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पुस्तक समीक्षा :  बदलते समय में ‘हिंदुत्व’ का सही अर्थ

उमाशंकर मिश्र

‘हिंदू राष्ट्र’ के निर्माण के बारे में की जाने वाली आलोचनाओं से प्रभावित हुए बिना आरएसएस अपनी इस अवधारणा पर अडिग रहा है। लेकिन ‘हिंदू राष्ट्र’ की संकल्पना क्या है और ‘हिंदुत्व’ का सही अर्थ क्या है, इसे स्पष्ट किए बिना इस व्यापक अवधारणा को समझना कठिन है। हिंदुत्व से तात्पर्य राष्ट्रवादी परंपरा के साथ भारतीय चिंतन स्वर से है, जो इस क्षेत्र की पुरातन सभ्यता, भारतीय परंपरा या इंडिया को भारत के रूप में दर्शाता है। अफसोस की बात है कि भारत में वामपंथी ताकतों, विशेषकर कम्युनिस्टों द्वारा लंबे समय से प्रयास किया जा रहा है कि राष्ट्रीय, राजनीतिक या सभ्यता संबंधी मुद्दों पर हिंदुत्व की किसी भी आवाज या किसी भी प्रकार की हिंदू आवाज को खारिज कर दिया जाए।

श्री जे. नंदकुमार की महत्वपूर्ण पुस्तक, हिंदुत्व फॉर द चेंजिंग टाइम्स, हिंदू जन जागरण से जुड़े मुख्य विषयों और इसके साथ जुड़ी चुनौतियों को संबोधित करती है। यह पुस्तक मानवता के प्रति भारत के दृष्टिकोण पर विमर्श एवं अभिव्यक्ति के लिए एक उत्कृष्ट मंच प्रदान करती है और मौजूदा समय की वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए भारतीय चिंतन के आधार पर मार्ग प्रशस्त करती है।

श्री नंदकुमार राष्ट्रवादी विचारक के रूप में जाने जाते हैं, जो महत्वपूर्ण शैक्षिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर विमर्श का स्तर बढ़ाने के लिए पूरे देश में काम कर रहे हैं। नंदकुमार जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के एक वरिष्ठ वरिष्ठ प्रचारक और प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक हैं। अंग्रेजी में लिखी गई उनकी पुस्तक ‘हिंदुत्व फॉर द चेंजिंग टाइम्स’ में विभिन्न प्रकाशनों में उनके प्रकाशित लेखों का संग्रह है। पुस्तक में उन चुनौतियों एवं महत्वपूर्ण मुद्दों पर आधारित विषयों की विस्तृत श्रृंखला दी गई है, जिनका सामना आज हमारा देश कर रहा है।

यहां हमें ध्यान देना चाहिए कि हिंदू शब्द पश्चिमी धार्मिक पंथों, मतों, आस्था या विश्वासों की तरह सिर्फ एक धार्मिक शब्द नहीं है। एक ओर इसका व्यापक संबंध आध्यात्म से है, तो दूसरी ओर इसके सघन धार्मिक आयाम देखने को मिलते हैं। हिंदू एक सांस्कृतिक शब्द भी है, जिसमें भारत की पारंपरिक संस्कृति, इसकी भूमि से जुड़े विविध आयाम, लोग, कला और विज्ञान समेत गहन विचार एवं चिंतन के विविध पहलू शामिल हैं।

यह पुस्तक बयां करती है कि हिंदुत्व शब्द किस तरह हिंदू सांस्कृतिक आवाज और इसके राजनीतिक प्रभाव को संदर्भित करता है। लेखक ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि अन्य देशों की तरह भारत के अतीत को किसी नई मान्यता के अनुसार नकारा नहीं जा सकता। भारत का चिरकालिक स्वरूप नए सांस्कृतिक प्रभावों को अपने भीतर समायोजित कर सकता है, यदि वे विविधता और आध्यात्मिकता के भारतीय मॉडल और धर्म के तौर-तरीकों का सम्मान करते हैं।

हिंदुत्व का विचार अखंड भारत की एक सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक आवाज़ है, जो देश की धार्मिक परंपराओं को दर्शाता है। वामपंथियों द्वारा इसे फासीवादी कहना एक सुविधाजनक आक्षेप है, जो ऐतिहासिक एवं मूल्यपरक तथ्यों को नजरअंदाज करने के उद्देश्य से लगाया जाता है। मार्क्सवाद का अत्याचार और नरसंहार का इतिहास रहा है, जिसमें इसे हर देश में संस्कृति और आध्यात्मिकता को नष्ट करने के साथ शक्ति प्राप्त हुई है। मार्क्सवादी या कम्युनिस्ट के बारे में कुछ भी प्रगतिशील नहीं है, यह ऐतिहासिक रूप से फासीवाद के समान है।

यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रासंगिकता के कई विचारणीय विषयों पर गहरी दृष्टि प्रदान करती है। यह केवल गंभीर प्रश्नों के उत्तर देने की बात नहीं है, बल्कि भारत के सनातन सिद्धांतों की रौशनी में जांच-पड़ताल एवं तर्क-वितर्क की भारतीय परंपरा को प्रोत्साहित करने की बात है। मुझे आशा है कि बदलते दौर में हिंदुत्व इस तरह की नई सोच और दुनिया के सांस्कृतिक और सभ्यतागत रुझानों पर सवाल उठाती है।

हमारी वर्तमान विश्व व्यवस्था उतनी सार्वभौमिक या स्थायी नहीं है, जितना हम सोच सकते हैं, और सामंजस्यपूर्ण तरीके से आगे बढ़ने के लिए भारत के शाश्वत ज्ञान की आवश्यकता है। ‘बदलते दौर में हिंदुत्व’ मानवता के भविष्य से जुड़ी इस महत्वपूर्ण चर्चा में प्रवेश करने के लिए एक उत्कृष्ट मंच प्रदान करती है।

 

पुस्तक का नाम : हिंदुत्व फॉर द चेंजिंग टाइम्स

लेखक : जे. नंदकुमार

प्रकाशक : इंडस स्कॉल्स प्रेस, नई दिल्ली

 

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