आपातकाल के 19 माह: जब लोकतंत्र की धारा को तानाशाही ने अवरुद्ध किया
भारत सनातन काल से लोकतांत्रिक राष्ट्रीयता का स्वाभाविक पोषक रहा है।भारत के प्राचीनतम कालखण्ड से लेकर आधुनिक भारत के वर्तमान तक लोकतंत्र ही भारत का मूल स्वभाव रहा है।इसका कारण यह है कि भारत की राष्ट्र...
आपातकाल की कुछ यादें
आपातकाल अचानक नहीं आया। इसकी आशंका बहुत पहले से व्यक्त की जा रही थी। 25 जून 1975 की रात में राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद ने दबाव में आकर अनिच्छापूर्वक आपातकाल की घोषणा पर हस्ताक्षर कर दिया। जिसकी एक...
जानें हिंसा की जद में क्यों है जेएनयू, वामपंथी राजनीतिक दंश के इतिहास से क्या है इसका कनेक्शन?
जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) एक बार फिर सुर्ख़ियों में है| जे एन यू की घटना को इस विश्वविद्यालय के 50 वर्षों के अस्तित्व में हुई हिंसा और अराजकता की घटनाओं की पृष्ठभूमि में ही समझा जा सकता है|...