिन हमें याद दिलाता है कि किस प्रकार से भारत के संविधान को कुचला गया था। आपातकाल की त्रासदी के 50 वर्ष पूर्ण होने पर अभाविप कार्यकर्ताओं द्वारा परिसर में मशाला यात्रा निकाली गई।