अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के 65 वें राष्ट्रीय अधिवेशन के उदघाटन समारोह में पटना उच्च न्यायालय के सेवानिवृत मुख्य न्यायाधीश एल. नरसिम्हा रेड्डी ने कहा कि अभाविप के ध्येय वाक्य ज्ञान, शील और एकता को, जो छात्र आत्मसात कर लेंगे उनके अंदर स्वतः देश के प्रति समर्पण का भाव विकसित हो जायेगा । भगवान वासुदेव श्रीकृष्ण और रुक्मिणी की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि समर्पण एक ऐसा हथियार और जो किसी भी व्यक्ति को लक्ष्य तक पहुंचाता है । श्री रेड्डी ने कहा ब्रजभूमि में अधिवेशन और उनकी उपस्थिति सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि वह 1967 और 68 के राष्ट्रीय अधिवेशन में छात्र के रूप में उपस्थित हुए थे। अधिवेशन को लघु भारत और बंधुत्व का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि देश में नकारात्मक शक्तियां सक्रिय हैं जो देश के जवानों को अक्सर कहते हुए देशहित के विपरीत कार्य करती रहती हैं । ऐसे सभी शक्तियों का शीघ्र ही लोप हो जाएगा ऐसी आशा उन्होंने व्यक्त की।
स्वर्गीय श्री दत्तोपंत ठेंगड़ी की स्मृतियों का उद्धरण करते हुए उन्होंने चरित्र पर विशेष बल देने की बात की उन्होंने कहा कि अभाविप कार्यकर्ताओं का ज्ञान शील एकता के वाक्य के अनुरूप आचरण उनके विचारों और सपनों का प्रत्यक्षीकरण है। अखंड भारत की संकल्पना पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि सात समंदर पार कर भारत आकर अगर अंग्रेज भारत पर शासन कर सकते हैं तो भारत के अखंड होनि की कल्पना भी साकार हो सकते हैं ।