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लेख

उम्मीदों की बाती से जली नवजीवन की ज्योति

भारत के सनातन सत्य को पुनः देख कर आज पूरा विश्व विस्मित है। मानव सभ्यता के उन्नति और पतन के तो कई सन्दर्भ मिलते है। परंतु शाश्वत मूल्यों पर निरन्तर अजर व अमर भारत चिरस्थाई राष्ट्र के रूप में अडिग खड़ा...

MARTYRS’ DAY(Shaheed Diwas) that crowns the sacrifice of Martyrs

This year we are allset to celebrate 89th Martyr’s Day on 23th of March 2020 the sacred memory of  the martyrs  to pay tribute to three extraordinary revolutionaries of India who were hanged to death...

अभाविप में छात्रा सहभाग

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद विश्व का एक जाना-माना छात्र संगठन है जो शिक्षा क्षेत्र में बदलाव लाने के साथ-साथ छात्रों को एक जिम्मेदार नागरिक बनाने का प्रयास करता है। संगठन में छात्र-छात्राएं सभी सम्मि...

सरलता, सहजता और सौम्यता की मूर्ति डा.राजेंद्र बाबू

पुण्यतिथि विशेष सरलता, सहजता और सौम्यता की मूर्ति डा.राजेंद्र प्रसाद जी हमारे देश के पहले राष्ट्रपति थे। दुर्भाग्य से, देश में विमर्श की मुख्यधारा में उनका यही संक्षिप्त परिचय पर्याप्त माना जाता है। र...

नानाजी : राजनीति के लिए अनुकरणीय महापुरुष

इंदिरा गाँधी के तानाशाह शासन के खिलाफ जब जेपी आन्दोलन कर रहे थे तब पटना में पुलिसिया दमन के कारण उनपर लाठी पड़ने ही वाली थी कि उस लाठी को जेपी से पहले अपने शरीर पर नानाजी देशमुख ने ले लिया। उस दिन सभी...

जीवन का क्षण – क्षण और शरीर का कण – कण मातृभूमि को समर्पित करने वाला स्वातंत्र्य वीर सावरकर

पुण्यतिथि विशेष जीवन का क्षण – क्षण और शरीर का कण – कण मातृभूमि की स्वतंत्रता में समर्पित करने वाले स्वातंत्र्य वीर सावरकर न केवल तेजस्वी सेनानी थे अपितु महान क्रांतिकारी, सामाजिक शिल्पकार, सिद्धहस्त...

देश के सच्चे नायक महात्मा गांधी

बापू के निधन के 72 साल बाद भी उनके विचार और दर्शन आज भी प्रसांगिक है, इसे न केवल भारत के लोगों ने बल्कि विश्वभर के लोगों ने अपनाया है। एक स़च्चे नायक के रूप गांधी जी को न केवल भारत में बल्कि विश्वभर म...

भारतीयता के प्रतिनिधि स्वर गाँधी जी

पिछली सदी के महानायकों में से एक मोहनदास करमचंद गाँधी को देश ने महात्मा के रूप में आदर दिया है। बीसवीं सदी का तीसरा और चौथा दशक तो भारत के राजनैतिक परिदृश्य में भारतीयता के प्रतिनिधि स्वर के रूप में म...

आज़ादी ! टुकड़े वाली या सुभाष वाली ?

भारत में इस समय सबसे ज्यादा बहस राष्ट्रवाद और उसके स्वरुप क्या होना चाहिए, इसको लेकर है । इस समय का राष्ट्रवाद वह राष्ट्रवाद नहीं है जिसकी कल्पना भगत सिंह और सुभाष बाबू ने की थी ऐसा कहकर कुछ लोगों द्व...

शाहीन बाग की बंधक सडक और विरोध का एक्सपेरिमेंट

दिल्ली का एक हिस्सा लगभग कराह रहा है। नहीं मैं, शाहीन बाग में जमें कथित आन्दोलनकारियों की बात नहीं कर रहा हूँ। नागरिकता संशोधन कानून का यदि विरोध हो रहा है, तो देश का बड़ा हिस्सा इस कानून के समर्थन में...

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