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जेएनयू में अभाविप कार्यकर्ताओं पर हमला, कई कार्यकर्ता चोटिल

अजीत कुमार सिंह by छात्रशक्ति डेस्क
February 10, 2024
in खबर
जेएनयू में अभाविप कार्यकर्ताओं पर हमला, कई कार्यकर्ता चोटिल

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव से पहले हिंसक झड़प की खबर सामने आई है। हिंसक झड़प में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कई कार्यकर्ता चोटिल हो गए हैं। अभाविप ने बताया कि कल रात सभी संगठनों द्वारा विश्वविद्यालय जनरल बॉडी मीटिंग (यूजीबीएम) की एक बैठक साबरमती ग्राउंड पर 9:30 बजे आयोजित की गई थी। वामपंथी समूह द्वारा यह यूजीबीएम 9 फरवरी को इसलिए रखी गई, क्योंकि 9 फरवरी को इसी साबरमती मैदान पर इनलोगों ने भारत विरोधी नारे लगाए थे और संसद भवन पर हमले के मास्टरमाइंड और न्यायालय द्वारा फांसी का दंड प्राप्त आतंकी अफजल गुरु की बरसी मनाई थी। वामपंथी संगठन नहीं चाहते थे कि अभाविप के कार्यकर्ता इस यूजीबीएम में भाग लें, क्योंकि अभाविप इस छात्रसंघ चुनाव में निष्पक्षता, नियमावली के पालन और सभी छात्रों के समान प्रतिनिधित्व की बात कर रही है। छात्र हितों एवं उनकी मांगो को केन्द्र में रखकर अभाविप कार्यकर्ताओं ने यूजीबीएम में अपनी बात रखने के लिए हिस्सा लिया।

यूजीबीएम शुरू होने से पहले स्कूल ऑफ़ इंटरनेशनल स्टडीज़ (एसआईएस) की एक छात्रा जो अपने आप को स्वघोषित जेएनयू की अध्यक्ष कहतीं हैं, ने स्वयं से यह निर्णय लिया की यूजीबीएम की अध्यक्षता वह खुद करेंगी। यह वहीं स्वघोषित छात्रा है, जो बंगाल के जमूरिया विधानसभा से सीपीआई(एम) के तरफ से चुनाव लड़ने गई थी, और जब वहां से चुनाव हार गईं, तो वापस उन्होंने जेएनयू में स्वयं को जेएनयू का अध्यक्ष बताना प्रारंभ कर दिया। नियमतः 3 वर्ष से अधिक समय तक चुनाव न होने पर छात्रसंघ भंग हो जाता है, साथ ही पूर्व में इस जेएनएसयू को विश्वविद्यालय प्रशासन ने नियमावली का पालन न करने के चलते नोटिफाई नहीं किया था। इस प्रकार पहले से ही जेएनयू में कोई भी आधिकारिक एवं नोटिफाइड जेएनयूएसयू नहीं है। जैसे ही यूजीबीएम शुरु हुई, वामपंथी स्वघोषित जेएनयूएसयू ने साउंड कर्मचारियों को जातिवादी टिप्पणी से संबोधित किया। साउंड कर्मचारी अपमानित महसूस करते हुए पीछे हट गए। अभाविप कार्यकर्ताओं ने उनसे बात की और उन्हें माइक और साउंड वहां से न हटाने के लिए अनुरोध किया। जब वामपंथी पार्टियों (आइसा, एसएफआई, डीएसएफ और कई अन्य वामपंथी संगठन) को यह मालूम हुआ कि, किसी भी स्थिति में अभाविप यूजीबीएम का हिस्सा रहते हुए निष्पक्षता सुनिश्चित करेगी, तो उन्होंने यूजीबीएम को बाधित करने का प्रयास किया। हालांकि, अभाविप ने उनकी सभी कूटनीतियों को विफल कर दिया। अंत में, उन्होंने अभाविप के कार्यकर्ताओं को डफली से मारना शुरू किया, जो वामपंथी गुटों द्वारा पहले से सुनियोजित था। उन्होंने शारीरिक रूप से दिव्यांग छात्रों को भी नहीं छोड़ा, जो अभाविप की मांगों के समर्थन में थे। उन्होंने दिव्यप्रकाश, जो एक दिव्यांग छात्र है को बेहद बुरी तरीक़े से मारा। उन्होंने प्रफुल्ल कुमार, कन्हैया कुमार, पुष्कर, अंकेश भाटी (छात्रा) विकास पटेल, प्रशांतो बागची के साथ अभाविप के अन्य कई छात्रों को बुरी तरह से पीटा।

 

गौरतलब है कि जेएनयूएसयू संविधान नियमानुसार यूजीबीएम करवाने के लिए 1/10 छात्रों के हस्ताक्षर की जरूरत होती है और ये हस्ताक्षर उसी जगह होनी चाहिए, जहां यूजीबीएम होना है। अभाविप ने यूजीबीएम में बोलने के लिए 150 कार्यकर्ताओं की सूची भी इस यूजीबीएम कमिटी को सौंपी, पर उन्होंने इस सूची को नकार दिया। जब अभाविप के कार्यकर्ताओं ने यूजीबीएम का कोरम वामपंथी पार्टियों से मांगा, तो उन्होने कोरम दिखाने से मना कर दिया क्योंकि कोरम में कई सारे ऐसे छात्रों के हस्ताक्षर थे जो जेएनयू में वर्तमान में नहीं हैं लेकिन फिर भी उनके हस्ताक्षर वहां थे। उसके बाद भी छात्रों के हित के लिए अभाविप ने यूजीबीएम के लिए अपनी सहमति दे दी।

अभाविप के इकाई अध्यक्ष उमेश चंद्र अजमीरा ने कहा, “ ये यूजीबीएम अभाविप के दबाव के कारण संभव हो सका है। अभाविप ने मेस अभियान चलाया, हॉस्टल के प्रत्येक कमरे में जाकर छात्रों से बात-चीत की, मेस में जाकर छात्रों से उनकी समस्याएँ, एवं सुझाव समझने की कोशिश की। ये जीबीएम जेएनयू के छात्रों की जीत है, जबकी वामपन्थी और उनके पिछलग्गू छुटभाइए स्वघोषित नेता नहीं चाहते थे की निष्पक्षता और छात्रों के मुद्दे पर बातचीत हो। ये यूजीबीएम वामपन्थ के खिलाफ अभाविप और सामान्य छात्रों की जीत है। अभाविप हमेशा से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की माँग करती रही है, जिसमें जेएनयू के छात्रों का समान प्रतिनिधित्व हो।”

वहीं इकाई मंत्री विकास पटेल ने कहा, “वामपंथी संगठन सिर्फ अपनी कुर्सी बचाने में लगे हुए है। विद्यार्थी परिषद शांतिपूर्ण, निष्पक्ष, एवं जेएनयू के सभी छात्रों का समान प्रतिनिधित्व प्राप्त हो ऐसे तरीके से यूजीबीएम संपन्न कराने की मांग कर रही थी, जिसे वामपंथी संगठनो ने उग्र होकर नकारा तथा धार-दार हथियार और डफली से विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता सहित कई दिव्यांग छात्रों पर हमला कर दिया जिससे उन्हें गंभीर चोटें आई हैं। अंततः अभाविप ने लोकतान्त्रिक तरीके से यूजीबीएम करवाया, और 4 प्रस्ताव पारित किए। अभाविप आगे ये सुनिश्चित करेगी की जेएनयू छात्र संघ चुनाव के लिए स्कूल यूजीएम हों। इसके साथ ही विद्यार्थी परिषद इस घटना की कड़ी निन्दा करती है एवं अभाविप विश्वविद्यालय के समस्त छात्रों के सुरक्षा की मांग करती है।”

Tags: abvpabvp jnujnu
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