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पाठ्यक्रम से भारत भूमि को ‘नापाक’ कहने वाले मोहम्मद इकबाल जैसे लोगों के विषय को हटाया जाना स्वागत योग्य कदम : अभाविप

छात्रशक्ति डेस्क

नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय अकादमिक परिषद ने कट्टरपंथी मजहबी रचनाकार मोहम्मद इकबाल को डीयू के राजनीति विज्ञान पाठ्यक्रम से हटाने का फैसला किया। इसे पहले बीए के छठे सेमेस्टर के पेपर में ‘आधुनिक भारतीय राजनीतिक विचार’ शीर्षक से शामिल किया गया था। अभाविप दिल्ली एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों ने दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन के इस फैसले का स्वागत किया है। मोहम्मद इकबाल को ‘पाकिस्तान का दार्शनिक पिता’ कहा जाता है। मोहम्मद इकबाल भारत के बंटवारे के लिए उतने ही जिम्मेदार हैं जितने मोहम्मद अली जिन्ना। अभाविप इसी प्रकार पाठ्यक्रमों में छात्रों में राष्ट्रीयता की भावना वाले वास्तविक सकारात्मक विषयों के समावेश हुए औपनिवेशिक तथा वामपंथी दृष्टिकोण से लिखे गए झूठे नकारात्मक विषयों को हटाएँ जाने दृढ़ समर्थन करता है।

ज्ञात हो की वर्तमान में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और शैक्षिक बोर्डों के द्वारा पढ़ाए जा रहे पाठ्यक्रम औपनिवेशिक मानदंडों की छाया में मार्क्सवादी दृष्टिकोण से लिखे गए हैं। इन पाठ्यक्रमों में कुछ सामग्री तो अत्यंत ही आपत्तिजनक है। जिसका उद्देश्य भारतीय समाज और इतिहास के वास्तविक सत्य को छुपा कर गलत जानकारियों के माध्यम से समाज समाज के अंदर विभाजन पैदा करना है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में मोहम्मद इकबाल को एक सम्मानित विद्वान के रूप में अब तक पढ़ाया जाता रहा है। जबकि मोहम्मद इकबाल भारत के विभाजन और पाकिस्तान के निर्माण के प्रबल पक्षधर थे। मोहम्मद अली जिन्ना को मुस्लिम लीग में नेता के रूप में स्वीकार्यता दिलाने में विशेष भूमिका निभाने वाले मोहम्मद इकबाल ने लोकतंत्र, राष्ट्रवाद और पंथनिरपेक्षता जैसे विचारों को अस्वीकार किया था तथा इकबाल का पूरा साहित्य मजहबी कट्टरता से सना हुआ है। मोहम्मद इकबाल के राजनीतिक विचारों को दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातक तृतीय वर्ष के 6वें सेमेस्टर में ‘Indian Political Thought -2’ ( आधुनिक भारतीय राजनीतिक विचार –2) को पढ़ाया जाता था।

अभाविप दिल्ली के प्रदेश मंत्री हर्ष अत्री ने कहा कि इस्लामिक उच्चता में विश्वास करने मोहम्मद इकबाल को भारत के अग्रणी विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के सामने एक दार्शनिक-राजनीतिक चिंतक के रूप में प्रस्तुत करना भारत के युवाओं पर एक प्रकार का बौद्धिक अत्याचार है। पाठ्यक्रमों का उद्देश्य छात्रों में राष्ट्रीयता की भावना, देश के प्रति दृढ़ निष्ठा एवं एवं अपनी सांस्कृतिक सम्पदा और इतिहास के प्रति सम्मान की भावना को विकसित करने वाला होना चाहिए। अभाविप का स्पष्ट मत है की यदि पाठ्यक्रमों से भारत की भूमि को ‘नापाक’ कहने वाले मोहम्मद इकबाल जैसे लोगों के विषय को पाठ्यक्रम से हटाया जा रहा है तो यह कदम स्वागत योग्य है।

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